Friday, February 27, 2015

यदि सर्वहारा बज़ट नही बनेगा तो दिल्ली जैसे परिणाम भुगतने होंगें

Fri, Feb 27, 2015 at 8:20 PM
जो केजरीवाल की तरह ज़मीन से जुडेगा ,वही शासन करेगा !
आज भी भारत वर्ष मे रेल गरीब की सवारी है और कम किराये के कारण अन्य अवागमन के साधनो से अधिक प्राथमिकता के कारण सर्व ग्राह्य है! स्वतंत्रता के 67 वर्ष बाद भी प्रजातांत्रिक देश का नागरिक भेड़ बकरी की तरह यात्रा करने के लिये मज़बूर है, कारण यहाँ की बढती हुई आबादी, जो प्रतिवर्ष एक नया आस्ट्रेलिया जोड देती है। फ़िर भी नये रेल बज़ट मे किसी नई ट्रेन का संचालन न करके पुरानी ट्रेनो की हालत सुधारना, 400 वाई-फ़ाई स्टेशन बनाना एस्क्लेटर लगाना,लन्च आन मोबाईल आदि हास्यास्पद है या फ़िर पूँजी-पति वर्ग जो हवाई यात्रा करने के लिये सक्षम है, उसी को सहूलियतें पहुँचाने का प्रयास है! आखिर कब तक हम इस मानसिकता से ग्रसित रहेगे कि ए०सी मे बैठने और लेटने वाले नेता और सेक्रेटरीज़ अपनी सुविधाओं को ही ध्यान मे रखकर बज़ट
बनाते रहें? यदि सर्व हारा वर्ग ,जो वास्तव मे वोटर है,को ध्यान मे रखकर बज़ट नही बनेगा तो दिल्ली जैसे परिणाम भुगतने के लिये भा०ज०पा० को तैयार रहना होगा ! अब समय आ गया है कि जो केजरीवाल की तरह ज़मीन से जुडेगा ,वही शासन करेगा ! 
बोधिसत्व क्स्तूरिया, 202-नीरव निकुन्ज सिकन्दरा, आगरा- 282007

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