शिव मंदिर फिल्लौर में भी मनाया गया गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व
28 नवंबर 2018 को प्राचीन शिव मंदिर नगर (फिलौर) से लौट कर पंजाब स्क्रीन टीम
बात केवल कोई पर्व मनाने की नहीं है। गुरुपर्व हो, रामनौमी हो, जन्माष्टमी हो, ईद हो या क्रिसमिस। इन त्योहारों को हम अपनी आस्था के मुताबिक घर में शायद ज़्यादा अच्छी तरह मना सकते हैं। शोर शराबे और भागदौड़ से कुछ समय के लिए दूर रह कर अपने गुरुओं, पीरों, पैगंबरों और अवतारों से जुड़ कर, उनके उपदेशों का मर्म समझ कर। कुछ देर के लिए ही सही उनके संघर्षों भरे जीवन का मनन करके। भगवान और उनके दूत दिखावा नहीं केवल प्रेम चाहते हैं।
मीरा को ज़हर दिया जाना और मीरा का ज़हर पीना आज भी यही बताता है कि आस्था से प्रेम आसान नहीं होता। सिर को हथेली पर लेकर आना पढ़ता है प्रेम की गली में। सलीब केवल ईसा को मिली ऐसा मत सोच लेना। आस्था और विश्वास पर टिकोगे तो आज भी सलीब पर चढ़ना पड़ सकता है। माता चंद कौर की दिन दिहाड़े हत्या यही दिखा रही है कि आज भी माहौल उसी तरह का बन गया है। आज भी ज़हर का प्याला, गोली या सलीब ही है धर्म के मार्ग पर चलने का परिणाम। जो मौत में भी जीवन देख सके वही इस रास्ते पर आये। भयभीत और स्वार्थ या लालच से भरे लोगों का इस रह पर आना सभव ही नहीं।
गुरुओं, पीरों, पैगंबरों और अवतारों की मानोगे तो सत्य की राह पर चलना पड़ेगा। सत्य की राह पर चलना हो तो अपने सिर को हथेली पर रखने को तैयार रहना। आसान नहीं होगा इस राह पर चलना। असत्य और अन्याय की तरफ धनवान और बाहुबली होंगें और सत्य की तरफ केवल संघर्ष और प्रेम होगा। चुनाव आप ने ही करना है लेकिन ध्यान से करना। कंस की तरफ खड़े होना है या कृष्ण की तरफ। बाबर की तरफ या नानक की तरफ।
अपने अपने समय में सभी गुरुओं और अवतारों ने अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। गलत को गलत कहा। शोषण का विरोध किया। इसके साथ ही एकता का संदेश भी दिया लेकिन सिर को हथेली पर रख कर ही दिया। इस एकता ने ही बड़े बड़े तख्तनशीनों को उखाड़ फेंका। गुंडागर्दी उस समय भी थी। बाहुबलियों का दुरपयोग उस समय भी होता था।
इस सारी जंग में उनकी कुर्बानियों को चमत्कारों का नाम दे कर छोटा मत करो। उनको मानना है तो उनके बताये मार्ग पर चलो। आज भी खतरे उसी तरह मौजूद हैं। फैसला आपके हाथ में है। सत्य की तरफ आना है या झूठ की तरफ जाना है। कोई मजबूरी भी नहीं है। अंतरात्मा की आवाज़ सुननी है या इसको अनसुना करना है। इसका फैसला आपके हाथ में है।
आज यहाँ प्राचीन मदिर में जो लोग एकत्र हुए हैं वे अपनी मर्ज़ी से अपने कामकाज छोड़ कर आए हैं। इनको समझ में आ चुका है कि बाहुबलियों के शोषण को समाप्त करना है तो एकता करनी होगी। एकता में प्रताप है-पंथ तोड़ना पाप है। मंदिर में गूंज रहे गुरु नानक देव जी के जैकारे और शब्द गुरुनानक देव जी के जीवन का संघर्ष याद दिला रहे हैं।
यहां ठाकुर दलीप सिंह जी की प्रेरणा से मंदिर कमेटी ने श्री गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाने का आयोजन किया है। करीब एक हज़ार वर्ष पुराने इस मंदिर में भजन भी गाए जा रहे हैं और शब्द भी। मंदिर में लगा नामधारी प्रमुख ठाकुर दलीप सिंह का बैनर बता रहा है कि इस मंदिर में भी गुरु पर्व मनाने का संदेश लागू हो चुका है। मंदिर के एक सेवादार अमरजीत सिंह बताते हैं कि वैसे तो वह यहाँ हर करने आते हैं लेकिन आज उनको यहाँ आ कर बहुत प्रसन्नता हुई है। इसी तरह मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहाँ इस तरह का आयोजन किसी चमत्कार से कम नहीं है। मंदिर की सेवा में आई मंदिर कमेटी महिलाओं में भी उत्साह है।
यहाँ पर हिन्दुओं और सिखों का उत्साह बता रहा है कि अब वही पहले जैसी एकता फिर से हो कर रहेगी। एकता तोड़ने वाले तत्वों को फिर मुँह की खानी पड़ेगी। इस अवसर पर नामधारी संगत भी मौजूद थी और मंदिर में आने वाली हिन्दू संगत भी। सभी ने श्री गुरु नानक देव जी की तस्वीर के सामने बहुत ही श्रद्धा से माथा टेका और शब्द गायन में हिस्सा लिया।
इस मंदिर में आई हुई संगत को देख कर लगता था जैसे मंदिरों में गुरु पर्व मनाने की बाढ़ सी आई हुई है। एकता की एक ऐसी आंधी जो फुट डालने अले तत्वों को अपने साथ ही उड़ा ले जाएगी।
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