हत्या की साजिश को लेकर उठाये जालंधर की संगत ने कई सवाल
जालंधर: 17 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
माता चंद कौर की श्री भैणी साहिब के अंदर हत्या का मामला लगातार गहराता जा रहा है। इतने दिनों बाद भी पुलिस किसी हत्यारे को पकड़ नहीं पाई इस लिए संगत निराश भी है। एक तरफ लुधियाना में ठाकुर उदय सिंह के समर्थकों ने रोष प्रदर्शन किया वहीँ दूसरी तरफ ठाकुर दलीप सिंह से सबंधित समर्थकों ने इस मामले को लेकर कुछ सवाल उठाये हैं। हर पल नाम जपने वाली वृद्ध माता की इस जघन्य हत्या की इस सनसनीखेज वारदात में पंथ हितैषी नामधारी संगत ने मांग की है कि पुलिस को इस घटनाक्रम में जमीनी स्तर से जांच करनी चाहिए। कई ऐसे तथ्य हैं, जो संगत के मन में कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं, इसलिए इन सवालों के जवाब जनता के बीच लाने चाहिए ताकि इस सनसनीखेज हत्याकांड का सच सामने आ सके।
विश्व नौजवान नामधारी विद्ययक जत्था के प्रधान पलविंदर सिंह, जत्थेदार अमरीक सिंह, सलाहकार गुरमीत सिंह, प्रिंसिपल राजपाल कौर-जालंधर स्कूल ने मीडिआ से बातचीत करते हुए कहा कि माता चंद कौर जी का कत्ल दिल दहला देने वाली घटना है, जिससे पर्दा उठाना काफी जरूरी है। संगत के मन में उठ रहे इन सवालों का जवाब तत्काल जांच टीम को सामने लाना चाहिए। पहला सवाल तो यह है कि हाई सिक्योरिटी एरिया जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता वहां पर दो बाईकसवार युवक पिस्तौल लेकर अंदर कैसे पहुँच गए? क्या इनके साथ डेरे की कोई ताकत तो नहीं मिली हुई? अंदर आ कर क़त्ल कर कहाँ गायब हो गए? क्या उनको आसमान निगल गया या जमीन खा गई? डेरे के अंदर वह क्या उड़ कर आ गए और उड़ कर चले गए?
डेरे के अंदर व बाहर सीसी टीवी कैमरों की तीखी नजर है, फिर ये हत्यारे कैसे कैमरों से बचकर माता चंद कौर जी तक जा पहुंचे। क्या इनको अंदर से किसी ने पूरी मदद की थी ? जिसने माता चंद कौर जी के कार्यक्रम का पूरा ब्योरा तक बता दिया था? साथ ही समय व स्थान तक बता दिया था? दोनों हत्यारों को अंदर का ब्योरा आखिर किस ने दिया? यह जांच का विषय है।
हत्या वाले दिन माता चंद कौर जी के साथ सिक्योरिटी नहीं थी। यह बात हत्यारों तक कैसे पहुंची कि आज माता जी बिना सिक्योरिटी के ही कार्यक्रम में जा रहे हैं।पंथ हितैषी नामधारी संगत इन सवालों को लेकर दिन रात बेचैन है और इस हत्याकांड की सच्चाई तभी सामने आ सकती है अगर इन सवालों के उत्तर तलाशे जाएं। उन्होने मांग की कि पंजाब में बनाई गई एस आई टी अगर इन सवालों के उत्तर खोजने के लिए निकलती है तो हत्याकांड की सच्चाई बहुत जल्द सामने आ जाएगी।
इसी बीच मीडिया में पुलिस के हाथ बंधे होने की बात भी सामने आई है। हत्या के बाद आज तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत न लगने की मुख्य वजह जांच में जुटी पुलिस टीमों के हाथ बंधे होना ही है वरना पुलिस इतनी सक्षम है कि इसका सुराग तुरंत लगा ले। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक जितनी भी पुलिस पार्टियां माता जी के हत्यारों का पता लगाने के लिए नियुक्त की गई हैं, उनको ऊपर से सख्त हिदायत है कि किसी भी व्यक्ति को बिना ठोस सबूत न उठाया जाए जिससे बाद में पुलिस की किरकिरी हो और मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा होने के कारण राज्य के हालात पर कोई असर पड़े। उधर, जांच में जुटे अधिकारियों का मानना है कि पिछले 8-9 दिनों में अलग-अलग टीमों ने जितनी भी जानकारी एकत्र की है उसमें जिन-जिन लोगों पर शक की सूई जाती है, जब तक उन्हें उठाकर सख्ती से पूछताछ नहीं की जाती, तब तक मर्डर ट्रेस होना मुश्किल लगता है। पुलिस के जांच और तरीकों में रुकावट कौन?
यह स्थिति इस लिए भी गम्भीर है कि इस लम्बे वक़्त में जहाँ हत्यारे सबूत मिटने में कामयाब हो सकते हैं वहीँ देश से बाहर फरार होने में भी सफल हो सकते हैं। ऐसा न हो कि कहीं इस मामले की जाँच भी अवतार सिंह तारी के मर्डर मामले की तरह ठंडे बस्ते में चली जाये। दूसरी तरफ नामधारी समुदाय में प्राइवेट विदेशी सुरक्षा लाने की बातें भी सुनी गयी हैं। कुछ लोग अपना नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर यह भी कहते हैं कि सतगुरु जगजीत सिंह का देहांत होने के बाद श्री भैणी साहिब और अन्य नामधारी संस्थानों से जुडी चल अचल सम्पति किस किस ने तेज़ी से अपने नाम करवाने की कोशिश की है।
गौरतलब है कि ठाकुर उदय सिंह और ठाकुर दलीप सिंह दोनों भाई हैं। दोनों गुट खुद को वारिस बताते हैं। ठाकुर उदय सिंह ने मत चाँद कौर के भोग और अंतिम अरदास का आयोजन 10 अप्रैल 2016 को श्री भैणी साहिब में किया जबकि ठाकुर द लीप सिंह ने यह आयोजन जीवन नगर (सिरसा) में 9 अप्रैल 2016 को ही कर लिया था। ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों ने जब लुधियाना में 22 दिन लम्बी भूख हड़ताल की थी तो उस समय भी दावा किया था कि 80 प्रतिशत है फिर भी वह शांत रह कर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने केवल इतना कहा था कि जीवन नगर और भैणी साहिब की संगत प्रेम और सौहार्द के साथ पर आये जाए। उन्होंने स्प्ष्ट कहा था कि मुझे गद्दी नहीं केवल संगत और अपने लिए दोनों स्थानों के खुले दर्शनों की छूट चाहिए।
ठाकुर उदय सिंह के समर्थकों ने न केवल उनकी इस मांग को रद्द कर दिया था बल्कि लुधियाना में सिविल अस्पताल के निकट ऐतिहासिक नामधारी स्मारक में बने कुएं से नामधारी संगत को पानी देने से भी मना कर दिया था। धीरे धीरे यह टकराव बढ़ता चला गया और भूख हड़ताल समाप्त होने के बाद भैणी साहिब के निकट ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों पर हमला भी हुआ। नामधारी पलविंदर सिंह और कुछ अन्यों ने भाग कर अपनी जान बचाई। उसके बाद अमृतसर जिले में हुए एक आयोजन में भी ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों पर गोली चली। यह सब कुछ चल रहा था लेकिन वृद्ध मात चाँद कौर पर गोली चलने की बात किसी ने कल्पना में भी नहीं सोची थी। आखिर क्या कहने वाली थी मत चंद कौर जिसे रोकने के लिए उन्हें हमेशां की नींद सुला दिया गया। गौर तलब है कि केवल वही ऐसी शख्सियत थीं जिस का कहा नामधारी संगत बिना किसी भेदभाव के मान सकती थी। क्या उनकी हत्या उनके संभावित बोलों पर स्थायी सेंसरशिप थी? आखिर क्या कहना था उन्होंने दो चार दिनों में? संगत का दबाव बढ़ता देख कर उन्होंने क्या हल निकाला था दोनों गुटों को साथ साथ लाने का? कौन रोकना चाह रहा था वह समझौता फार्मूला? कौन कौन जानता था इस अंदर की बात को? अब कौन आगे आ सकता है माता चंद कौर के साथ अंतिम दिनों में बातों को सबके सामने रखने? क्या झगड़ा केवल गुर गद्दी और सम्पति का था या कुछ सिद्धांत भी आड़े आने लगे थे? ऐसे बहुत से सवाल है जिनकी चर्चा संगत आपस में बातों के दौरान तो करती है लेकिन खुल कर सामने आने की हिम्मत कौन दिखायेगा?
ਸਖਤ ਸੁਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਬੰਧਾਂ ਹੇਠ ਹੋਇਆ ਮਾਤਾ ਚੰਦ ਕੌਰ ਦਾ ਸੰਸਕਾਰ
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