Tue, Feb 17, 2015 at 8:23 AM |
इंदिरा सरकार को नसबंदी ले डूबी और मोरार जी को नशाबंदी -मनीराम शर्मा एक शराब निर्माता ने 6 करोड़ रूपये खर्च
करके मोराजी सरकार गिरा दी थी

जनता
पर आपको कर लगाने के बहुत ही सीमित अधिकार हैं | पिछलीबार जब हाई कोर्ट
की फीस बढाई गयी थी उसे भी दिल्ली सरकार के दायरे से बाहर मानकर उसे
निरस्त कर दिया था | अब नए वर्ष से जीएसटी लागू हो रहा है –केंद्र का
सिकंजा कसेगा , राज्यों की मुश्किलें और बढ़ जायेंगी | इस वर्ष व्यापार और
उद्योग लगभग ठप हैं, कर संग्रहण मात्र आधा ही हो पाया है | ऐसी स्थिति
में राज्य कर और केंद्र से मिलने वाली राशि में कटौती ही होगी फिर आपके इन
वादों का क्या होगा | जनता आपके इन लुभावने भाषणों को कितने दिनों तक
सुनेगी ? जनता को भाषण नहीं राशन चाहिए अब तक तो आपको भी पता लग गया होगा |
जहां तक केंद्र से सहयोग मिलने का प्रश्न है सो शीला दीक्षित भी केंद्र
को कोसती रहती थी जबकि केंद्र में उनकी ही पार्टी का शासन था | केंद्र में
अब तो आपका कोई विशेष हस्तक्षेप भी नहीं है |
आम नागरिक इस देश में
स्वभावतः बेईमान नहीं है और उनको बेईमान बनाने का श्रेय भी राजनेताओं को
ही जाता है | एक भूखे द्वारा अपने पेट की भूख मिटाने और ऐश के लिए चोरी
करने में अंतर होता है | मेरा अनुभव है कि वर्षा व फसल अच्छी होने पर खेत
में रास्ते पर पड़े फलों को भी यहाँ कोई नहीं उठाता है | वैसे भी 20000
रुपये महीना या अधिक कमाने वाले इस देश में मात्र 3% लोग ही हैं और उनमें
से भी 70% तो संगठित क्षेत्र के कर्मचारी हैं | देश की 70% जनसंख्या
सब्सिडी से मिलने वाले अन्न से अपना पेट भरती है | इस क्षुद्र राजनीति के
परिवेश में में आप क्या कुछ कर पाएंगे? न्यायाधीश जगमोहन लाला सिन्हा जब
इंदिराजी के विरुद्ध निर्णय देने वाले थे तो उनकी जान को भी ख़तरा था और
मजबूरन निर्णय उनको स्वयं ही टाइप करना पडा था | इंदिरा सरकार को नसबंदी
ले डूबी और मोरारजी को नशाबंदी | एक शराब निर्माता ने 6 करोड़ रूपये खर्च
करके मोराजी सरकार गिरा दी थी और चरणसिंह जी प्रधान मंत्री बने थे किन्तु
वे तो जांच आयोग और कमिटी की फाइलों में ही उलझकर रह गए , कभी संसद के
दर्शन भी नहीं कर पाए और वे सारी जांचें भी धरी रह गयी थी |
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