इस रचना के पीछे भी एक लम्बी कहानी है. यह रचना कैसे कई सालों में पूरी हुयी, इस के पीछे क्या है इस पर एक नावल लिखा जा सकता है. इसकी शुरूयात किसे जहन में रख कर हुयी...इस सब की चर्चा कभी बाद में की जाएगी. फ़िलहाल इतना ही की इसके कुछ अश्यार फेसबुक पर दिए गए थे. कुछ और नए शेयर बहुत देर बाद जहन में आयें. अब पुराने और नए सभी अश्यार आपके सामने हैं. साथ ही फेसबुक पर मिले कुछ अनमोल कोमेंट भी शामिल हैं. आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही.....:
--रेक्टर कथूरिया
गज़ल
आओ आ के तुम भी मंज़र देख लो;
जिस जगह रहता हूं खण्डहर देख लो.
हर जगह भगवान तो होता ही है;
ये भी क्या लगता है मन्दर देख लो.
जिस जगह मिल जाए मन का मीत जब;
वो जगह बन जाए मन्दर देख लो.
मौत भी मेरी ह्सीं हो जाएगी,
बस मुझे इक बार पल भर देख लो.
तेरी आंखों में अगर इक झील है,
मेरा दिल भी है समंदर देख लो.
फेसबुक पे ही कभी मिल जाओ अब;
वक्त का यह भी कलंडर देख लो.
जो चौरासी में हुया सब याद है;
और इक गुज़रा नवम्बर देख लो.
आज भी अर्जुन यहाँ पर बहुत हैं;
पर कहाँ होगा स्वयम्बर देख लो.
प्यार के इस नाम पर सच है कहाँ,
लोग करते हैं आडम्बर देख लो.
दिल जला कर चैन ही मिलता है तो,
फिर मिरा तुम दिल जला कर देख लो.
क्यूं अन्धेरों में घिरे हो दोस्तों,
रौशनी में तुम भी आ कर देख लो.
क्या हकीकत है यहां और क्या नहीं,
बात की हर तह में जा कर देख लो.
देख ली सारी ही दुनिया फिर भी पर,
इक नज़र तुम भी जालन्धर देख लो.
फोन के बिन भी तो हो सकती है बात,
चैट या कोई मैसंजर देख लो.
तू नहीं तो तेरी यादों का तुफान,
उठ रहा मन में बवंडर देख लो.
फिर नया इक साल अब आने को है,
जा रहा है यह दिसम्बर देख लो.
शोर से कुछ भी नहीं होता कभी;
गीत में जादू सा बस छा जायेगा;
आसमां सर पे उठा कर देख लो.
दिल की बातें गुनगुना कर देख लो.
बांटता हूँ प्यार मैं जायूं जहाँ;
तुम भी अपने घर बुला कर देख लो.
गर हुआ उसमें दर्द होगा असर;
दास्तां अपनी सुना कर देख लो.
साथ काँटों से भी निभ जायेगा फिर;
साथ काँटों से भी निभ जायेगा फिर;
फूल उल्फत के खिला कर देख लो.
मैं तुम्हारा हर सितम सह जायूंगा;
तुम मुझे फिर से सता कर देख लो.
Samvedna Duggal fb par he kabhi mil jaao ab......wow rectorji!!!
December 18, 2010 at 4:57pm · · 1 person
Naresh Matia
bahut khoob Reactor ji...........aur jis tarah se aapne aaj ki aadhunik duniyal ka bhi isme samaavesh kiya hai wo kabil-e-tareef hai......
//फेसबुक पे ही कभी मिल जाओ अब;
वक्त का यह भी कलंडर देख लो.
.फोन के बिन भी तो हो सकती है बात,
चैट या कोई मैसंजर देख लो//.....
bahut badiya..........
December 18, 2010 at 5:09pm · · 3 people
Iqbal Gill
तेरी आंखों में अगर इक झील है,
मेरा दिल भी है समंदर देख लो.
दिल जला कर चैन ही मिलता है तो,
फिर मिरा तुम दिल जला कर देख लो.
ਕਿਹੜਾ ਕਿਹੜਾ ਸ਼ਿਅਰ ਲਿਖਾਂ ਸਾਰੀ ਗ਼ਜ਼ਲ ਹੀ ਖੂਬਸੂਰਤ ਹੈ
ਸਰ ਜੀ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨ ਲਈ
December 18, 2010 at 5:28pm · · 1 person
Varinder Sond Binda 22 ji boht hi vadhiya..grt..
December 18, 2010 at 5:48pm via Facebook Mobile · · 1 person
Parveen Kathuria रेक्टर जी...दिल को छू गयी....आपकी ग़ज़ल....वाह... क्या हकीकत है यहां और क्या नहीं....बात की हर तह में जा कर देख लो.
December 18, 2010 at 6:12pm · · 1 person
Gurjinder Mangat one of the best i have ever read
thanx Rector ji for sharing
love that
December 18, 2010 at 6:21pm · · 1 person;
- Rector Kathuria मीना शर्मा, विराट ठक्कर, धर्मवीर शर्मा, नरेश मटिया, इकबाल गिल, वरिंदर सिंह बिंदा और उन सभी मित्रों का शुक्रीया. जिन्होंने इसे पसंद किया....
December 18, 2010 at 6:40pm ·
Rector Kathuria परवीन जी आपके शब्दों में जो प्रोत्साहन है..उसके लिए शुक्रीया..
December 18, 2010 at 6:42pm ·
Gulshan Dayal
जिस जगह मिल जाए मन का मीत जब;
वो जगह बन जाए मन्दर देख लो.wow that is so like me..
जो चौरासी में हुया सब याद है;
और इक गुज़रा नवम्बर देख लो. so sad...
क्यूं अन्धेरों में घिरे हो दोस्तों,
रौशनी में तुम भी आ कर देख लो.
Very nice....enjoyed it very much!!!
December 18, 2010 at 6:44pm · · 1 person
Alka Saini
जिस जगह मिल जाए मन का मीत जब;
वो जगह बन जाए मन्दर देख लो.
bahut sundar ahsaas...............
मिल जाए मन का मीत जब:
तो खुदा तो उसके अन्दर देख लो
December 18, 2010 at 7:07pm · · 1 person
Mohinder Rishm
Rector sahib, hairaan haan....hansi-khed vich vi tusi kinne gambhir massle laye han gazal vich......!!! shabad aam han par arth dunghe....!!
purane cultur nu chhuhia hai taan ajj da FB, chat, fon vagerah vi sab kuj ayea hai.....tuhade ton ih kalla sikhan vaali hai....! bahut khoob...!
December 18, 2010 at 7:55pm · · 1 person
Bodhi Satva Kastooriya आपके दिल में जगह मिल गयी ,
पंजाब स्क्रीन का नया नंबर देख लो !
इस दरिया दिली के लिए शुक्रिया ,
झाँक कर इस दिल के अन्दर देख लो !!
December 18, 2010 at 8:34pm · · 1 person
Tarlok Singh Judge Very Very Very Very Nice Ghazal Rector ji. Reading and enjoying time and again.
December 18, 2010 at 8:40pm · · 1 person
Bodhi Satva Kastooriya अति सुंदर भाव प्रवण रचना है !साथ ही धर्म से ऊपर मानव धर्म का आग्रह !
December 18, 2010 at 9:51pm ·
Poonam Matia
Rector ji .......bahut kamaal .........
//जिस जगह मिल जाए मन का मीत जब;
वो जगह बन जाए मन्दर देख लो.
मौत भी मेरी ह्सीं हो जाएगी,
बस मुझे इक बार पल भर देख लो//.............
dil se nikli baat dil kii gahraaiyon tak le jaati hai
aao yara jara doob ke,dil-e- samandar dekh lo ...........
December 18, 2010 at 10:34pm · · 2 people
Rector Kathuria गुलशन दियाल जी आप को इसके अश्यार पसंद आये....इसका लिखना सार्थक हुआ.....!
December 18, 2010 at 11:07pm ·
Rector Kathuria अलका सैनी जी आपने तो कमाल कर दिया....बहुत खूब कहा आपने.... तो खुदा तो उसके अन्दर देख लो...!
December 18, 2010 at 11:08pm ·
Rector Kathuria सुरेश चन्द्र जी...आपने सराहा तो यह गजल मुझे और अच्छी लगने लगी....!
