कलम और सियासत का एक और गवाह चला गया
नई दिल्ली: 2 मई 2016(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
एथलेटिक्स और हॉकी के शौक़ीन खिलाडी बलराज मधोक जब 1938 में राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क में आये तो हमेशां के लिए संघ के ही होकर रह गए। उन्होंने राजनैतिक बदलावों के बावजूद न अपने विचार बदले न ही संगठन। बोलते थे तो उनके शब्द सीधा दिल में उतरते थे। कठिन से कठिन समय में भी हार न मानने वाले बलराज मधोक जिन विचारों को मानते थे उन पर खुल कर दते रहते थे। उनके जाने से प्रतिनद्ध लोगों में से एक और काम हो गया है और यह कमी पूरी होने वाली नहीं। युवा शक्ति को पहचान कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना करने वाले बलराज मधोक दूरअंदेश भी थे और स्पष्टवादी भी। उनकी रचनायें उस नाज़ुक दौर की गवाही देती हैं। जब अपने भी बेगाने हो गये थे उस समय भी बलराज मधोक अपने विचारों पर कायम रहे। वह खुद भी प्रोफेसर थे और उनका विबाह भी एक प्रोफेसर से ही हुआ। दो बेटियों के पिता बलराज मधोक जनता और ज़मीन से जुड़े हुए नेता थे। उनके संतुलित शब्दों में बहुत घरे अर्थ छिपे होते थे। उन जाने के बाद सोग की लहर व्याप्त है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री बलराज मधोक के निधन पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘बलराज मधोकजी की वैचारिक प्रतिबद्धता दृढ़ थी और उनमें अपार वैचारिक स्पष्टता थी। वह नि:स्वार्थ रूप से देश और समाज के प्रति समर्पित थे। मुझे बलराज मधोकजी के साथ अनेक अवसरों पर संवाद करने का सौभाग्य मिला। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार को मेरी सांत्वना।
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक को अंतिम श्रद्धांजलि देते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi paying his last respects to Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक के परिवार के सदस्यों को सांत्वना देते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi condoling the family members of Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.
***
एकेजे/एनआर-2324
नई दिल्ली: 2 मई 2016(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
एथलेटिक्स और हॉकी के शौक़ीन खिलाडी बलराज मधोक जब 1938 में राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क में आये तो हमेशां के लिए संघ के ही होकर रह गए। उन्होंने राजनैतिक बदलावों के बावजूद न अपने विचार बदले न ही संगठन। बोलते थे तो उनके शब्द सीधा दिल में उतरते थे। कठिन से कठिन समय में भी हार न मानने वाले बलराज मधोक जिन विचारों को मानते थे उन पर खुल कर दते रहते थे। उनके जाने से प्रतिनद्ध लोगों में से एक और काम हो गया है और यह कमी पूरी होने वाली नहीं। युवा शक्ति को पहचान कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना करने वाले बलराज मधोक दूरअंदेश भी थे और स्पष्टवादी भी। उनकी रचनायें उस नाज़ुक दौर की गवाही देती हैं। जब अपने भी बेगाने हो गये थे उस समय भी बलराज मधोक अपने विचारों पर कायम रहे। वह खुद भी प्रोफेसर थे और उनका विबाह भी एक प्रोफेसर से ही हुआ। दो बेटियों के पिता बलराज मधोक जनता और ज़मीन से जुड़े हुए नेता थे। उनके संतुलित शब्दों में बहुत घरे अर्थ छिपे होते थे। उन जाने के बाद सोग की लहर व्याप्त है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री बलराज मधोक के निधन पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘बलराज मधोकजी की वैचारिक प्रतिबद्धता दृढ़ थी और उनमें अपार वैचारिक स्पष्टता थी। वह नि:स्वार्थ रूप से देश और समाज के प्रति समर्पित थे। मुझे बलराज मधोकजी के साथ अनेक अवसरों पर संवाद करने का सौभाग्य मिला। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार को मेरी सांत्वना।
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक को अंतिम श्रद्धांजलि देते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi paying his last respects to Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक के परिवार के सदस्यों को सांत्वना देते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi condoling the family members of Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.
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एकेजे/एनआर-2324
1 comment:
Prof Prem raj Pushpakaran writes -- 2020 marks the birth centenary year of Bal Raj Madhok!!!
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