Friday, January 29, 2021

पुलिस ने मेडिकल टीमों को भी बनाया निशाना

 Friday: 29th January 2021 at 3:21 PM 

  डाक्टरों ने लिया 26 जनवरी को हुए इस हमले का गंभीर नोटिस  


सिंघू  बॉर्डर से लौट कर IDPD की टीम
: 29 जनवरी 2021: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

पोष का महीना। शीत लहर का ज़ोर। बर्फीली हवाओं से बार बार छिड़ती कंपकंपी। रजाई में सर्दी कम नहीं होती। उस माहौल में लगातार दो महीनों से अपने अधिकारों की रक्षा के लिए खुली सड़कों पर बैठे किसान। खुद को  किसानों का हितैषी बताने वाली सरकार और इस सरकार में भागीदार लोगों ने शीट लहर की इस ठंडक को कभी महसूस ही नहीं किया बल्कि किसानों को पिकनिक मनाते हुए बताया। ऐसी निष्ठुर और असंवेदनशील स्थिति में इस दर्द को महसूस किया डाक्टर अरुण मित्रा और उनके साथियों ने। इन्हीं किसानों के स्वास्थ्य की चिंता को ले कर इंडियन डाकटरज़ फॉर पीस एंड डिवेलपमेंट अर्थात IDPD की एक विशेष टीम तैयार हुई। इसी टीम ने दिल्ली की इन सीमाओं पर बैठे किसानों के स्वास्थ्य की जांच करने के मकसद से कई मेडिकल कैंप लगाए। इस बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को भी इस टीम ने दवाओं का भंडार ले कर दिल्ली की तरफ कूच किया। किसानों की खराब हो रही सेहत की सभी समस्यायों की चिंता इनके ज़हन में थी। खुद की पॉकेट और अपने साथियों के सहयोग से आवश्यक फंड भी जुटाया गया तब कहीं जा कर मेडिकल कैंप के आयोजन का काम फिर से शुरू हुआ। इन टीमों ने अपनी सभी स्वास्थ्य सेवाएं साथ ले कर गणतंत्र दिवस को किसानों के साथ साथ मार्च भी किया। 

इस टीम ने लुधियाना लौट कर 29 जनवरी को मीडिया के कुछ लोगों से भी अनौपचारिक भेंट की और उन्हें बताया कि समस्या तब शुरू हुई जब पुलिस ने रुट प्लान की सहमति वाले रास्तों को अचानक बदलने की घोषणा की। पूर्व निश्चित उन रास्तों पर रुकावटें खड़ी कीं और दूसरी तरफ कुछ अन्य रास्ते खोल दिए। नतीजतन गुंडागर्दी करने वाले मुठ्ठीभर लोगों का मिशन आसान हो गया। पुलिस चाहती तो इस सारी  साज़िशाना शरारत को रोका जा सकता था। साफ़ ज़ाहिर है कि पुलिस ने जानबूझ कर सारी शरारत और गुंडागर्दी को नज़रअंदाज़ किया। 

दूसरी तरफ किसानों का मार्च इतना शांतिपूर्ण था कि इसका जादू देखने वाला था। दिल्ली के स्थानीय लोगों ने इन शांतिपूर्ण किसानों पर फूलों की वर्षा की। शायद इसी सौहार्द को देख कर वो सियासतदान बोखला गए है और लगातार किसानों के विशाल और व्यापक विरोध को भी अनदेखा कर रहे हैं। कारपोरेट का समर्थन करने वाले ये लोग वास्तव में कृषि  कानूनों को लागू करने की हठधर्मी पर अड़े हुए हैं। कितने किसानों की जान जा चुकी है इसकी इस सत्ता को कोई फ़िक्र नहीं। शायद किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को बदनाम करना इस सत्ता का मुख्य मकसद बन गया है। 

हैरानी की बात है कि लाल क़िला सिंघू बॉर्डर से 20 किलोमीटर दूर है लेकिन वहां हुड़दंग करने वाले तत्व इतनी आसानी से कैसे पहुँच गए? इतने लम्बे समय तक शरारती तत्व वहां अपनी मनमानी करते रहे। सारा गोदी मीडिया किसानों की मुख्य  परेड को नज़रअंदाज़ करते हुआ इन मुठ्ठीभर लोगों को "नायक" की तरह बार बार  दिखलाता रहा। 

इस गोदी मीडिया ने किसानों की मुख्यधारा को पूरी तरह अनदेखा करते हुए जानबूझ कर इस तथ्य को छुपाया कि इस मुख्यधारा वाले शांतिपूर्ण किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान न तो किसी वाहन की तोड़फोड़ हुई, न ही किसी वाहन को टक्कर मारी गई, न ही किसी से गालीगलौच हुआ और न ही किसी के साथ मारपीट हुई। शायद यही कारण था कि दिल्ली के लोगों ने इतने प्रेम से किसानों को सुस्वागतम कहा कि किसान भी हैरान रह गए। उनके ह्रदय गदगद हो गए। किसानों की शांतिपूर्ण सफलता से उन लोगों के सीने पर सांप लेटने लगे जो कारपोरेट घरानों के साथ अपनी दोस्ती निभाने के लिए किसानों के विरोध को दबाने में अपनी पूरी ताक़त लगाए हुए हैं।  

पुलिस ने जिन शांतिपूर्ण किसानों पर अपनी बर्बरता दिखाई उनका इलाज करते हुए डाक्टरों की टीम ने देखा कि उन्हें बुरी तरह पुलिस ने अपना निशाना बनाया। लाठीचार्ज और अश्रुगैस के अटैक में उनके हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। उनकी आँखों को बुरी तरह नुक्सान पहुंचा। एक मरीज़ पर तो वाहन भी चढ़ा दिया गया। कई मरीज़ों की हड्डियां टूट गयीं। कई अन्यों को भी गंभीर चोटें आईं। 

डाक्टरों का कहना है कि पुलिस ने डाक्टरों की टीम को भी नहीं बख्शा।  डाक्टरों पर भी ओर आज़माई की गई। डाक्टर सवैमान की टीम को पुलिस ने उस वक़्त अपना निशाना बनाया जब वह अपनी टीम के साथ घायल हुए मरीज़ों को डाक्टरी सहायता प्रदान कर रहे थे। इसी तरह सिंघू बॉर्डर पर एम्बुलेंस की भी तोड़फोड़ की गई। जब डाक्टर बलबीर सिंह अपने किसी मरीज़ को मिलने जा रहे थे तो उन्हें धक्का दे कर गिराने से भी गुरेज़ नहीं किया गया। गौरतलब है कि दिल्ली के बॉर्डरों पर गई इस टीम में डाक्टर अरुण मित्रा के साथ डा. गगनदीप सिंह, डा. बलबीर सिंह, डा. मोनिका धवन, डा. परम सैनी, डा. एस एस  सिद्धू, डा. सूरज ढिल्लों, डा. गुरवीर सिंह, डा. राजन सिद्धू, कुलदीप सिंह, आनोद कुमार,स्वरूप सिंह, अमनिंदर सिंह भी शामिल रहे।   शहीद करतार सिंह सराभा डेंटल कालेज और अस्पताल के स्टाफ ने घायलों की सेवा और उपचार के लिए ट्रैक्टर मार्च के दौरान सख्त मेहनत की। 

डाक्टरों की टीम ने बताया कि लगातार दो महीनों से बॉर्डरों पर बैठे इन किसानों की स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ने की आशंका है। इसके साथ ही डाक्टरों की इस टीम ने प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण लेकिन पूरी तरह सतर्क रहने की भी अपील की। 

No comments: