7th March 2022 at 4:59 PM
बेलन ब्रिगेड सुप्रीमो अनीता शर्मा ने फिर चेताया
लुधियाना: 7 मार्च 2022: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::
कुछ वर्ष पूर्व जब बेलन ब्रिगेड नाम का संगठन गैर राजनीतिक होते हुए भी सियासत की दुनिया में शिखर पर छाया हुआ था तब इस संगठन की प्रमुख अनीता शर्मा ने पूरा ज़ोर लगाया था कि महिलाएं स्वयं को विकसित करके जाग जाएं तो पूरा देश और पूरी दुनिया बदल सकती है। उन दिनों करीब सभी राजनैतिक दलों के वरिष्ठ नेता इस संगठन के साथ नज़दीकियां बढ़ाने के लिए उत्सुक्त नज़र आते थे। जनाब एच इस फूलका सहित कुछ वरिष्ठ लोग भी चाहते थे कि यह संगठन मज़बूत हो। अनीता शर्मा भी यही चाहतीं थी। उनका परिवार भी और अन्य शुभचिंतक भी इसे और विकसित हुआ देखना चाहते थे। लेकिन न जाने किस की नज़र लग गई! अब एक बार फिर इस संगठन ने एक आवाज़ बुलंद की है कि महिलाओं को एक बार फिर आगे आना होगा।
इस मकसद की आवाज़ उठाई है संगठन सुप्रीमो अनीता शर्मा ने। उन्होंने एक बहुत ही कड़वे सत्य को स्वीकार करते हुए कहा है कि भारत में आज भी महिलाएं समाज में पूरी तरह पुरुषों के बराबर दर्जा प्राप्त नहीं कर पाई जबकि महिलाएं समाज के विकास एवं तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके बिना विकसित तथा समृद्ध समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीता शर्मा ने कहा है कि जो महिलाएं पढ़ी लिखी है बिज़नेस या नौकरी करती है उन्हें सबसे पहले आगे आकर घरेलू महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना होगा। गौरतलब है कि जो महिलाएं पार्षद जैसे किस पद पर चुनी भी जाती हैं वहां भी सिर्फ उनका नाम ही होता है। सारा कामकाज और संचालन उनके पति ही करते हैं। पद मिल जाता है पत्नी के नाम पर और नेतागिरी चमकती है पुरुषों की यह भी तो एक तरह से शोषण ही है।
भारत की लगभग आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व महिलाएं करती है। अगर उनकी क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका साफ़ साफ़ मतलब है देश की आधी जनसँख्या अशिक्षित रह जाएगी और अगर महिलाएं ही पढ़ी लिखी नहीं होगी तो वह देश कभी प्रगति नहीं कर पाएगा। हमें यह बात समझनी होगी की अगर एक महिला अनपढ़ होते हुए भी घर इतना अच्छा संभाल लेती है तो पढ़ी लिखी महिला समाज और देश को कितनी अच्छी तरह से संभाल लेगी।
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता। महिला यह जानती है की उसे कब और किस तरह से मुसीबतों से निपटना है। जरूरत है तो बस उसके सपनों को आजादी देने की।
उन्होंने याद दिलाया कि पहले महिलाओं की दशा दासियों से भी बदतर थी। अगर कोई महिला लड़की को जन्म देती तो उसे या तो मार दिया जाता था या उसे घर के सदस्यों द्वारा पीटा जाता था। लड़की को जन्म देना पाप माना जाता था। उनसे सिर्फ यही अपेक्षा की जाती थी कि वे लड़के को ही जन्म दे। पर बदलते वक़्त के साथ हालात बदलते गए। आज इस सोच में काफी बदलाव तो आया है लेकिन पूरी तरह आज भी यह सोच समाप्त नहीं हुई।
अब जरूरत है कि जो महिलाएं पढ़ी लिखी और सम्पन्न परिवार से है वे आगे आकर घरेलू अनपढ़ महिलाओं के उत्थान व उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जागरूक करे। बड़े शहरो में वूमेन क्लब और किटी पार्टी करने वाली महिलाओं को बड़े बड़े होटलो व रेस्टोरेंट में जाकर अपना आनंद व मनोरंजन करने के साथ साथ समाज के गरीब और माध्यम वर्गों में आ कर भी कुछ करना चाहिए।
जो महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं उनके लिए भी कुछ ऐसे कार्य करने चाहिए ताकि हमारे देश में महिलाये भी पुरुषों के बराबर कार्य कर सके है हालाँकि अनीता शर्मा मानती हैं की वास्तव में महिलाओं के गुण पुरुषों से अधिक होते हैं जिस वजह से उनकी पास अपनी किस्म की शक्तियां और क्षमताएं होती हैं जिनकी बराबरी पुरुष ही नहीं कर सकते। अर्द्ध नारीश्वर के स्वरूप का विज्ञान समझ कर ही इस रहस्य को समझा जा सकता है।
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