बहु-करोड़पति साईबर बैंक फ्रॉड का किया पर्दाफाश
चंडीगढ़: 27 अगस्त 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
पंजाब पुलिस स्टेट साईबर क्राइम सैल ने राज्य में आधुनिक सूचना तकनीक के द्वारा बहु-करोड़पति साईबर बैंक घोटाले का पर्दाफाश करके बड़ी सफलता हासिल की है और गिरोह के मुख्य सरगना अमित शर्मा उर्फ नितिन को काबू कर लिया है, जो पिछले करीब 7 महीनों से फऱार चल रहा था। इस सम्बन्ध में उस दोषी के खि़लाफ़ थाना स्टेट साईबर क्राइम, एसएएस नगर में आईपीसी की धारा 420, 465, 468, 471, 120 बी, आईटी कानून की धारा 66, 66-सी, 66-डी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए ब्यूरो ऑफ इनवैस्टीगेशन के डायरैक्टर-कम-एडीजीपी श्री अर्पित शुक्ला ने बताया कि साईबर क्राइम सैल ने इस केस की जांच एचडीएफसी बैंक के लोकेशन मैनेजर विजय कुमार की शिकायत पर की है, जिसने दोष लगाया है कि एचडीएफसी बैंक खाते से लगभग 2 करोड़ रुपए की तकनीकी ढंग से धोखाधड़ी की गई है। पुलिस को पड़ताल के दौरान यह पता लगा कि साईबर धोखाधड़ी करने वाले ने नैट बैंकिंग के द्वारा खाते से पैसे निकाल कर 5 अलग-अलग बैंक खातों में भेज दिए। उन्होंने कहा कि यह बैंक खाते नकली पहचान पत्रों के द्वारा खोले गए थे और इसके बाद खातों से एटीएम और स्वै-चैक के द्वारा नकदी निकलवाई गई।
इस साईबर अपराध की कार्यप्रणाली संबंधी बताते हुए बीओआई के प्रमुख ने कहा कि धोखाधड़ी करने वालों ने बहुत चालाकी के साथ पीडि़त के बैंक खाते के साथ रजिस्टर किए गए ईमेल आईडी और मोबाइल नंबरों को उसी जैसे मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी में तबदील कर दिया, जिस कारण मुलजि़म अपने इन मोबाइल नंबरों और ईमेल आईडी के द्वारा उसके खातों का वर्चुअल कंट्रोलर बन गया।
इस केस में अमित शर्मा उर्फ नितिन ने अपने आप को अकाश अरुण भाटिया (केस का पीडि़त) के तौर पर अपनी पहचान बनाई और उसके (भाटिया) बैंक खातों की इन्टरनेट बैंकिंग पहुँच हासिल कर ली। इसके बाद मुलजि़म ने नकली दस्तावेज़ जमा करवा कर विक्रम सिंह के नाम पर खोले और पाँच अलग-अलग खातों में पैसे तबदील कर लिए।
उन्होंने आगे बताया कि जांच के दौरान सभी सरकारी पहचान प्रमाण, जिनमें चिप आधारित ड्राइविंग लायसेंस, पैन कार्ड, होलोग्राम वाला वोटर आईडी कार्ड आदि और बैंक खाता खोलने और मोबाइल नंबर प्राप्त करने के लिए मुहैया करवाए गए निजी पहचान दस्तावेज़ (केवाईसी) भी नकली पाए गए। इन धोखेबाज़ों ने एटीएम कार्डों और चैकों के द्वारा सारे पैसे निकलवा लिए, जिससे पुलिस को कोई सुराग न मिल सका। इसके अलावा, मोबाइल नंबर सिफऱ् अपराध करने के समय ही इस्तेमाल किए जाते थे और उसके बाद नॉट-रीचेबल हो जाते थे।
