Saturday 14 January 2017 at 22:45 PM (M) Updated on Sunday 15 January 2017 at 09:23 AM
चुनावी दौर में हिंसा की दस्तक से छायी सनसनी
श्री हिन्दू तख्त के ज़िला प्रचारक अमित शर्मा की आज देर शाम लुधियाना में गोलियां मार कर हत्या कर दी गयी। चुनावी दौर में आतंक की इस दस्तक ने सनसनी सी पैदा कर दी है। यह हत्या उस समय हुई जब अमित अपनी कार पार्क करके अपने एक दोस्त की दुकान की तरफ जा रहे थे। अमित के दोस्त की वहां फूलों की दूकान है। गौरतलब है कि श्री दुर्गा माता मन्दिर के एन नज़दीक होने के कारण वहां फूलों का कारोबार बहुत बड़े पैमाने पर होता है। ज्यों ही अमित उस दूकान की तरफ चले तो वहां अचानक आये हमलावरों ने उन पर गोलियां चलायीं। अमित शर्मा को चार गोलियां लगीं और मौके पर ही उनकी मौत हो गयी। वहां बैठे किसी भिखारी ने बताया कि हमलावर मोटरसाइकल पर थे। अपुष्ट खबरों के मुताबिक हमलावरों की संख्या चार भी सुनी गयी है जो दो बाइक्स पर सवार।
जहां हत्या हुई वह जगह थाने के एन नज़दीक है और वहां करीब सारी रात ट्रैफिक गुज़रता है। वहां से जाती सड़कों के रास्ते में पुलस की सख्त नाकाबन्दी भी अक्सर होती है। इस घटना से हिंदू समाज में रोष है, वहीं शहर की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खुल गई है। भगवान चौक निवासी अमित का सिलाई मशीन का कारोबार है। वह दोराहा में निजी काम से गया था। वापसी में वह अपने दोस्त चंद्र कालरा से मिलने गया। जब वह अपनी कार से नीचे उतरा तो बुलेट पर सवार दो युवकों ने उस पर चार गोलियां चला दी और मौके से फरार हो गए। दो गोली अमित के लगी। अमित वहीं गिर गया। घटना के तुरन्त बाद वहां भीड़ जुट गयी और हिन्दू नेता भी वहां पहुंचे। पूरे इलाके में तनाव सा छा गया। गौरतलब है कि हिन्दू तख्त का ज़िला प्रचारक होने के साथ साथ अमित शर्मा ज़िला कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष भी थे। इसका उल्लेख उन्होंने बाकायदा अपने फेसबुक प्रोफ़ाइल में भी किया है। कुछ ही दिन बाद अमित का जन्मदिन भी आने वाला था।
उनके एक निकट साथी रोहित साहनी ने फोन पर बताया कि पार्किंग के वक़्त दो व्यक्ति अंधेरे का फायदा उठा कर अमित को गोलियां मार गए। रोहित के मुताबिक अमित की रिहायश लुधियाना के ढोलेवाल इलाके में थी और वह गत एक वर्ष से हिन्दू तख्त के साथ जुड़े हुए थे। नामधारी गुरुमाता चंद कौर, आर एस एस नेता जगदीश चन्द्र गगनेजा की जघन्य हत्यायों के बाद अमित शर्मा का कत्ल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है।
अमित के नज़दीकी रिश्तेदार प्रशांत जोशी ने भी बताया कि अमित के पिता का कुछ समय पहले देहांत हो चुका है। परिवार में उसकी तीन बहने हैं और वो अकेला भाई था। उसका आठ साल का बेटा भी है। पिता के जाने के बाद सारी जिम्मेदारी उसी पर थी। अमित शर्मा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय था। अमित ने घटना के एक दिन पहले यानी लोहड़ी के दिन फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें किसी अन्य समुदाय के सम्बन्ध में अपनी सोच के मुताबिक कुछ विचार भी लिखे गए थे। इन विचारों पर विवाद बहुत देर से कायम है और इस पर अक्सर कई बार बहस होती रही है। शायद कटटरपन्थियों को ये विचार नागवार गुज़रे। उन्होंने जून-2016 में भी एक पोस्ट डाल कर जून-1984 के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी थी।
अमित के नज़दीकी रिश्तेदार प्रशांत जोशी ने भी बताया कि अमित के पिता का कुछ समय पहले देहांत हो चुका है। परिवार में उसकी तीन बहने हैं और वो अकेला भाई था। उसका आठ साल का बेटा भी है। पिता के जाने के बाद सारी जिम्मेदारी उसी पर थी। अमित शर्मा सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय था। अमित ने घटना के एक दिन पहले यानी लोहड़ी के दिन फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें किसी अन्य समुदाय के सम्बन्ध में अपनी सोच के मुताबिक कुछ विचार भी लिखे गए थे। इन विचारों पर विवाद बहुत देर से कायम है और इस पर अक्सर कई बार बहस होती रही है। शायद कटटरपन्थियों को ये विचार नागवार गुज़रे। उन्होंने जून-2016 में भी एक पोस्ट डाल कर जून-1984 के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी थी।
उल्लेखनीय है कि उन्होंने कई बार अपनी जान को खतरा बताया था और पुलिस से सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी लेकिन उनको सुरक्षा नहीं मिली। दो-तीन दिन पहले भी वह इसी सिलसिले में उच्च अधिकारियों से मिले थे। हत्या के बाद हमलावर फरार होने में सफल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस कमिश्नर जेएस औलख, एडीसीपी, एसीपी समेत कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची, जिन्होंने अपनी गाड़ी में अमित को सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उधर, घटना की जानकारी मिलते ही हिंदु संगठनों के नेता घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने विरोध जताया। पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। अब देखना है कि चुनावी दौर में नाज़ुक हुए हालात किस करवट बैठते हैं।
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