Nov 21, 2018, 3:06 PM
इस समस्या के कारण दूसरी शादी भी थी टूटने की कगार पर
लुधियाना: 21 नवंबर 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आधुनिक जीवन शैली और अन्य कारणों की वजह से इरेक्टिल डिसफंक्शन अर्थात नपु्ंसकता या शीघ्र पतन की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन एक करोड़ से अधिक मामले तो अकेले भारत में ही सामने आ रहे हैं। नपुंसकता की यह समस्या किसी शारीरिक या मानसिक अवस्था का गहरा संकेत हो सकता है। इसका विश्लेषण करने से ही इस समस्या के सही कारणों का पता लगाया जा सकता है। निरंतर गंभीर हो रही इस कारण जहाँ तनाव बढ़ रहा है वहीँ रिश्तों में मनमुटाव की भी वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। कुल मिला कर यह समस्या ज़िंदगी का एक ऐसा दुखद दर्द बन जाती है जिसे सभी के साथ बांटा भी नहीं जा सकता। यह समस्या केवल पंजाब या अन्य भारतीय राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे लोगों को भी है। लुधिया के एक प्रसिद्ध अस्पताल से जुड़े एक डाक्टर ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसे ें आर आई का इलाज किया है जिसकी इस समस्या का निदान कैनेडा में भी नहीं हो सका था।
कनाडा में रहने वाले एनआरआई सुरजीत (बदला हुआ नाम) को आ रही इरेक्टिल डिसफंक्शन (नपु्ंसकता/शीघ्र पतन) की समस्या के कारण उसकी दूसरी शादी भी टूटने के कगार पर पहुंच गई थी। क्योंकि वह सेक्सुअल तौर पर अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पा रहा था। जब किसी भी डॉक्टर का इलाज उसके काम नहीं आया तो उसने अंतिम स्पेट के तौर पर दीप हॉस्पिटल के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. आनंद सहगल से संपर्क किया। उन्होंने पेनिल इंप्लांट सर्जरी के जरिए सिलीकॉन सिलेंडर इंप्लांट करके इस समस्या का स्थाई समाधान कर दिया।
बुधवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दीप हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. आनंद सहगल ने बताया कि 17 नवंबर को अस्पताल के एक्सट्रा मॉडर्न ऑपरेशन थिएटर में उसकी पेनिल इंप्लांट सर्जरी की गई। जिसके जरिए इंपोर्टेड इन्फ्लाटेबल सिलिकॉन सिलेंडर इंप्लांट किए गए। जिस कारण इरेक्टिल फंक्शन ठीक तरह से काम करने लगा। सर्जरी के दौरान इंप्लांट करते समय सावधानी बरतते हुए वैक्टीरिया फ्री माहौल की जरूरत होती है। ताकि रिजल्ट शत-प्रतिशत सही हो। इस सर्जरी में ढाई घंटे का समय लगा। इंप्लांट के लिए इस्तेमाल किया गया सामान अमेरिकन मेडिकल सिस्टम्स (एएमएस) कंपनी से मंगवाया गया था। प्रोसीजर के कुछ घंटों बाद से ही सुरजीत ने भोजन लेना शुरू कर दिया और दूसरे दिन ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. सहगल ने बताया कि यह इंप्लांट सर्जरी उन लोगों के लिए वरदान है, जो इस तरह की समस्या झेल रहे हैं और दवा से उनका इलाज नहीं हो पा रहा। उन्होंने बताया कि डाइबिटीज मेलिटस, एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण ब्लड सप्लाई में कमी और हार्मोनल असंतुलन समेत कई कारणों से यह समस्या आ सकती है। हाइपरलिपिमीडिया, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस, मोटापा, वजन ज्यादा होना व स्मोकिंग इस समस्या को जन्म देते हैं। एक्सरसाइज नहीं करना भी इसका कारण बनता है। लगातार एक्सरसाइज करके और शारीरिक व मानसिक तौर पर फिट रहकर इस समस्या से बचा जा सकता है।
दीप हॉस्पिटल के एमडी डॉ. बलदीप सिंह ने कहा कि उनके अस्पताल में यूरोलॉजी के फील्ड में विश्व स्तरीय रीकंस्ट्रक्टिव व आधुनिक सर्जरी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस कारण लोगों को अब इस तरह की समस्याओं के लिए देश के दूसरे शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दूसरी तरफ होम्योपैथी, आयुर्वेद और योग चिकत्सा में इस समस्या के सफल इलाज का दवा किया जाता है जिसकी चर्चा हम किसी अन्य पोस्ट में करेंगे।
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