December 18, 2010 at 11:08pm ·
Rector Kathuria महिंद्र रिशम जी...सच बात तो यह है की इस अंदाज़ को सीखने के पीछे आपसे भी मुझे बहुत प्रेरणा मिली है.....आप बहुत ही अच्छा लिखते हैं...!
December 18, 2010 at 11:09pm ·
Rector Kathuria बोधी सत्व कस्तूरिया जी...आपने तो मुझे लाजवाब कर दिया..इतने स्नेह के लिए शुक्रिया कबूल कीजिये...
December 18, 2010 at 11:10pm ·
Rector Kathuria जज साहिब मैं तो न चाहते हुए भी इस सब कुछ से दूर चला गया था.....
बहुत देर बाद एक तरह से दोबारा ही शुरू किया...
आप सारे नहीं तो बहुत से हालात से ज़रूर वाकिफ रहे हैं...
आपके शब्दों से बहुत होंसला मिला...
बहुत बहुत शुक्रिया...!
December 18, 2010 at 11:10pm ·
Rector Kathuria रमन कथूरिया जी इस बल्ले बल्ले में आपका बहुत सा हाथ है....
December 18, 2010 at 11:12pm ·
Rector Kathuria बोधी सत्व कस्तूरिया जी....आप ने इसे बहुत अच्छे शब्द दिए....
.....धर्म से ऊपर मानव धर्म का आग्रह !
बहुत बहुत शुक्रिया....!
December 18, 2010 at 11:15pm ·
Rector Kathuria पूनम मटिया जी अपने दिल-इ-समन्दर की बात करके तो कमाल ही कर दिया.....बहुत बहुत शुक्रिया.....!
December 18, 2010 at 11:17pm · · 1 person
Jatinder Lasara ਕਿਆ ਬਾਤਾਂ ਕਥੂਰੀਆ ਸਾਹਿਬ...!!! Good work...!!!
आओ आ के तुम भी मंज़र देख लो;
जिस जगह रहता हूं खण्डहर देख लो.
तेरी आंखों में अगर इक झील है,
मेरा दिल भी है समंदर देख लो.
December 19, 2010 at 1:41am · · 1 person
DrSushil Raheja SUpERRRRRRRRRRRRR
DuPERRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR
December 19, 2010 at 12:29pm · · 2 people
Navin C. Chaturvedi
तेरी आंखों में अगर इक झील है.........
आज भी अर्जुन यहाँ ............
दिल जला कर चैन ही मिलता है तो,.............
इक नज़र तुम भी जालन्धर देख लो..............
भाई रेक्टर जी बधाई| क्या मजेदार और सार्थक ग़ज़ल पेश की है आपने| काफ़िए के निर्वाह के साथ साथ विषयों का चुनाव भी वंदनीय है|
December 19, 2010 at 9:38pm · · 1 person
Rector Kathuria नवीन जी मैं तो ग़ज़ल कहना छोड़ ही चूका था.....
....आपने सोयी हुयी आग दुबारा सुलगा दी.....
December 19, 2010 at 10:05pm · · 1 person
Madhu Gujadhur क्यूं अन्धेरों में घिरे हो दोस्तों,
रौशनी में तुम भी आ कर देख लो.
बहुत सुन्दर प्राह जी बहुत ही सुन्दर..खास तौर पर ये दो लाइंस तो बेहद ही सुन्दर है अँधेरे में घिरे बन्दे को रौशनी का आमंत्रण देना ..बहुत ही सुन्दर भाव हैं. बधाई आप को
December 19, 2010 at 11:25pm · · 1 person
Madhu Gujadhur जालंधर आने का इतना सुन्दर निमंत्रण .....अब तो आना ही होगा |
December 19, 2010 at 11:26pm · · 1 person
Rector Kathuria मधु जी रौशनी को निमंत्रण आपके विचारों का है असर है....!
December 19, 2010 at 11:32pm ·
Rector Kathuria @ Madhu Gujadhur Ji...:मेरा जन्म भी लुधियाना का है और रिहाइश भी लेकिन नवां ज़माना अखबार में काम करते वक्त इस शहर से भावनात्मक सम्बन्ध जुड़ गया.लुधियाना ककी ब्जय्ते अब भी वहां पर शांति अधिक मिलती है....
