Sunday, May 21, 2023

होम्यो दवाओं के उत्पादन में विश्वस्तरीय गुणवत्ता का दावा

21st May 2023 at  5:45 PM

एडवेन बायोटेक ने लुधियाना की CME में दिखाए तथ्य और आंकड़े 


लुधियाना
: 21 मई 2023: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

तेज़ी से लोकप्रिय होती जा रही होम्योपैथी वास्तव में वैकल्पिक चिकित्सा की ही एक प्रणाली है जो 1700 के अंत में जर्मनी में उत्पन्न हुई थी। यह इस विश्वास पर आधारित है कि समान लक्षण पैदा करने वाले पदार्थों की एक छोटी सी  खुराक लेने से ही एक व्यक्ति अपनी बीमारियों से ठीक हो सकता है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि डॉक्टर को सही लक्ष्ण पढने में सफलता मिल जाए तो इस दवा की एक ही खुराक मरीज़ को ठीक कर सकती है। सिंगल मेडिसिन और सिंगल डोज़  की थ्यूरी इस दवा की चमत्कारी क्षमता को दर्शाती है।  भारत में, विशेष रूप से पंजाब राज्य में भी लम्बे समय से होम्योपैथी का अभ्यास किया जाता रहा है और इसकी सामर्थ्य और प्रभावशीलता के कारण इसकी लोकप्रियता में तेज़ी वृद्धि भी हो रही है। इसके साथ ही बढ़ रहा है होम्यो दवायों के उत्पादन की  गुणवता का स्तर। अब भरता में इनका उत्पादन विदेश के सत्र पर होने लगा है। इन दवायों के उत्पादन, स्तर  और  गुणवता में अब भारत से भी चुनौतियाँ उठने लगी हैं। कुछ ऐसा ही महसूस हुआ लुधियाना के पार्क प्लाज़ा में हुए एक आयोजन के दौरान। इसे नाम तो सी एम ई का ही दिया गया था लेकिन वास्तव में यह होम्यो दवायों के भारतीय संस्करण को प्रोमोट करने वाला ही था। इसे सपांसर कर रही थी जानीमानी दवा उत्पादक कंपनी एडवेन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड।   

इस आयोजन में मौजूद डॉक्टर्स की बड़ी संख्या बता रही थी कि अब होम्योपैथिक शिक्षा और मेडिकल प्रेक्टिस में  भारत भर में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए तेजी से बहुत ही अच्छे अच्छे अवसर सुलभ हो रहे हैं। कई महिला डॉक्टर भी अब होम्योपैथी का ही अभ्यास कर रही हैं। बहुत से लोग ऐसे भी थे जिन्हें होम्यो की प्रेक्टिस करते हुए प्रेक्टिस करते उम्हुर का लम्एबा हिस्सा गुज़र गज़ा है। सिर और दाड़ी के बालों में आई सफेदी उनकी शख्सियत में एक दिव्यता भी लाने लगी है। आज के महंगाई वाले युग में भी वे बताते हैं कि कई अन्य  प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना में भी होम्योपैथिक उपचार की लागत भी अपेक्षाकृत कम है, जो इसे उन लोगों के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बनाता है जो अधिक महंगा उपचार नहीं करवा सकते।

उल्लेखनीय है कि होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनीमैन ने इस प्रणाली को अपने अवलोकन और प्राकृतिक उपचार में शोध के आधार पर विकसित किया। तब से, होम्योपैथी कई चिकित्सा पेशेवरों के साथ एक सफल अभ्यास बन गया है, जो विभिन्न बीमारियों की देखभाल के प्रभावी रूप के रूप में इसके उपयोग की वकालत करता है। बहुत सी जटिल और गंभीर बिमारियों के उपचार में होम्योपैथी की लोकप्रियता आसमान छूने लगी है। अंग्रेज़ी दवायों के साईड इफेक्ट से डरे हुए लोग भी होम्योपैथी की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। हालांकि कुछ किताबें पढ़ कर या यूट्यूब देख कर होम्यो दवायों का सेवन अपनी समझ के मुताबिक करने वाले इस वास्तविकता को नहीं जानते कि होम्यो दवायों में साइड इफेक्ट होते हैं। इनके गलत सेवन से भी खतरे सामने आते हैं। डाक्टर की सलाह के बिना होम्यो दवायों का सेवन भी सुरक्षित नहीं रहता। 

होम्योपैथी के ज़रिये विभिन्न बीमारियों के इलाज में नए नए रिकार्केड भी बन रहे हैं। इनके सेवन में सतर्कता और इनके उत्पादन में सतर्कता की चर्चा लुधियाना की सी एम ई में भी हुई। ज़ेह बहुत ही सारगर्भित और महत्वपूर्ण रही। यहां गौरतलब है कि कुछ लोगों ने इसे अपनी समझ के मुताबिक बिना डाक्टरी सलाह के भी उपयोग करना शुरू कर दिया है। यह ट्रेंड चिंताजनक है। 

