साधकों ने बताये बिमारियों से मिली मुक्ति के अनुभव लुधियाना: 16 अक्टूबर:
लगातार बढ़ रही चिंताएं और भागदौड़ आज के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी हैं. इस तनाव पूर्ण जीवन शैली के कारण ही लोग तरह तरह की बिमारियों के शिकार हो रहे हैं. किसी को ज़ुकाम ने जकड रखा है तो कोई सर दर्द से परेशान है. किसी की पीठ दर्द तंग कर रही है तो किसी के घुटने जवाब दे रहे हैं. किसी को पेट दर्द है तो किसी को कबज़ ने बेचैन कर रखा है. दवा लेने से अगर कुछ आराम मिलता भी है तो उस दवा के साईड इफैक्ट से कई और नयी परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. इस तरह शुरू हो जाता है नयी बीमारियों की परेशानियों का एक सिलसिला. इंसान बन जाता है दवा का गुलाम. बीमारी का बंदी. न मर्जी से खा पाता है,न मर्जी से उठ पाता है और न ही पढना लिखना या कोई और काम कर पाता है.आँखें जवाब दे जाती हैं, कान सुनना बंद कर देते हैं. जवानी की उम्र में ही बुढापा आ घेरता है और इंसान बन जाता है बेबस.
आरोग्य क्लब की तरफ से लगाये गए इस कैम्प ने एक बार फिर यह साबित कर दिखाया कि पूरी तरह से स्वस्थ और नया जीवन एक बार फिर से संभव है अगर इन्सान योग की शरण में आ जाये.
लुधियाना के गोल बाग़ में लगा एक विशेष योग शिविर ऐसे सभी लोगों के लिए एक नया संदेश ले करा आया था कि इन बिमारियों से मुक्ति संभव है और वह भी बिना किसी दवा के, बिना किसी पैसे के. यह सब किसी करिश्मे से कम नहीं. यह जादू होता है योग साधना के बल से. शर्त केवल इतनी की जो इसे करे उसे ही फायदा देगा. आपकी जगह इस साधना को कोई और करेगा तो फायदा भी उसी का होगा.इस लिए आईये और खुद भी योग कीजिये. दूसरों को भी इस सदमार्ग पर लाईये.
आरोग्य क्लब की तरफ से लगाये गए इस कैम्प ने एक बार फिर यह साबित कर दिखाया कि पूरी तरह से स्वस्थ और नया जीवन एक बार फिर से संभव है अगर इन्सान योग की शरण में आ जाये.
लुधियाना के गोल बाग़ में लगा एक विशेष योग शिविर ऐसे सभी लोगों के लिए एक नया संदेश ले करा आया था कि इन बिमारियों से मुक्ति संभव है और वह भी बिना किसी दवा के, बिना किसी पैसे के. यह सब किसी करिश्मे से कम नहीं. यह जादू होता है योग साधना के बल से. शर्त केवल इतनी की जो इसे करे उसे ही फायदा देगा. आपकी जगह इस साधना को कोई और करेगा तो फायदा भी उसी का होगा.इस लिए आईये और खुद भी योग कीजिये. दूसरों को भी इस सदमार्ग पर लाईये.
इस योग शिविर में ऐसे कई लोग मौजूद थे जिनके जीवन में एक नयी सुबह आई, एक नयी ऊर्जा आई. अन इन्हें भी लगा की एक नयी और स्मार्ट ज़िन्दगी संभव है और वह भी सभी के लिए. आरोग्य क्लब की ओर से आयोजित इस विशेष शिविर के प्रमुख संचालक जुगल किशोर अरोड़ा ने बताया कि उनके पिता की मौत गंभीर बीमारी और दवा के अभाव में हुई थी. गरीबी के कारण पूरे परिवार के सभी सदस्यों के दिल व दिमाग पर पड़े इस सदमे के अति दुखद व भयावह समय
पर उन्होंने अपने पिता की चिता पर यह सौगंध खायी थी कि वह अपने पिता को तो नहीं बचा सके पर अब प्रयास करेंगे कि अधिक से अधिक परिवारों को इस दुःख और सदमे से बचा सके.
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भगवान की पूजा से भी पहले अपने शरीर की पूजा करो क्योंकि भगवान भी इसी शरीर में निवास करते हैं.
उन्होंने कहा कि यदि किसी को बीमारी भी गंभीर है लेकिन उसके पास पैसा भी नहीं है तो भी वह उनसे आकर मिले वह उसकी सहायता बिना किसी पैसे के करेंगे.उसे बिना किसी दवा के ठीक कर देंगें.
शिविर के समापन समारोह में आम लोगों के साथ साथ कई गण मान्य व्यक्ति भी मौजूद थे. शिविर के बाद सभी साधकों को सात्विक नाश्ता भी कराया गया तां कि लोगों को सुबह उठते सार पड़ी चाये, कोफी, सिगरेट, बीडी पीने जैसे व्यसनों से छुटकारा दिला कर नयी स्वस्थ आदतों से जोड़ा जा सके. इन सभी साधकों के शरीर को प्रभु का मन्दिर बनाया जा सके. योग की शरण में आये इन लोगों ने इस शिविर के दौरान बहुत कुछ सीखा जिसने इनकी ज़िन्दगी बदल दी.
पर उन्होंने अपने पिता की चिता पर यह सौगंध खायी थी कि वह अपने पिता को तो नहीं बचा सके पर अब प्रयास करेंगे कि अधिक से अधिक परिवारों को इस दुःख और सदमे से बचा सके.
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भगवान की पूजा से भी पहले अपने शरीर की पूजा करो क्योंकि भगवान भी इसी शरीर में निवास करते हैं.
उन्होंने कहा कि यदि किसी को बीमारी भी गंभीर है लेकिन उसके पास पैसा भी नहीं है तो भी वह उनसे आकर मिले वह उसकी सहायता बिना किसी पैसे के करेंगे.उसे बिना किसी दवा के ठीक कर देंगें.
शिविर के समापन समारोह में आम लोगों के साथ साथ कई गण मान्य व्यक्ति भी मौजूद थे. शिविर के बाद सभी साधकों को सात्विक नाश्ता भी कराया गया तां कि लोगों को सुबह उठते सार पड़ी चाये, कोफी, सिगरेट, बीडी पीने जैसे व्यसनों से छुटकारा दिला कर नयी स्वस्थ आदतों से जोड़ा जा सके. इन सभी साधकों के शरीर को प्रभु का मन्दिर बनाया जा सके. योग की शरण में आये इन लोगों ने इस शिविर के दौरान बहुत कुछ सीखा जिसने इनकी ज़िन्दगी बदल दी.
इस मौके पर शिविर में भाग लेने वाले साधकों और साधिकायों ने मिडिया को भी बताया कैसे योग की शरण में आकर उनकी ज़िन्दगी बदल गयी. अब वे किसी चिंता या बीमारी से नहीं डरते बल्कि चिंता या बीमारी उनके पास आने से डरती है.
शीघ्र ही इस सिलसिले में नए शिविर की तारीख भी घोषित होगी अगर आप ने अभी तक इस क्लब की सदस्यता नहीं ली तो जल्द ले लीजिये और उठाइए नयी स्वस्थ ज़िन्दगी का मज़ा.--रेक्टर कथूरिया
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