मेरा भगवान रथ पर नहीं
टूटी हुई साइकिल पर सवार है
Himanshu Kumar हिमांशु कुमार लगातार आम जनमानस की बात करने में लगे हिमांशु कुमार की एक नई कविता सामने आई है फेसबुक पर। इस रचना ज्यों का त्यों दिया जा रहा है। इस रचना को पढने के बाद आपके मन में में जो भी आए आप अवश्य लिखें। आपके विचारीं की इंतज़ार बनी रहेगी। -रेक्टर कथूरिया
मेरा भगवान जूतों से पीटा जाता हैं
और उसकी पत्नी जो देवी है
उसे टट्टी खिलाई जाती है
और गाँव के बाहर पेड़ से बाँध कर उसके बाल काटते हैं बड़ी जाति के पुरुष
क्योंकि वो मानते हैं कि वो असल में एक डायन है
एक दूसरी देवी की बेटी की योनी में पत्थर भरता है तुम्हारा एक देवता
मेरे भगवान की पैंट फटी हुई है
मेरे भगवान के पाँव गंदे हैं
मेरे भगवान से पसीने की तेज गंध आती है
मेरा भगवान रथ पर नहीं
टूटी हुई साइकिल पर सवार है
मेरे भगवान के पिछवाड़े में
ईंट भट्टे का मालिक डंडा घुसेड़ देता है
क्योंकि मेरा भगवान पूरी मजदूरी
मांग रहा था
मेरी देवी के साथ
पूरा थाना
महीना भर
बलात्कार करता है
अब मेरी यह देवी
अपना पेट पालने के लिये चाय की दूकान पर बर्तन मांजती है
आप मुझे नास्तिक समझ रहे थे ?
नहीं जनाब
मेरा भगवान बस आपके
सोने के जेवरों से सजे हुए
लेट कर अपनी पत्नी से पैर दबवाते हुए
भगवान से अलग तरह का है
आपको मेरी इस भाषा से बेचैनी क्यों हो रही है
बस मेरी भाषा थोड़ी वास्तविक सी ही तो है .
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