अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत पुरानी चुनौती है, अपने पैरों पर बिना किसी कष्ट के खड़ा हुए बिना ज़िन्दगी सम्मान और मज़े से जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. इसका अर्थ चाहे बहुत से दूसरे क्षेत्रों से है लेकिन यह हकीकत शरीर के मामले में भी इसी तरह लागू होती है लेकिन जिस्म के मामले में अगर घुटने ही जवाब दे जाएं तो बेचारे पैर अकेले क्या कर सकते हैं.ज्यूं ज्यूं उम्र बढ़ती है घुटनों का दर्द भी तेज़ी से बढ़ने लगता है. इस दर्द के साथ ही शुरू हो जाता है बहुत सी दूसरी परेशानियों का सिलिसला. खान पान और रहन सहन की जीवन शैली अगर संतुलित न रहे तो यह दर्द एक गंभीर समस्या बन कर सामने आता. इस दर्द से निजात दिलाने के लिए आप्रेशन कितना सफल रहते हैं और कितना असफल इसकी चर्चा लुधियाना के क्रिश्चियन मेडिकल कालेज और अस्पताल में हुई एक संगोष्ठी में भी हुई. इस संगोष्ठी का आयोजन डाक्टर एच. एल. लोबो की स्मृति में किया गया था.
फोटो सौजन्य :Orthop Washington |
डाक्टर लोबो एक जानेमाने आर्थो सर्जन थे. वह सी एम सी लुधियाना में प्रोफैसर के तौर पर 1969 में आये. यहां विभागीय प्रमुख भी रहे. वर्ष 1971 से 1982 तक वह कालेज के प्रिंसीपल भी रहे. उनके मार्गदर्शन में यह सब बहुत ही कुशलता से चल रहा था कि अचानक ही 1983 में उनका देहांत हो गया. उनके स्नेह से सराबोर रहे उनके छात्रों ने उनके सम्मान में एक व्याखान माला का सिलसिला शुरू किया जिसे हर वर्ष आयोजित किहा जाता है. इस बार डाक्टर लोबो की स्मृति में इस तरह के 28वें सेमीनार का आयोजन हुआ शनिवार 23 अक्टूबर 2010 को. गौरतलब है कि इसका आयोजन डा. लोबो मेमोरिअल ट्रस्ट और सी एम सी लुधियाना के आर्थो विभाग की तरफ से मिलजुल कर किया जाता है. ट्रस्ट के प्रधान एस आर वडेरा और सचिव डाक्टर एम के महाजन ने कहा के इसका आयोजन पिछले 27 बरसों से लगातार जारी है.
इस मौके पर घुटनों के दर्द और इस दर्द से निजात पाने के लिए अपनाये जा रहे उपायों की चर्चा भी बहुत ही व्यापक स्तर पर हुई. आर्थो के जानेमाने वरिष्ठ सर्जन और टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी अमेरिका के आर्थो विभाग के असोसिएट प्रोफेसर रह चुके डाक्टर सी वी अनंता कृष्णन इस मौके पर मुख्य मेहमान थे जबकि चंडीगढ़ से आये GMCH के निर्देशक प्रिंसिपल डा. राज बहादुर वशिष्ठ अतिथि थे. CMCH के आर्थो विभाग के प्रमुख डा. बोबी जॉन ने कहा की घुटनों की रवीज़न सर्जरी आज के समय की मुख्य आवशयकता है. सी एम सी एच के ही आर्थो विभाग के असोसिएट प्रमुख डा. अनुपम महाजन ने कहा कि अब घुटने बदलने कि प्रक्रिया को समाज भी स्वीकार करने लगा है. इस अवसर पर कई अन्य प्रमुख विशेषज्ञ भी मौजूद थे. --रेक्टर कथूरिया.
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