गीत-संगीत और आवाज़ के जादू से लौट आया गुज़रा हुआ समय
लुधियाना, 3 सितंबर 2013:(पंजाब स्क्रीन): मौत ने तो इश्मीत को छीन ही लिया था पर उसकी आवाज़ अब भी उसे हमारे दरम्यान रखे हुए है।एक बकार फिर यह अहसास हुआ वॉयस ऑफ इंडिया के विनर रहे स्वर्गीय इशमीत सिंह के 25वें जन्मदिवस के मौके पर जब राजगुरु नगर स्थित इशमीत सिंह म्युजिक इंस्टीच्यूट में म्यूजिकल शो का आयोजन किया गया। इश्मीत सिंह की स्मृति में ये शाम इशमीत के नाम थी। इस संगीतमय शाम के अंतर्गत हुए इस कार्यक्रम का आगाज इशमीत के गायकी के सफर के बारे में दी गई प्रैजैंटेशन से शुरू हुआ जिसका अंदाज़ दिल को छू लेने वाला था।
इसके बाद इशमीत सिंह के चाचा व इंस्टीच्यूट के डायरैक्टर डा. चरण कमल सिंह ने इशमीत की याद में गाकर कमाल कर दिया। जब उन्होंने जान कढ़ लई वेईमानां वे तू, जान वाली गल करके गीत गाया तो पूरा हाल इश्मीत की स्मृति में ही। सुरीली शाम में कई लोग मौजूद थे। टी.वी. शो में भाग ले चुके फाइनलिस्टों ने जहां अपने सुरीले और हसीन नगमों से अपनी आवाज का जादू बिखेरा वहीं इश्मीत की संगीतक स्मृतियों को भी एक बार फिर पुनर्जीवित किया। यूं लगता था जैसे गुज़रा हुआ समय एक बार फिर लौट आया हो। आवाज़ और सुरों के इन साधकों को सम्मानित भी किया गया जिसमें आवाज पंजाब दी की विनर सुरमंगल अरोड़ा, भारत की शान की फाइनलिस्ट रुपाली छावड़ा, गुरलीन कौर, वॉयस ऑफ पंजाब की फाइनलिस्ट हरगुण कौर ने बॉलीवुड तराने भी गाए। बतौर मुख्यातिथि पहुंचे जत्थेदार रखविंदर सिंह गाबड़िया, प्रो. सुखवंत सिंह, रणजोध सिंह आदि को भी बुके देकर सम्मानित किया गया। इश्मीत की याद में बहेगी हुई आँखें और रुंधे हुए कंठ बिना बोले ही कह रहे थे की वे इश्मीत को कभी नहीं भूल सकते। इस मौके पर इशमीत सिंह के पिता व एडवाइजरी बोर्ड ऑफ इंस्टीच्यूट के चेयरमैन गुरपिंदर सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने और अशिम नागपाल ने मिलकर इशमीत को श्रद्धांजलि अर्पित की जो सबके दिलो दिमाग को छू रही थी और में उतर रही थी। अंत में इंस्टीच्यूट की डीन प्रीति बहल ने ए ट्रिब्यूट टू इशमीत सिंह के टाइटल के अंतर्गत इशमीत के जिंदगी के पहुलओं के सबके सामने जागरूक किया। इश्मीत की गैर मौजूदगी में भी इश्मीत की आवाज़ और उसे चाहने वालों की मौजूदगी उसकी ही मौजूदगी का अहसास करा रही थी।
Courtesy photo |
इसके बाद इशमीत सिंह के चाचा व इंस्टीच्यूट के डायरैक्टर डा. चरण कमल सिंह ने इशमीत की याद में गाकर कमाल कर दिया। जब उन्होंने जान कढ़ लई वेईमानां वे तू, जान वाली गल करके गीत गाया तो पूरा हाल इश्मीत की स्मृति में ही। सुरीली शाम में कई लोग मौजूद थे। टी.वी. शो में भाग ले चुके फाइनलिस्टों ने जहां अपने सुरीले और हसीन नगमों से अपनी आवाज का जादू बिखेरा वहीं इश्मीत की संगीतक स्मृतियों को भी एक बार फिर पुनर्जीवित किया। यूं लगता था जैसे गुज़रा हुआ समय एक बार फिर लौट आया हो। आवाज़ और सुरों के इन साधकों को सम्मानित भी किया गया जिसमें आवाज पंजाब दी की विनर सुरमंगल अरोड़ा, भारत की शान की फाइनलिस्ट रुपाली छावड़ा, गुरलीन कौर, वॉयस ऑफ पंजाब की फाइनलिस्ट हरगुण कौर ने बॉलीवुड तराने भी गाए। बतौर मुख्यातिथि पहुंचे जत्थेदार रखविंदर सिंह गाबड़िया, प्रो. सुखवंत सिंह, रणजोध सिंह आदि को भी बुके देकर सम्मानित किया गया। इश्मीत की याद में बहेगी हुई आँखें और रुंधे हुए कंठ बिना बोले ही कह रहे थे की वे इश्मीत को कभी नहीं भूल सकते। इस मौके पर इशमीत सिंह के पिता व एडवाइजरी बोर्ड ऑफ इंस्टीच्यूट के चेयरमैन गुरपिंदर सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने और अशिम नागपाल ने मिलकर इशमीत को श्रद्धांजलि अर्पित की जो सबके दिलो दिमाग को छू रही थी और में उतर रही थी। अंत में इंस्टीच्यूट की डीन प्रीति बहल ने ए ट्रिब्यूट टू इशमीत सिंह के टाइटल के अंतर्गत इशमीत के जिंदगी के पहुलओं के सबके सामने जागरूक किया। इश्मीत की गैर मौजूदगी में भी इश्मीत की आवाज़ और उसे चाहने वालों की मौजूदगी उसकी ही मौजूदगी का अहसास करा रही थी।
No comments:
Post a Comment