इसका और विवरण देते हुए श्री अर्पित शुक्ला ने कहा कि जांच के दौरान मोबाइल फ़ोन की लोकेशन से पता लगा कि लुटेरे लुधियाना से गिरोह चला रहे थे। पड़ताल के दौरान पुलिस जांच टीम को पुलिस के स्रोतों से गुप्त जानकारी मिली और इस खुलासे के साथ मुलजि़म की पहचान हो गई। इस ऑप्रेशन के दौरान उस क्षेत्र की परीक्षक टीम द्वारा ख़ुद जांच और घर-घर तस्दीक की गई जहाँ यह फ़ोन एक्टिव थे।
उन्होंने बताया कि शारीरिक बनावट और सामने आ रहे विवरणों के आधार पर इस मामले में 3 मुलजि़म नामज़द किए गए और इनमें से दो मुलजि़म राजीव कुमार पुत्र देव राज और दीपक कुमार गुप्ता पुत्र दर्शन लाल गुप्ता निवासी शिमलापुरी को शिमलापुरी, लुधियाना से 28-01-2020 को गिरफ़्तार कर लिया था, परन्तु यह मुख्य मुलजि़म उस समय पर फऱार होने में सफल हो गया।
उन्होंने कहा कि इस साईबर अपराधी अमित शर्मा उर्फ नितिन पुत्र राम लाल निवासी दयोल एन्क्लेव, लुधियाना को पकडऩे के लिए एसएचओ साईबर क्राइम भगवंत सिंह की एक विशेष टीम बनाई गई। इस फऱार दोषी के विरुद्ध पंजाब और हरियाणा राज्य के अलग-अलग थानों में 6 एफआईआर दर्ज हैं और वह ऐसी करोड़ों की धोखाधड़ी में वांछित था।
जि़क्रयोग्य है कि मुलजि़म सूचना तकनीक के साथ विवरणों को बदल कर बैंक खातों को हैक करते थे। यह मुलजि़म 28-01-2020 को पुलिस पार्टी को चकमा देकर फऱार हो गया था, जब उसके सह मुलजि़मों को जांच टीम ने लुधियाना के एक जिम से गिरफ़्तार किया था, जहाँ उस दिन उसे काबू करने के लिए जाल बिछाया गया था। इन मुलजि़मों की गिरफ़्तारी के साथ, करोड़ों रुपए की साईबर धोखाधड़ी के साथ सम्बन्धित सभी केस हल हो गए। इस सम्बन्धी अगली जांच के दौरान और खुलासे होने की संभावना है।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए ब्यूरो ऑफ इनवैस्टीगेशन के डायरैक्टर-कम-एडीजीपी श्री अर्पित शुक्ला ने बताया कि साईबर क्राइम सैल ने इस केस की जांच एचडीएफसी बैंक के लोकेशन मैनेजर विजय कुमार की शिकायत पर की है, जिसने दोष लगाया है कि एचडीएफसी बैंक खाते से लगभग 2 करोड़ रुपए की तकनीकी ढंग से धोखाधड़ी की गई है। पुलिस को पड़ताल के दौरान यह पता लगा कि साईबर धोखाधड़ी करने वाले ने नैट बैंकिंग के द्वारा खाते से पैसे निकाल कर 5 अलग-अलग बैंक खातों में भेज दिए। उन्होंने कहा कि यह बैंक खाते नकली पहचान पत्रों के द्वारा खोले गए थे और इसके बाद खातों से एटीएम और स्वै-चैक के द्वारा नकदी निकलवाई गई।
इस साईबर अपराध की कार्यप्रणाली संबंधी बताते हुए बीओआई के प्रमुख ने कहा कि धोखाधड़ी करने वालों ने बहुत चालाकी के साथ पीडि़त के बैंक खाते के साथ रजिस्टर किए गए ईमेल आईडी और मोबाइल नंबरों को उसी जैसे मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी में तबदील कर दिया, जिस कारण मुलजि़म अपने इन मोबाइल नंबरों और ईमेल आईडी के द्वारा उसके खातों का वर्चुअल कंट्रोलर बन गया।