भारत में होम्योपैथी की डिग्री और योग्यता की बात करें तो होम्योपैथी शिक्षा स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर प्रदान की जाती है। होम्योपैथिक उपचार की लागत उपचार के प्रकार और चिकित्सक के अनुभव के आधार पर भिन्न हो सकती है। होम्योपैथिक डॉक्टर आमतौर पर अपनी सेवाओं के लिए शुल्क लेते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोगों के लिए मुफ्त परामर्श या रियायती दरों की पेशकश करते हैं जो इसे वहन नहीं कर सकते। यह सब डाक्टर की व्यक्तिगत मर्ज़ी पर भी निर्भर करता है। 

वैकल्पिक चिकित्सा के इस रूप की बढ़ती हुई मांग के कारण भारत में महिला होम्योपैथिक डॉक्टरों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है। महिला चिकित्सक अक्सर अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में किफायती उपचार प्रदान करने में सक्षम होने की अधिक संभावना रखते हैं, क्योंकि वे कम कीमत वसूलते हैं और उनके अभ्यास के लिए कम स्टाफ सदस्यों की आवश्यकता के कारण ओवरहेड लागत कम होती है।

यह प्रणाली शरीर के स्वयं के उपचार की प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए प्राकृतिक पदार्थों की पतली खुराक का उपयोग करके इलाज के सिद्धांत पर आधारित है। हाल के वर्षों में, स्वास्थ्य देखभाल के वैकल्पिक रूप के रूप में होम्योपैथी में रुचि बढ़ी है। इससे भारत में होम्योपैथिक दवाओं के स्वस्थ और सुरक्षित उत्पादन की मांग में वृद्धि हुई है। इस लेख में, हम भारत में होम्योपैथिक दवाओं के सुरक्षित और प्रभावी उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए उपयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों का भी पता लगाएंगे। हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे होम्योपैथी को स्वास्थ्य सेवा के वैव्हारिक रूप और समाज के लिए इसके संभावित लाभों के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 

हाल के वर्षों में, भारतीय कंपनियां सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से होम्योपैथिक दवाओं का उत्पादन करने के लिए प्रयास कर रही हैं। यह लेख यह पता लगाने का भी प्रयास है कि ये कंपनियां होम्योपैथिक दवाओं के उत्पादन को उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और प्रभावी दोनों कैसे सुनिश्चित कर रही हैं।  यह होम्योपैथिक दवाओं का उत्पादन करते समय भारतीय कंपनियों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन पर कैसे काबू पाया जा रहा है  इस पर ध्यान दिया जा रहा है। 

यह शरीर की अपनी हीलिंग प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न रूपों में प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करके, जैसे के साथ इलाज करने के सिद्धांत पर भी आधारित है। इसी उत्पादन अभियान  में भारत के नाम को ऊंचा करने के लिए अग्रसर एडवेन बायोटेक प्रा. लिमिटेड भारत में एक प्रमुख होम्योपैथिक दवा कंपनी है, जो विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों के लिए उच्च गुणवत्ता और सुरक्षित होम्योपैथिक उपचार प्रदान करती है। 

यह कंपनी अपने उत्पादों के निर्माण के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करती है, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे सुरक्षा और प्रभावकारिता के उच्चतम मानकों को पूरा करते हैं। इसके उत्पादों का व्यापक रूप से भारत भर में डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। सामान्य सर्दी से लेकर कैंसर और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों तक का समाधान अब होम्यो में ही है।

एडवेन बायोटेक प्रा. अनुसंधान और विकास के लिए लिमिटेड की प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करती है कि इसके उत्पाद आधुनिक होम्योपैथिक उपचारों में सबसे आगे रहें। एडवेन की तरफ से कंपनी के सी ई ओ आदेश शर्मा ने छोटी छोटी कुछ फ़िल्में बी दिखाई जो कंपनी के स्तर और गुणवता को दर्शा रहीं थीं। इसके साथ ही उन्होंने डॉक्टरों और मीडिया कर्मियों को आमंत्रित भी किया कि वे जब चाहें उनके प्लांट में आ कर उनके उत्पादन की गुणवता को परख सकते हैं, देख सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बाज़ार में बिकते कुछ उत्पादनों पर बी सवाल उठाए कि जो लोग कच्चे माल की कीमत से भी कम दामों पर दवा बनाकर बेच रहे हैं उनका आप स्वयं ही अनुमान लगा लीजिए कि इतनी कम कीमत में वे आपको क्या बेच रहे होंगें? उन्होंने ज़ोर दिया की अगर विदेशी कंपनियों के उत्पादनों का मुकाबिला कर के भारत का नाम रौशन करना होगा तो उत्पादन की गुणवत्ता के लिए वह सब प्रबंध और खर्चा करना होगा जो बड़ी कंपनियां अपनी साख को बनाए रखने के लिए करती हैं। इसमें किसी समझौते की जगह नहीं होनी चाहिए और हम गुणवत्ता को ले कर कभी समझौता नहीं करते। 

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