Wednesday, August 11, 2010
प्रेम की गंगा बहाते चलो
जंग कोई भी हो, जंग का मैदान कोई भी हो...हर बार सब से ज्यादा नुक्सान और पीड़ा झेलनी पढ़ती है औरतों को. इस पीड़ा को अगर कोई सब से ज्यादा समझ सकता है तो वह औरत ही है जो दूसरी औरत का दुःख दर्द समझ सकती है. शायद इसी भावना से कुछ महिलाएं भी फौजी वर्दी में वहां पहुंच गयीं हैं जहां गोली और बम अब एक आम बात बन चुकी है. अफगानिस्तान की जंग के मैदान में कुछ बहादुर औरतें भी हैं. सेना की वर्दी पहने हुए ये औरतें जहां गोलियों और बमों का सामना करने को तैयार हैं वहीँ पर ये औरतें वहां के लोगों ख़ास तौर पर वहां की महिलायों के दिलों में भी स्थान बना रहीं हैं. दायें खड़ी U.S. Marine Corps Cpl. Mary Walls अपनी नियमत गश्त के दौरान कुछ महिलायों से उनके दुःख दर्द जानने की कोशिश कर रही है. फीमेल इंगेजमेंट टीम को वहां की स्थानय महिलायों से अच्छे अन्तरंग सम्बन्ध बनाने के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है. फीमेल इंगेजमेंट टीम इन औरतों को स्वास्थय के गुर भी सिखाती हैं और उन्हें आवश्यक साधन भी सप्लाई करती हैं. इसी तरह की एक मीटिंग में जब दोनों तरफ की महिलायों में दोस्ती के लिए कुछ वार्तालाप शुरू हुआ तो अमेरिकी रक्षा विभाग के Cpl. Lindsay L. Sayres ने तुरंत इन पलों को अपने कैमरे में कैद कर लिया. प्रथम बटालियन, दूसरी मैरीन रेजिमेंट के सदस्यों की यह तस्वीर 2 अगस्त 2010 को अफगानिस्तान के Musa Qa'leh, इलाके में खींची गयी.अगर आप ने भी अपने आसपास ऐसा ही कुछ देखा है तो उन पलों की तस्वीर हमें भेजिए हम उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे. आपको यह तस्वीर कैसी लगी. यह भी अवश्य बताएं. --रेक्टर कथूरिया
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