इस केस में अमित शर्मा उर्फ नितिन ने अपने आप को अकाश अरुण भाटिया (केस का पीडि़त) के तौर पर अपनी पहचान बनाई और उसके (भाटिया) बैंक खातों की इन्टरनेट बैंकिंग पहुँच हासिल कर ली। इसके बाद मुलजि़म ने नकली दस्तावेज़ जमा करवा कर विक्रम सिंह के नाम पर खोले और पाँच अलग-अलग खातों में पैसे तबदील कर लिए।
उन्होंने आगे बताया कि जांच के दौरान सभी सरकारी पहचान प्रमाण, जिनमें चिप आधारित ड्राइविंग लायसेंस, पैन कार्ड, होलोग्राम वाला वोटर आईडी कार्ड आदि और बैंक खाता खोलने और मोबाइल नंबर प्राप्त करने के लिए मुहैया करवाए गए निजी पहचान दस्तावेज़ (केवाईसी) भी नकली पाए गए। इन धोखेबाज़ों ने एटीएम कार्डों और चैकों के द्वारा सारे पैसे निकलवा लिए, जिससे पुलिस को कोई सुराग न मिल सका। इसके अलावा, मोबाइल नंबर सिफऱ् अपराध करने के समय ही इस्तेमाल किए जाते थे और उसके बाद नॉट-रीचेबल हो जाते थे।
इसका और विवरण देते हुए श्री अर्पित शुक्ला ने कहा कि जांच के दौरान मोबाइल फ़ोन की लोकेशन से पता लगा कि लुटेरे लुधियाना से गिरोह चला रहे थे। पड़ताल के दौरान पुलिस जांच टीम को पुलिस के स्रोतों से गुप्त जानकारी मिली और इस खुलासे के साथ मुलजि़म की पहचान हो गई। इस ऑप्रेशन के दौरान उस क्षेत्र की परीक्षक टीम द्वारा ख़ुद जांच और घर-घर तस्दीक की गई जहाँ यह फ़ोन एक्टिव थे।
उन्होंने बताया कि शारीरिक बनावट और सामने आ रहे विवरणों के आधार पर इस मामले में 3 मुलजि़म नामज़द किए गए और इनमें से दो मुलजि़म राजीव कुमार पुत्र देव राज और दीपक कुमार गुप्ता पुत्र दर्शन लाल गुप्ता निवासी शिमलापुरी को शिमलापुरी, लुधियाना से 28-01-2020 को गिरफ़्तार कर लिया था, परन्तु यह मुख्य मुलजि़म उस समय पर फऱार होने में सफल हो गया।
उन्होंने कहा कि इस साईबर अपराधी अमित शर्मा उर्फ नितिन पुत्र राम लाल निवासी दयोल एन्क्लेव, लुधियाना को पकडऩे के लिए एसएचओ साईबर क्राइम भगवंत सिंह की एक विशेष टीम बनाई गई। इस फऱार दोषी के विरुद्ध पंजाब और हरियाणा राज्य के अलग-अलग थानों में 6 एफआईआर दर्ज हैं और वह ऐसी करोड़ों की धोखाधड़ी में वांछित था।
जि़क्रयोग्य है कि मुलजि़म सूचना तकनीक के साथ विवरणों को बदल कर बैंक खातों को हैक करते थे। यह मुलजि़म 28-01-2020 को पुलिस पार्टी को चकमा देकर फऱार हो गया था, जब उसके सह मुलजि़मों को जांच टीम ने लुधियाना के एक जिम से गिरफ़्तार किया था, जहाँ उस दिन उसे काबू करने के लिए जाल बिछाया गया था। इन मुलजि़मों की गिरफ़्तारी के साथ, करोड़ों रुपए की साईबर धोखाधड़ी के साथ सम्बन्धित सभी केस हल हो गए। इस सम्बन्धी अगली जांच के दौरान और खुलासे होने की संभावना है।
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