Monday, January 24, 2011

गांधी, गोडसे और देश

आज अचानक ही फेसबुक पर एक ऐसी इवेंट का आमंत्रण नज़र आया जिसे देखने के बाद दिल-ओ-दिमाग में बहुत कुछ कौंध गया. एक ऐसा देश जहां महात्मा गांधी की तस्वीर को बहुत सम्मान से करंसी पर भी छापा जाता है, कार्यालयों में भी लटकाया जाता है, कुछ लोग उसे लोग बापू कहते भी नहीं थकते, राष्ट्रपिता का सम्मान भी उसी महात्मा को...अजीब बात है जिसे अहिंसा का देवता कह कर पूजा जाता है उसी के देश में आज आजादी और निर्भयता से चलना मुश्किल हो गया है, कब कोई गोली मार दे, कब कोई छुरा घोंप दे, कब कोई किसी का भ अपहरण कर ले...कुछ भी नहीं कहा जा सकता...आम आदमी पूरी तरह असुरक्षित हो गया है.उस  देश की सरकारें दारू की बिक्री से आमदनी बढ़ाती हैं....और बेचारे बेबस लोग कुछ नहीं कर पाते. जगह जगह मजबूरी और जगह जगह अन्याय....सोच रहा था यह कैसी सन्तान है उस बापू की.....? बात चली थी  फेसबुक पर एक  इवेंट की जिसका ज़िक्र करने से पूर्व आप एक गज़ल पढ़िए जिसे लिखा है मेरठ के नवीन त्यागी ने 
बर्फ के पन्नो पे लिखकर,इक इबारत आग की। 
फ़िर रहा करता शहर में, मै तिजारत आग की। 
बर्फ से गलते शहर में , ढूँढ़ते जो आशियाँ। 
बांटता मै फ़िर रहा,उनको इमारत आग की। 
ढेर पर बैठा हुआ मै ,लिख रहा तहरीर हूँ। 
ले जाए जिसको चाहिए,जितनी जरूरत आग की। 
तकदीर मे जिनके लिखा है,बस अँधेरा हर तरफ़। 
सिखला रहा करना उन्हें ही,मै इबादत आग की। 
लिखने गजल को जब उठाता,मै कलम को हाथ में। 
लगती उगलने आंच ये,लेके बगावत आग की।
अब लौटते हैं बापू पर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर. जिन्हें  30 जनवरी 1948 की शाम को गोली मार कर शहीद कर दिया गया. गोली चलाने वाले युवक नाथू राम गौडसे ने वहां ऐ भागने का भी कोई प्रयास नहीं किया और न ही किसी और पर गोली चलाई. साफ़ ज़ाहिर है की उसने यह काम बहुत ही सोच समझ कर और संतुलन में रहते हुए किया होगा. पर ऐसा क्या था कि 80 बरस की उम्र में एक महात्मा को गोली मार दी गयी. मुझे यह सब कुछ आज याद आया इस इवेंट को देख कर जिसका आयोजन किया जा रहा है हिंदुत्व का प्रयास और अन्य सहयोगियों के सहयोग से अंकित Therealscholar और   स्वाति  Kurundwadkar की ओर से. अगर आप  इस इवेंट के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें  जिसका नाम है गोडसे शौर्य दिवस लिखा है,"आप सभी राष्ट्रवादी मित्रों से निवेदन है की नाथूराम विनायक गोडसे के शौर्य दिवस पर भारत माता के इस सच्चे सपूत को श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए 26 जनवरी से 30 जनवरी तक फेसबुक पर अपने प्रोफाइल के चित्र के स्थान पर इस महापुरुष का चित्र लगायें तथा इस काल खंड (26 से 30 जनवरी तक ) में फेसबुक के अपने सभी मित्रों को इस महान आत्मा के सम्बन्ध में अधिक से अधिक जानकारी अपने लेखों तथा अपनी फेसबुक स्थिति (status)की सहायता से दें तथा इस कथित भारत सरकार द्वारा इस महान देशभक्त के छवि को ख़राब करने के आज तक के समस्त प्रयासों के प्रभाव को समाप्त करने का अपनी शक्ती के अनुसार पूरा प्रयास करें | आप सभी से निवेदन है की अधिक से अधिक मित्रों को राष्ट्रभक्ति के इस महायाग्य में आहुति देने के लिए प्रेरित करें |"
जो लोग गोडसे के विचारों को नहीं जानते उन के लिए यह सब बहुत ही हैरानी की बात हो सकती है. आओ  देखते हैं उन विचारों की एक झलक जिनके चलते एक महात्मा पर गोली चली. आग जैसे ख्यालों को कागज़ पर उतारने वाले नवीन त्यागी अपने ब्लॉग में उन कारणों की चर्चा भी करते हैं.नवीन त्यागी कहते हैं,   "नाथूराम गोडसे एक ऐसा नाम है जिसको सुनते ही लोगो के मस्तिष्क में एक ही विचार आता है कि गाँधी का हत्यारा। हमारे इतिहास में भी गोडसे का इतिहास एक ही पंक्ति में समाप्त हो जाता है। गोडसे ने गाँधी वध क्यों किया, इसके पीछे क्या कारण रहे , इन बातों का कही भी व्याख्या नही की जाती।"
वह अपने ब्लॉग में आगे कहते हैं ," गोडसे ने गाँधी के वध करने के १५० कारण न्यायालय के समक्ष बताये थे। उन्होंने जज से आज्ञा प्राप्त कर ली थी कि वे अपने बयानों को पढ़कर सुनाना चाहते है । अतः उन्होंने वो १५० बयान माइक पर पढ़कर सुनाए। लेकिन कांग्रेस सरकार ने (डर से) नाथूराम गोडसे के गाँधी वध के कारणों पर बैन लगा दिया कि वे बयां भारत की जनता के समक्ष न पहुँच पायें। गोडसे के उन बयानों में से कुछ बयान क्रमबद्ध रूप में, में लगभग १० भागों में आपके समक्ष प्रस्तुत करूंगा। आप स्वं ही विचार कर सकते है कि गोडसे के बयानों पर नेहरू ने क्यो रोक लगाई ?और गाँधी वध उचित था या अनुचित।"
इन कारणों के पहले भाग को पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक करें और दूसरे भाग को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. अगर आप इसी विषय पर अंग्रेजी में कुछ पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें. आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं, क्या कहना चाहते हैं....इस पर आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा ही. अपने विचार भी प्रेषित करें और मित्रों के विचार भी भेजें व भिजवाएं. --रेक्टर कथूरिया 

1 comment:

अंकित कुमार पाण्डेय said...

कुछ भ्रम है ,इस इवेंट का आयोजन मैंने और स्वाती जी ने किया है न की किसी हिंदुत्व के प्रयास ने , हाँ ये अवश्य है की सभी राष्ट्रवादियों का हमें सहयों और समर्थन प्राप्त है | कुछ प्रत्यक्ष और कुछ परोक्ष