27th March 2020 at 11:32 AM
मनमर्ज़ी की दवाओं और घरेलू टोटकों से हो सकता है नुकसान
लुधियाना: 27 मार्च 2020: (एम एस भाटिया//कार्तिका सिंह)::
कोरोना संकट के चलते हालात बहुत नाज़ुक और विकराल बन गए हैं। लोग स्वास्थ्य समस्यायों को ले कर बहुत अजीब सी उलझनों में हैं। ज़रा से छींक आ जाये या ज़रा सी खांसी तो उन्हें लगता है कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं हो गया? इसी तरह दर्द हो तो आशंका लगती है कि कहीं कोरोना का फ़्लू तो नहीं हुआ? ऐसे में बहुत से लोग डर के मारे डाक्टरों के पास भी नहीं जाते कि वहां से कहीं वहां से उन्हें आईसोलेशन हाऊस में भेज दिया जाये। आशंकाओं से घिरे हुए लोग या तो घरेलू टोटकों का सहारा लेते हैं या फिर मन मर्ज़ी की दवाओं का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। इससे उनकी स्वास्थ्य मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। ऐसी स्थिति में डाक्टर अरुण मित्रा ने बहुत पते की बात कही है। उन्होंने कहा है छोटे अस्पतालों और क्लीनिकों की ओपीडी सेवाएं तुरंत चालू करके ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधी मामलों में राहत दी जा सकती है। गौरतलब है कि यह मांग उठाने वाले डा. अरुण मित्रा आईपीडी के वाईस प्रेजिडेंट भी हैं। आईपीडी अर्थात इंडियन डाकटरज़ फॉर पीस एंड डिवेलपमेंट लम्बे समय से भेदभाव के मानवता के भले के लिए सक्रिय है।
डा. अरुण मित्रा ने कहा कि कोरोना संकट के चलते आम लोग बहुत ही मुश्किलों में हैं। सरकारी और गैर सरकारी कोशिशों के बावजूद आम लोगों तक वह राहत नहीं पहुंच रही जैसा कि ज़रूरत है। राशन के साथ साथ मुख्ख समस्या स्वास्थ्य सबंधी दिक्क्तों की भी हैं। कोरोना से डरे हुए लोग बेहद डर और दुविधा में हैं। गली मोहल्लों में उनके आसपास न कोई अस्पताल खुला है और न ही कोई क्लिनिक। ऐसे में लोग जो भी दवा अपने या पड़ोसी के घर में पड़ी मिलती है उसे ही लेने लगते हैं। कोई डाक्टर की पर्ची मिल भी जाये तो भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। ऐसी हालत में यही उचित होगा कि गल्ली मोहल्लों के क्लिनिक भी तुरंत खोले जाएं और वहां ओपीडी जैसी तुरंत शुरू की जाएं।
डाक्टर मित्रा ने इस संबंध में एक प्रेस बयान जारी करते हुए सरकार से भी मांग की कि ओपीडी सेवाएं तुरंत शुरू करने की आज्ञा सभी सबंधित क्लीनिकों को दी जाये। छोटे अस्पतालों और क्लीनिकों में ओपीडी सेवाएं शुरू करके लोगों को बहुत बड़ी राहत दी जा सकेगी।
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