Friday, September 17, 2010
अदालत की अपनी मजबूरी
आशंका तो थी कि शायद अयोध्या पर आने वाला फैसला एक बार फिर टल जाये लेकिन अब आशंका निर्मूल साबित हुई. अलाहाबाद उच्च न्यालय के लखनऊ पीठ ने इस फैसले को टालने की मांग को सख्ती से खारिज कर दिया और याचिका करता पर दस लाख रूपये का जुरमाना भी लगाया.इस खबर को मीडिया ने भी महत्वपूर्ण कवरेज दी. जहां अंग्रेजी में वन इंडिया ने भी इसे तुरंत अहमीयत दी वहीं यूरोप के दिल से कवरेज करने का सच्चा दावा करने वाली बहु भाषाई साईट ने इसी खबर को प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए कहा की फैसले को टालने की अपील को खारिज करने के पीछे अदालत की अपनी मजबूरी भी है. इस खबर के मुताबिक़ अदालत ने सभी पक्षकारों को आम सहमती के लिए तीन दिन का समय भी दिया पर जब आम राये बनती नहीं दिखी तो याचिका को खारिज कर दिया गया. मजबूरी का पूरा विवरण आप जान सकते हैं यहां क्लिक करके.इसी बीच केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर शांति बनाये रखने की अपील की है और कांग्रेस पार्टी ने भी. जानेमाने हिंदी दैनिक पंजाब केसरी ने भी इसे प्रमुखता से स्थान दिया. इसी तरह अपने रचनात्मक आंदोलन के लिए जानी जाती अखबार प्रभात खबर ने भी इस खबर को महत्व के साथ प्रकाशित किया. इसी बीच एक और अच्छी खबर आई कि हिन्दू और मुस्लिम धर्मावलम्बी अदालत के फैसले का सम्मान करने के हक में हैं. --रेक्टर कथूरिया
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1 comment:
शांति बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अंक-9 स्वरोदय विज्ञान, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
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