Monday, May 18, 2020

22 मई को पंजाब में भी रोष प्रदर्शन करने का ऐलान

Monday: 18th May 2020:4:26 PM
16 जन संगठनों द्वारा देश स्तरीय आह्वान पर फैसला 
चण्डीगढ़:18 मई 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::  
ट्रेड यूनियनों द्वारा 22 मई को देश भर में रोष प्रदर्शन करने के आह्वान के तहत पंजाब के 16 मज़दूर-मुलाज़िम, किसान, नौजवान, विद्यार्थी संगठनों ने भी राज्य भर में रोष प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यह जानकारी आज मज़दूर नेताओं राजविन्दर सिंह, लछमण सिंह सेवेवाला, जगरूप सिंह, प्रमोद कुमार और किसान नेताओं जोगिन्द्र सिंह उगराहाँ, कंवलप्रीत सिंह पन्नू द्वारा जारी सांझे प्रेस विज्ञप्ति में दी गई। नेताओं ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों ने कोरोना संकट को बहाना बना कर मज़दूर वर्ग पर तीखा राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक हमला किया है। विभिन्न राज्यों में 8 घंटों की जगह 12 घंटे कार्यदिवस लागू करने समेत अन्य क़ानूनी श्रम अधिकारों का हनन किया गया है और किया जा रहा है। पंजाब में भी बारह घंटे कार्यदिवस लागू करने तैयारी है। भाजपा की उत्तर-प्रदेश सरकार ने तो लगभग सभी श्रम कानून ख़त्म करने का ऐलान कर दिया है। ज़रूरत तो इसकी थी कि कमज़ोर श्रम कानूनों को मज़दूरों के पक्ष में मज़बूत बनाया जाये परन्तु सरकारें न सिर्फ़ इनको ओर कमज़ोर बनाने पर तुलीं थी बल्कि अब तो ख़त्म ही कर रही हैं। यह प्रक्रिया पहले ही जारी थी परन्तु कोरोना संकट के बहाने और लॉकडाउन का फ़ायदा उठा कर इस मज़दूर विरोधी और देशी-विदेशी पूँजीवादी एजंडे को अंजाम दिया रहा है। इस तरह सरकारें पूँजीपतियों को मज़दूरों से जैसे मर्ज़ी लूट-खसोट और अन्य बेइन्साफ़ी करने की पूरी छुट दे रही हैं।
          नेताओं ने कहा सरकारों ने कोरोना संकट के हल के लिए उचित कदम उठाने की जगह इसको और भी गंभीर बनाया है। उन्होंने दोष लगाया कि हुकूमत द्वारा कोरोना से बचाव के बहाने जनता पर थोपे गए ग़ैर-जनवादी और दमनकारी लॉकडाउन के ज़रिए मज़दूरों-मेहनतकशों को भुखमरी, शारीरक कमज़ोरी, कोरोना और अन्य बीमारियों से नुकसान का ख़तरा बढ़ाने, पैदल व साईकिलों के ज़रिए लंबे सफरों, पुलिस दमन, नाजायज गिरफ़्तारियों, हादसों, आत्महत्यों आदि मुसीबतों के मुँह में धकेलने की आपराधिक भूमिका निभाई गई है जिसके लंबे समय तक भयानक नतीजे मज़दूरों तथा अन्य जनता को भुगतने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याएँ दूर करने की जगह सरकारें ‘‘देश’’ तथा ‘‘राज्य ’’ को कोरोना और लॉकडाउन से हुए नुकसान का बहाना बना कर आर्थिक पैकेज के नाम पर पूँजीपतियों को सरकारी ख़ज़ाना लुटा रही हैं और बिजली क्षेत्र समेत तमाम जन-सेवाओं के उपक्रमों के मुकम्मल निजीकरण के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। सरकारें जनता पर नए टेक्स थोपने की तैयारी कर रही हैं। खेती को राहत के नाम पर खेती उपभोग उत्पाद के उद्योगपतियों को लुटाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ़ जनता को कोरोना संकट, लॉकडाउन और अन्य भयानक मुसीबतों के मुँह में धकेल कर बड़ा राजनीतिक-आर्थिक हमला किया जा रहा है। संगठनों ने मज़दूर वर्ग, अन्य सभी मेहनतकशों तथा जनवादी लोगों को हुक्मरानों के इस हमले के ख़िलाफ़ ज़ोरदार संघर्ष और 22 मई के प्रदर्शनों में सावधानियाँ रखते हुए शामिल होने का निमंत्रण दिया है।
इन 16 संगठनों में टेक्स्टाल-हौज़री कामगार यूनियन, पॉवर कॉम एंड ट्रांसको ठेका मुलाज़िम यूनियन, पंजाब खेत मज़दूर यूनियन, टेक्निकल सर्विसज़ यूनियन, भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहाँ), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन, जल स्पलाई एवं सेनिटेशन कंट्रैक्ट वर्कर्ज़ यूनियन पंजाब (रजि. नं 31), नौजवान भारत सभा (ललकार), पी.एस.यू. (शहीद रंधावा), नौजवान भारत सभा, पी.एस.यू. (ललकार), कारख़ाना मज़दूर यूनियन, गुरू हरगोबिंद थर्मल प्लांट लहरा मोहब्बत ठेका मुलाज़िम यूनियन आज़ाद, ठेका मुलाज़िम संघर्ष कमेटी पॉवर कॉम (ज़ोन बठिंडा) और पंजाब रोडवेज़ /पनबस कंट्रैक्ट वर्कर्ज़ यूनियन शामिल हैं।

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