[17:22, 2/3/2018]
पित्ते की पथरी पर डा. नरोत्तम दीवान ने किया सावधान
लुधियाना: 3 फरवरी 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
दीवान अस्पताल एंड एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सजर्री सेंटर के सेमिनार रूम में शनिवार को सीएमई का आयोजन किया गया। सीएमई में पित्ते की पथरी के इलाज व दूरबीन से ऑपरेशन के प्रसिद़्ध जनरल एंड लेप्रोस्कोपिक सजर्न डॉ.नरोत्तम दीवान ने ‘पित्ते की पथरी का समय पर ऑपरेशन कराने से होने वाली समस्याएं’ विषय पर संबोधित किया।
डॉ.दीवान ने कहा कि वैसे तो पित्ते की पथरी के बारे में पता चलने के तुरंत बाद ऑपरेशन करना जरूरी नहीं है लेकिन पेट में मामूली दर्द, हाजमा खराब होना, गैस ज्यादा बनने, उलटी आने या बुखार चढ़ने जैसे लक्ष्णों के बावजूद ऑपरेशन में देरी करना जानलेवा भी हो सकता है।
कई बार पित्ते की पथरी पित्ते से फसलकर पित्त की नलकी में फंसकर पित्त का रास्ता रोक देती है। इससे पित्त आंतड़ियों की बजाय रक्त में जाने लगता है। इससे मरीज की आंखें त्वचा व पेशाब पीला व शौच का रंग सफेद हो जाता है। मरीज के सारी त्वचा पर खुजली होने है। शरीर में विटामिन के की कमी हो जाती है। विटामिन के की कमी से खून जमने में खराबी आ जाती है और थोड़ी सी चोट पर भी बहुत ज्यादा रक्त बहता है।
इसके अलावा कई बर पित्ते की पथरियां ज्यादा देर रहने तक से पित्ते में सोजिश पड़ने से आसपास की आंतड़ियां उससे चिपक जाती हैं और एक गांठ का आकार ले लेती है। इससे मरीज का एक दम ऑपरेशन नहीं हो पाता है। उसे कुछ महीने दवा लेनी पड़ती है व दाखिल भी होना पड़ता है।
अगर पथरी एक और बड़ी हो तो वह सालों साल रहने के बाद पित्ते में कैंसर पैदा कर देती है। यह कैंसर जानलेवा होता है, क्योंकिा पित्ता जिगर के पास होने की वजह से कैंसर जिगर में बहुत तेजी से दाखिल हो जाता है, जिससे मरीज एकदम से कैंसर की आािखरी स्टेज में पहुंच जाता है।
इसी तरह पित्ते की पथरी के ऑपरेशन में देरी करने से पित्ते में मवाद पड़ जाता है या पित्ता गल जाता है। मवाद का प्रेशर ज्यादा पड़ने से पित्ता फब्ट जाता है जोकि खतरनाक स्थिति है। इसके इलाज में रिस्क भी रहता है।
इसी तरह मरीज को कोलेंजाइटिस बीमारी भी हो सकती है, जिसमें कुछ अर्सा पहले तक शत प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती थी। हालांकि अभी भी सात फीसदी डेथ रेट है।
इसमें मरीज को पीलिया, तेज बुखार व पेट के दाहिने में ऊपरी तरफ दर्द, तेज कंपकंपी होने लगती है। पित्ते की नलकियों में कीटाणु बहुत बढ़ जातो है और मवाद पैदा हो सकता है। वह कीटाणु व मवायद जिगर से होते हुए खून में चले जाते हैं, और सारे शरीर में मवाद, कीटाणाु व उसका जहर फैल जाता है। मरीज का ब्लड प्रेशन बहुत तेजी से गिर सकता है और उसके गुर्दे अैर फेफड़े फेल हो सकते हैं। इसके लिए बहुत तेजी से इलाज की जरूी रहीत है।
पित्ते की पथरी के इलाज में देरी से पेनक्रियाज ग्रंथी में सोजिश से पेनक्रिएटाइटिस बीमारी हो जाती है। पेनक्रियाज से निकलने वलो द्रव्य गुर्दे व फेफड़ों को फेल कर सकते हैं। इससे पेट में पानी व मवाद भर सकता है। मरीज का ब्लड प्रेशर गिर सकता है व उसकी रक्त की धमनियों में ही ब्लड जम जाता है। पेट में खून की धमनियों के जमने से रक्त बहना भी शुरू हो सकता है। पेनक्रियाज में सोजिश से मवाद पड़ जाने पर बार-बार ऑपरेशन करने पड़ते हैं। इसमें भी मरीज को बहुत लंबे समय तक अस्ताल या आईसीयू में दाखिल रहकर बार-बार ऑप्रेशन कराने पड़ सकते हैं। लेकिन फिर भी दस फीसदी मरीज बच नहीं पाते हैं।
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