Saturday, May 17, 2014

प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम सन्देश

17-मई-2014 11:55 IST
यह एक ऐसा कर्ज़ है जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता
The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh calling on the President, Shri Pranab Mukherjee, at Rashrapati Bhavan, in New Delhi on May 17, 2014. 
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह राषट्रपति भवन, नई दिल्ली में 17 मई 2014 को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का राष्ट्र के नाम सन्देश निम्नानुसार है: 
प्यारे देशवासियों, 

आज मैं आपको प्रधानमंत्री के रूप में आखिरी बार संबोधित कर रहा हूँ।
दस साल पहले इस ज़िम्मेदारी को संभालते वक्त मैंने अपनी पूरी मेहनत से काम करने और सच्चाई के रास्ते पर चलने का निश्चय किया था। मेरी ईश्वर से प्रार्थना थी कि मैं हमेशा सही काम करूँ। 

आज, जब प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का वक्त आ गया है, मुझे अहसास है कि ईश्वर के अंतिम निर्णय से पहले, सभी चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारों के काम पर जनता की अदालत भी फैसला करती है। 

मेरे प्यारे देशवासियों, 

आपने जो फ़ैसला दिया है, हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए। इन लोकसभा चुनावों से हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें मज़बूत हुई हैं।

जैसा मैंने कई बार कहा है, मेरा सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है। मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से अपने महान राष्ट्र की सेवा करने की कोशिश की है।

पिछले दस सालों के दौरान हमने बहुत सी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर हमें गर्व है। आज हमारा देश हर मायने में दस साल पहले के भारत से कहीं ज़्यादा मज़बूत है। देश की सफलताओं का श्रेय मैं आप सबको देता हूँ। लेकिन अभी भी हमारे देश में विकास की बहुत सी संभावनाएं हैं जिनका फायदा उठाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ी मेहनत करने की ज़रुरत है।

प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद भी आपके प्यार और मोहब्बत की याद हमेशा मेरे ज़हन में ताज़ा रहेगी। मुझे जो कुछ भी मिला है, इस देश से ही मिला है। एक ऐसा देश जिसने बंटवारे के कारण बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे पद तक पहुंचा दिया। यह एक ऐसा कर्ज़ है जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता। यह एक ऐसा सम्मान भी है जिस पर मुझे हमेशा गर्व रहेगा।

मित्रों, मुझे भारत के भविष्य के बारे में पूरा इत्मीनान है। मुझे पक्का विश्वास है कि वह समय आ गया है जब भारत दुनिया की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरेगा। परंपरा को आधुनिकता के साथ और विविधता को एकता के साथ मिलाते हुए हमारा देश दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है। अपने महान देश की सेवा करने का मौका मिलना मेरा सौभाग्य रहा है। मैं इससे ज़्यादा कुछ और नहीं मांग सकता था।

मेरी शुभकामना है कि आने वाली सरकार अपने काम-काज में हर तरह से सफल रहे। मैं अपने देश के लिए और भी बड़ी सफलताओं की कामना करता हूं।

धन्यवाद । जय हिन्द ।
*** 
तनानी/सतीश

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