अतीत की गलतियों पर कुकी गिल ने भी कहीं खरी खरी बातें
यहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब भवन में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए, जस्टिस (सेवानिवृत्त) रणजीत सिंह ने कहा कि पंजाब के लोगों, विशेष रूप से सिखों को, गुरुओं द्वारा दिखाए गए "किछ सुनिए, किच्छ कहिए" के संकल्प पर पहरा देना चाहिए। सभी जम्हूरियत पसंद लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अप्रैल 1978 के निरंकारी कांड के बाद शुरू हुई पंजाब की समस्या ने जिस तरह से हिंसक रूप धारण किया और राज्य के दमन ने राज्य के नौजवानों को तबाह कर दिया, उससे आज भी सबक लेने की जरूरत है।
सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (रॉ) के पूर्व अधिकारी जीबीएस सिद्धू ने अपने विचार साझा करते हुए, कहा कि जून 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार भारत सरकार की सोची समझी साजिश थी, जिसके लिए पृष्टभूमि पहले से ही तैयार कर ली गई थी। सिद्धू ने अपनी किताब 'द खालिस्तान कॉन्सपिरेसी' का हवाला देते हुए कहा कि अमृतसर में हुई हर कार्रवाई की योजना दिल्ली में बनाई गई थी, भले ही कार्रवाई किसी पार्टी की ओर से हुई हो।
जाने-माने अधिवक्ता व मानवाधिकार अधिवक्ता राजविंदर सिंह बैंस ने कहा कि जिस तरह कांग्रेस ने 1985 के चुनाव में 1984 की घटनाओं के जरिए सिखों को निशाना बनाकर भारी बहुमत हासिल किया था, उसी तरह वर्तमान सरकार अब मुसलमानों को निशाना बनाकर सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि देश के अल्पसंख्यकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
प्रख्यात विश्लेषक और टिप्पणीकार मलविंदर सिंह माली ने कहा कि पंजाब की समस्या वास्तव में 1849 से शुरू होती है जब ब्रिटिश शासकों ने पंजाब देश को भारत में शामिल कर लिया था। उन्होंने कहा कि सिखों और पंजाबियों की समस्या का समाधान गुरु नानक साहिब और गुरबाणी की आशा के अनुरूप ही हो सकता है, जिसमें संवाद बहुत जरूरी है।
रणजीत सिंह कूकी गिल ने कहा कि सिख बुद्धिजीवियों को साका जून 1984 और दिल्ली में हुए सिख नरसंहार के बारे में सही शब्दावली का चयन करना चाहिए, ताकि आम लोगों के सामने सही परिप्रेक्ष्य पेश किया जा सके।
डॉ खुशहाल सिंह ने मंच संचालन की कमान संभाली। ज्ञानी केवल सिंह जी, ने पधारे लोगों का धन्यवाद किया। इस मौके पर कौमी सिंह सभा पत्रिका का नया संस्करण (जून-84 सिख रेफरेंस लाइब्रेरी कहां चला गया?) और जीबीएस सिद्धू की किताब "दा खालिस्तान कांस्पिरेसी' का प्रकाशन व्हाइट क्रो पब्लिशर्स ने किया।
इस कार्यक्रम में गुरप्रीत सिंह (ग्लोबल सिख काउंसिल), गुरबीर सिंह मचाकी, डॉ. प्यारा लाल गर्ग, हमीर सिंह, अशोक सिंह बागड़ी, प्रो. मनजीत सिंह, हरजोत सिंह, नारायण सिंह चौडा, महेंद्र सिंह मोरिंडा, सुरिंदर सिंह किशनपुरा, हरदीप सिंह दिबिबा, डॉ. भगवान सिंह और सभी विद्वानों ने अपने विचार रखे।
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