December 19, 2010 at 11:35pm ·
Madhu Gujadhur धन्यवाद प्राह जी ...मन्त्र कहता है "तमसो माँ ज्योतिर्गमय " अर्थात मुझे अन्धकार से प्रकाश की और ले चलो ..और किसी और को प्रकाश की और आने का आमंत्रण दे रहे है ये तो मन्त्र से भी आगे की बात कर दी आप ने प्राह जी ...
December 19, 2010 at 11:37pm · · 1 person
Kawaldeep Singh
..
जिस जगह मिल जाए मन का मीत जब;
वो जगह बन जाए मन्दर देख लो.
Vah! Kamal...
Is gazal me kita kuch bhar diya... Apna Shaher bhi guma di.. Man ke meet se bhi milva diya.. Facebook ki sair bhi karva di.. Chat Messenger se guftagu bhi farma li.. Chaurasi ke dardon ko yaad kar aankhe bhi nam ki.. Aur Naye saal ko aamantran de kar nayi shama bhi jla di..
Khoobsooratam :)
December 20, 2010 at 8:39am · · 1 person
Rector Kathuria
@ Kawaldeep Singh...Darasal Zindgi Mein Bahut Se Rang Aate Hain....
Kabhi Khushi Kabhi Gam...Bas usi Ka Asar Hai.....NA June Bhool Sakta Hai...NA Hi November....is se sambandhi Haalaat aur Kaaran.....!
Mera JAnam Aur Rihaih Ab Bhi Ludhiana ...See More
December 20, 2010 at 9:17am · · 1 person
Jasbir Kalravi मौत भी मेरी ह्सीं हो जाएगी,
बस मुझे इक बार पल भर देख लो.
wah ji wah...kya baat hai
December 21, 2010 at 7:17pm · · 1 person
Harjinder Singh Lall
आओ आ के तुम भी मंज़र देख लो;
जिस जगह रहता हूं खण्डहर देख लो.
हर जगह भगवान तो होता ही है;
ये भी क्या लगता है मन्दर देख लो.
inna kaudaa sach nahi likhidaa rector ji ..................GHAZAL BAHUT ACHI HAI BAHUT WADHIYAA
January 6 at 4:21pm ·
Rector Kathuria Lall Sahib Kauda Sach Bolne ki Aadat Sikhaane waale chand logon merin Aap bhi to shaamil rahe....Sazayon ka bhi pata tha fir bhi Aap sach bolte rahe...likhte rahe....Vaise...Karein kya....Aam Taur Par Sach hota hi Bahut Kadwa hai....!~
January 6 at 5:14pm · · 1 person
Jas Chahal Rector ji, chote-chote sheron main guzre huye aur naye waqat ki haqikat bahut pyare andaaz main bayan ki hai aapne. Thanks
February 13 at 11:30pm ·
Rector Kathuria Jas Chahal Ji Bahut Bahut Shukriya....apne sneh ko bnayae rakhiyega...!
February 14 at 9:27am ·
Rector Kathuria कामना जी बहुत बहुत शुक्रिया .... काश इस तरह इन्सानियत जाग सके...
Yesterday at 12:07pm ·
Rector Kathuria अनु श्री जी आपने इसे पसंद किया....बहुत अच्छा लगा.....बहुत बहुत धन्यवाद....1
Yesterday at 12:08pm · · 1 person
Journalist Ranjeet Singh
आओ आ के तुम भी मंज़र देख लो;
जिस जगह रहता हूं खण्डहर देख लो.
हर जगह भगवान तो होता ही है;
...See More
23 hours ago ·
Rector Kathuria जर्नलिस्ट रंजीत सिंह जी बहुत बहुत धन्यवाद...आपका अंदाज़ भी खूब है....!
23 hours ago · · 1 person
Azra Waqar pl.write yr ghazal in roman so that others who cannot read gurmukhi , can also read it
16 hours ago · · 1 person
Anita Chana bhut sadgi naal sachi rachna rachi hai..... lots love light and healing..
16 hours ago · · 1 person
Rector Kathuria @Sandhya Arya....: Bahut Bahut Shukriya Sandhya Ji...Bhavishya mein Bhi Apne Vichaaron Se Avgat Karwaate Rahiye....!
16 hours ago ·
Rector Kathuria @Azra Waqar..... ji Zaroor.....Aur Jalad.....Aapne Bilkul Sahi Kaha....!
16 hours ago ·
No comments:
Post a Comment