मामला नहीं सुलझा तो फिर से पूरी हड़ताल जारी रहेगी
इस बैठक में अन्य मांगों पर भी चर्चा हुई। कम वेतन पर भी विशेष रूप से चर्चा हुई। खास बात यह थी कि सचिव ने पूरी बातचीत को अच्छे तरीके से सुना और सभी मांगों को निपटाने के लिए सोमवार को पंजाब के मुख्य सचिव के साथ एक पैनल बैठक निर्धारित की और भर्ती विभाग के अधिकारियों को सोमवार तक अनट्रेंड लोगों की भर्ती रोकने के लिए भी कहा लेकिन विभाग के अधिकारियों के अड़ियल रवैये के कारण इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया।
गौरतलब है कि लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी के कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर हैं। यह हड़ताल 15 दिसंबर की दोपहर को शुरू हुई थी। इस हड़ताल के चलते 16 दिसंबर को भी पंजाब के 18 डिपो से 1900 बसें सड़कों पर नहीं उतरीं। बस स्टैंड सूने रहे और यात्रियों को भी काफी परेशानी हुई।
हड़ताल पर गए पनबस के कॉन्ट्रेक्ट कर्मचारियों ने भी साफ ऐलान कर दिया है कि अगर सर्कार मांगें नहीं मानेगी तो वे संघर्ष को और तेज करेंगे। इस बार यह हड़ताल 15 दिसंबर की दोपहर में शुरू हुई थी जो सुबह होने तक पूरी तरह फैल गई थी। पंजाब के कॉन्ट्रेक्ट बस वर्कर्स ने बताया कि प्रबंधन ने ड्राइवरों की भर्ती में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। इसलिए हमने मजबूरन हड़ताल का आह्वान किया था।
हड़ताल के चलते प्रदेश के 18 बस डिपो की करीब 1900 बसें सड़क पर नहीं उतरीं। बटाला कंडक्टर के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से छिड़ा आंदोलन एक बार फिर अन्य मांगों को लेकर गरमा गया है। इस बार इस आंदोलन में और भी कई मांगें शामिल हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार मीटिंगों में हमसे जो वादे करती है और विधानसभा में जो कहती है, उसे कभी पूरा नहीं करती। सरकार की कथनी और करनी में हर बार फर्क होता है। सरकार कहती कुछ है और करती कुछ है।
पनबस पीआरटीसी कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन लुधियाना डिपो के महासचिव गुरप्रीत सिंह वड़ैच ने कहा कि पंजाब सरकार उनसे किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है। प्रबंधन द्वारा बिना प्रक्रिया का पालन किए बिना पिछले दरवाजे से नए वाहन चालकों की भर्ती की जा रही है। जिसके चलते उन्होंने यह हड़ताल की है।
पहले उन्हें मुख्यमंत्री आवास का घेराव करना था, लेकिन सरकार द्वारा आज शाम बैठक बुलाने के कारण इसे टाल दिया गया है। लेकिन अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो संघर्ष और तेज किया जाएगा। श्री गुरप्रीत सिंह वड़ैच ने कहा कि अफसरशाही बिना किसी ट्रायल और ट्रेनिंग के आम लोगों की जान जोखिम में डालकर आउटसोर्स ड्राइवरों से जुड़कर संगठन को संघर्ष करने के लिए मजबूर कर रही है।
कर्मचारी नेता सतनाम सिंह ने भी सरकार की इन नीतियों के बारे में खुलकर बात की और इनका पुरजोर विरोध किया। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि 15 दिसंबर 2022 को जहां मौजूदा सरकार चुनाव के दौरान किए गए वायदों से मुकरते हुए कच्चे कर्मचारियों को काम पर रखने से भाग रही है, वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में किए गए दावों के विपरीत कदम उठा रही है।
आउटसोर्सिंग खत्म करने के लिए सरकार विधान सभा में भी कह चुकी है और यूनियन के में भी। वर्तमान परिवहन मंत्री और परिवहन विभाग का प्रबंधन चालकों को बिना किसी प्रक्रिया के कम वेतन पर भर्ती करके और उन्हें आउटसोर्स कर डिपो में शामिल होने के लिए मजबूर कर रहा है। इससे जहां पंजाब रोडवेज/पनबस में काम करने वाले कच्चे कर्मचारियों के अधिकारों पर कुठाराघात हो रहा है, वहीं पंजाब रोडवेज/पनबस बसों में रोजाना सफर करने वाले आम लोगों के कीमती जीवन को भी खतरे में डाला जा रहा है।
सरकार की नीयत और नीतियों के तीखे विरोध में पनबस/पीआरटीसी ठेका मजदूर यूनियन ने तत्काल प्रभाव से पंजाब के 18 डिपो बंद कर हड़ताल का एलान किया। इस हड़ताल के परिणाम स्वरूप 1900 बसें सड़कें पर उत्तरी ही नहीं।
इस कार्रवाई के साथ ही कल सुबह पंजाब के मुख्यमंत्री के चंडीगढ़ आवास का घेराव करने का भी एलान किया गया है। इस मौके पर डिपो महासचिव गुरप्रीत बराइच ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय और धक्के के विरोध में पंजाब रोडवेज के डिपो तब तक बंद रहेंगे जब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया जाता है।
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले कुछ दिनों में बार-बार बैठकें बुलाई हैं और खुद को वापस ले लिया है. निजीकरण और आउटसोर्सिंग की ओर बढ़ते हुए इन कर्मचारियों के सरकार से टकराव की आशंका से निकट भविष्य में इंकार नहीं किया जा सकता है। इन कर्मचारी नेताओं ने कहा कि हम सरकारी परिवहन को लाभ की ओर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन सरकार की नीतियां विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाकर बंद करने की तरफ बढ़ती जा रही हैं।
अब देखते हैं सोमवार की शाम को हड़ताल क्या लेती है? या तो हड़ताल सोमवार शाम को समाप्त हो जाएगी या फिर अनिश्चित काल के लिए पूरे पंजाब में तुरंत फ़ैल जाएगी।
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