Sunday, September 11, 2022

इण्डिया गेट की जगह पर अपना राष्ट्रिय स्मारक अब तक क्यों नहीं?

Saturday 10th September 2022 at 11:32 PM

नामधारियों ने किया प्रीति सिंह की अगवानी में ज़ोरदार रोष प्रदर्शन


नई दिल्ली
:10 सितंबर 2022: (साहिबा कौर//पंजाब स्क्रीन डेस्क):: 

दिल्ली का इंडिया गेट फिर विवादों में है। बहुत से लोगों का कहना है कि यह अंग्रेजों की ही निशानी है। उसी शासन सत्ता की याद दिलाता है। इस बार इसके खिलाफ आए हैं नामधारी समाज के लोग। इनका कहना है की हमारे अपने शहीदों का कोई स्मारक ही नहीं है। इसे देख कर ब्रिटिश सत्ता के शहीद याद आते हैं। 

गौरतलब है कि नई दिल्ली के केंद्र में 42 मीटर ऊंचा इंडिया गेट उन इमारतों में शामिल है जिन्हें दिल्ली जाने वाले लोग विशेष तौर पर देखना पसंद करते हैं। सुबह शाम इण्डिया गेट परिसर में भारी भीड़ रहती है जो यहां पिकनिक जैसा माहौल बना देती है। 

रोष प्रदर्शनों के लिए भी अक्सर इसका इस्तेमाल किजा जाता है। इस तरह यह दिल्ली का एक केन्द्रीय स्थल बना हुआ है। इसके अतीत में जाएं तो वास्तव में यह गेट ऐसा है जो एक चौराहे के बीच में आर्कवे की तरह “आर्क-डी-ट्रायम्फ” ही है। लगभग अपने फ्रांसीसी समकक्ष के समान, यह उन यह उन हज़ारों भारतीय सैनिकों को याद करता है, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। शहीद हुए सैनिकों की संख्स्माया को लेकर आंकड़े अलग अलग मिलते हैं। इस स्रमारक में 13,516 से अधिक ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों के नाम भी उक्रे हुए  जो पश्चिमोत्तर सीमांत अफगान युद्ध 1919 में मारे गए थे। आखिर यहां 1947 के बाद शहीद हुए उन भारतियों का ज़िक्र क्यों नहीं जो भारत के लिए लड़ते शहीद हुए हों?  स्वतंत्र भारत में बेगाने शहीदों का स्मारक क्यूं?

यहां याद दिलाना उचित होगा कि इंडिया गेट की आधारशिला उनकी रॉयल हाइनेस, ड्यूक ऑफ कनॉट ने 1921 में रखी थी और इसे एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था। स्मारक को 10 साल बाद तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने राष्ट्र को समर्पित किया था। भारत को आजादी मिलने के बाद एक और स्मारक, अमर जवान ज्योति बहुत बाद में जोड़ा गया था। दिसंबर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों की देश को याद दिलाने के लिए मेहराब के नीचे अनन्त ज्योति दिन-रात जलती है। लेकिन सिर्फ अम्र जवान ज्योति क्यूं? पूरा स्वतंत्र स्मारक भारतीय शहीदों के लिए क्यूं नहीं। इस मकसद की मांग पहले भी बहुत बार उठी है लेकिन इस बार इसे लेकर सामने आए हैं नामधारी। वे नामधारी जो अपने गुरु ठाकुर दलीप सिंह जी के आदेशों को भगवान के वचनों की तरह मानते हैं। 

अब यह नामधारी दिल्ली के इंडिया गेट पर शहीद स्मारक बनाने की मांग को लेकर के नामधारी समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। इस मौके पर नामधारी समाज के लोगों की पुलिस के साथ तीखी बहस भी हुई। इस मौके पर  पहुंचे हुए प्रदर्शनकारियों की मुख्य संयोजक प्रीति सिंह ने कहा कि हम पिछले 7 सालों से सरकार से मांग कर रहे हैं हैं कि सरकार देश के उन स्वतंत्रता सेनानियों को उचित सम्मान देते हुए उनके लिए एक शहीद स्मारक बनाए। जिससे शहीदों को सही सम्मान मिल सके जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। ऐसे हज़ारों स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी लेकिन उन्हें अभी तक कोई नहीं जान पाया है। हम चाहते हैं कि सरकार उन सभी शहीदों के नाम का स्मारक बनाये। सरकार एक ऐसा भव्य स्वतंत्रता शहीद  स्मारक बनाये जिस पर उन सभी शहीदों के नाम अंकित हो जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राण अर्पित कर दिए।  एक ऐसा विशाल शहीद स्मारक बनाए जो एक मिसाल बन सके। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए लेकिन पुलिस ने बाद में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।

इसी बीच कुछ लोग इस पर भी नाराज़ हैं कि महारानी एलिज़ाबेथ के निधन पर देश का राष्ट्रिय ध्वज आधा क्यूं झुकाया गया है?

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