Monday, December 19, 2022

... नहीं तां बाज़ी लै गए कुत्ते-तैथों उत्ते...

Sunday 18th December 2022 at 4:27 PM

इंसान को दोस्ती और वफ़ादारी सिखाने वाली प्रजाति के साथ कुछ अनुभव 

मानव से ऊंचे बताया था सूफी शायर सांई बुल्ले शाह ने कुत्तों को 

लुधियाना: 18 दिसंबर 2022: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::
       कुत्ते के प्रति मानवीय दया और प्रेम का इज़हार
       करते हुए पत्रकार सतीश कत्याल और अन्य लोग
 

इस कलियुग में भी
अभी तक एक ऐसी प्रजाति इसी धरती पर मौजूद है जो वफ़ा के लिए जानी जाती है।विश्वास के लिए जानी जाती है। प्राचीन काल में इन्हें दरवेश कहा जाता था। बुल्ले शाह जैसे महान सूफी शायरों ने भी इसी प्रजाति का गुणगान किया था। उठ बुल्लिया चल यार मना लै नहीं तां बाज़ी लै गए कुत्ते-तैथों उत्ते। जी हाँ आप ने सही समझा हम कुत्तों की बात ही कर रहे हैं। कुत्ता शब्द अक्सर इंसान लोग एक दुसरे को गाली के लिए भी इस्तेमाल करते हैं जो कि सरासर कुत्तों को अपमान है। आजकल का दगाबाज़ और स्वार्थी इंसान कुत्ता कहलाने के काबिल ही कहाँ है! शायद यही वजह है कि आम और ख़ास जनता में कुत्तों को अडॉप्ट करने, खरीदने और घरों में अपनी संतान की तरह संभाल कर रखने का रिवाज लगातार तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। खुद हम लोग वफादार बनें या न बनें लेकिन घरों में वफ़ादारी का जीवंत शोपीस ज़रूर रखना चाहते हैं। इसी बहाने से आज के दौर में कुत्ते के प्रति दया और प्रेम के इज़हार की भावना भी मज़बूत हो रही है। शायद इसी बहाने हम लोग इस वफादार दोस्त की मेहरबानियों का कुछ कर्ज़ अदा कर सकें। साथ ही संभव है शायद आपको अस्सी के दश्क में लोकप्रियता के शिखर छूने वाली एक बहु चर्चित फिल्म "तेरी मेहरबानियां" भी याद आ जाए जिसका हीरो एक कुत्ता था, फिल्म में उसका नाम मोती था लेकिन असली नाम था ब्राउनी। उस कुत्ते ने बहुत सी फिल्मों में काम किया। अब तेरी मेहरबानियां पार्ट-टू या उसका सेकुएल भी बन रहा है वो भी पूरे 37 साल के बाद। इसकी चर्चा भी हमकिसी अलग पोस्ट में करंगे। फ़िलहाल लौटते हैं कुत्तों  रहे मानवीय प्रेम पर। यह भावना निरंतर बलवती होती जा रही है। 

इस भावना के चलते ही कुत्तों का अच्छा ख़ासा कारोबार भी होने लगा है। कारोबारी भी मुनाफे में रहते हैं और सरकार को भी रजिस्ट्रेशन के नाम पर अच्छी खासी आमदनी होती है। इस सारे ट्रेंड को और बढ़ाने के लिए एक  शो वेटरनरी यूनिवर्सिटी (GADVASU) ने भी आयोजित किया।  

वैट-वर्सिटी की तरफ से यह शो प्रभावशाली डॉग शो का आयोजन था। गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी (GADVASU) में इंसान के सबसे करीबी और वफादार प्रजाति का शो। वही प्रजाति जिसने इंसान को सबसे अच्छे दोस्त दिए। उसे वफादारी और दोस्ती की मिसाल बन के जीना सिखाया। यह डॉग शो उन लोगों के लिए भी एक सुनहरी मौका था जो पिल्ले बेचने का कारोबार करते हैं। इंसान ने बेशगक अपनी कीमत अपनी करतूतों और मजबूरियों के चलते गिरा दी हो लेकिन कुत्ते की कीमत बाज़ार में लगातार बढ़ रही है।  यह लुधियाना का "डॉग शो" वास्तव में दुनिया भर के ट्रेंड की एक झलक था। 

