Sunday, September 27, 2020

राष्ट्रपति ने दी तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी

 अब और उग्र सकता है किसान आंदोलन  

नयी दिल्ली: 27 सितंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रविवार को तीन कृषि विधेयकों को मंजूरी दे दी है और इसके  आंदोलन और तीखा होने का आसार बढ़ गए हैं। आने वाले दिनों  में  और उग्र होगा और टकराव बढ़ेगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों ने किसानों के दिलों का गुस्सा और बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि इन तीन कृषि विधेयकों के चलते ही एक उग्र राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ है और खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान तीखे और एकजुट विरोध प्रदर्शनपर उत्तर आये। 

नए  घटनाक्रम में गज़ट अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दे दी है। ये विधेयक हैं:-

1. किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020

2. किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 

और 

3.  आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020

इन तीनों कानूनों में  कृषि से सबंधित हर क्षेत्र कारपोरेट  पहुंच में  आ आ जाता है।  उत्पादन से लेकर फसल की बिक्री तक क्षेत्र में कारपोरेट का सीधा दखल। किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 का उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक का उद्देश्य अनुबंध खेती की इज़ाज़त देना है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है। 

उल्लेखनीय है कि संसद ने पिछले सप्ताह इन विधेयकों को मंजूरी दी थी और इनका मकसद कृषि क्षेत्र का उदारीकरण करना और किसानों को बेहतर कीमत के लिए अपनी उपज कहीं भी बेचने की इजाजत देना है। विपक्ष ने हालांकि इन विधेयकों की आलोचना की है। उनका आरोप है कि इन विधेयकों को संसदीय परंपराओं की अनदेखी करते हुए असंवैधानिक तारीके से पारित किया गया है। विपक्ष ने राष्ट्रपति से भी इन विधेयकों को वापस लौटाने का अनुरोध किया था। इन विधेयकों का विरोध राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते संसद में तीन में से दो विधेयकों के पारित होने के बाद कहा था कि इससे करोड़ों किसानों को ताकत मिलेगी। दूसरी तरफ किसान प्रधानमंत्री मोदी की इस बात पर यकीन करने को बिलकुल भी तैयार नहीं। किसानों का सवाल है कि दुनिया में जहां भी यह कानून लागू हुए हैं वहां के किसानों  की क्या हालत हुई है उन्हें यह बताया जाये। 


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