गडवासू के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि एकल परिवारों में वृद्धि के साथ पालतू जानवरों का महत्व बढ़ रहा है और इस प्रदर्शनी ने सभी हितधारकों को पालतू जानवरों के कल्याण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का मौका प्रदान किया है। 

यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इस वर्ष को 'विश्व पशु चिकित्सा वर्ष' के रूप में मान्यता दी गई है। डॉग शो की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई, जहां डॉ. कमल कुमार गर्ग, आईएएस, मुख्य अतिथि ने शो का उद्घाटन किया। उन्होंने समाज के साथ सह-विकास के कारण पसंदीदा पालतू जानवर के रूप में कुत्तों के महत्व के बारे में बात की। 

उन्होंने अपना विश्वास व्यक्त किया कि कुत्ते के प्रजनन, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए डॉग शो एक महत्वपूर्ण मंच होगा। डॉ. सतबीर सिंह गोसल, उप-कुलपति, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय 'विदाई समारोह' के दौरान मुख्य अतिथि थे। 

डॉ गोसल ने कहा कि कुत्तों ने मानव समाज के साथ अपने सह-अस्तित्व के सैकड़ों वर्षों में अपनी जीवटता और मूल्य साबित किया है। उन्होंने कहा कि शो पालतू जानवरों के मालिकों के लिए पशु चिकित्सकों और उद्योग के साथ बातचीत करने का एक शानदार अवसर था। उन्होंने राज्य में पशु स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में गडवासु द्वारा की गई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की। 

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ एच एस बांगा ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से इंसानों और पालतू जानवरों के बीच मजबूत बंधन और साहचर्य प्रदर्शित करने में मदद मिलती है। डॉग शो के बारे में पशु चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ अश्विनी कुमार ने भी बहुत ही अच्छी जानकारी दी। 

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। कुत्तों की विभिन्न नस्लों की प्रदर्शनी हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उनके महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करेगी।संगठन सचिव डॉ. धीरज गुप्ता ने बताया कि होमगार्ड्स के डॉग स्क्वायड द्वारा एक कौशल शो का भी आयोजन किया गया था। 

टॉय, टेरियर, यूटिलिटी, हाउंड, गन डॉग, वर्किंग, पैस्टोरल और विविध समूहों सहित कुत्तों की आठ श्रेणियों में नस्ल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जहां 125 से अधिक मालिकों ने अपने कुत्तों का प्रदर्शन किया। श्री अश्विंदर सिंह, मेजर अमरजीत बाठ को आवारा कुत्तों की सेवा के लिए सम्मानित किया गया। 

GADVASU ने हाल के दिनों में ही एक डायलिसिस यूनिट की स्थापना की। गुर्दे की समस्याओं से प्रभावित कुत्तों का यहां इलाज किया गया और जीवित रहने के बाद स्वस्थ जीवन जीने के बाद उन्हें सम्मानित भी किया गया। बड़ी संख्या में प्रजनकों ने कार्यक्रम स्थल पर कुत्तों, बिल्लियों और पक्षियों की विभिन्न नस्लों का प्रदर्शन किया। उद्योग द्वारा फ़ीड और स्वास्थ्य पूरक, ग्रूमिंग किट, बिस्तर और अन्य सामान की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी। गडवासू के सभी अधिकारी, संकाय सदस्य, कर्मचारी और बड़ी संख्या में कुत्ता प्रेमी इस अवसर पर उपस्थित थे। कुल मिला कर यह एक यादगारी शो साबित हुआ।

इंसानों से निराश हुए लोग अब कुत्तों की तरफ क्यूं आकर्षित हो रहे हैं इसकी चर्चा अलग से करेंगे। उसमें आपको बटेंगे उन लोगों की कहानियां जिन्होंने कुत्तों को अपने परिवारिक सदस्य की तरह अपना कर कुत्तों की मेहरबानियों का अहसास किया और उसका बदला चुकाने का थोड़ा सा प्रयास किया। आप भी आगे आईए। आप इन्हें अपना नहीं सकते तो कृपया पत्थर भी मत मारिए। इन्हें अपने वाहनों से चोट भी मत पहुंचाइए। 

कुत्तों के लिए अपना विशेष समय निकलने वाले लोगों की चर्चा भी हम अपनी अलग पोस्टों में करेंगे ही। ये वो लोग हैं जो इंसान होने का धर्म सच्चे ढंग से निभा रहे हैं। 

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