इसलिए पुराने दिनों में, कोई दस हजार साल पुराने रिकार्ड उपलब्ध है, जिनमें सम्राटों ने प्रजा को सोना पहनने की मनाही कर रखी थी। कोई आदमी दूसरा सोना नहीं पहन सकता था। सिर्फ सम्राट पहन सकता था। उसका राज था कि वह सोना पहनकर दूसरे लोगों को सोना पहनना रोककर ज्यादा जी सकता था। लोगों की प्राण ऊर्जा को अनजाने अपनी तरफ आकर्षित कर सकता था। जब आप सोने को देखते है। तो सिर्फ सोने को देखकर आकर्षित नहीं होते, आपकी प्राण ऊर्जा सोने की तरफ बहनी शुरू हो जाती है। इसलिए आकर्षित होते है।
इसलिए सम्राटों ने सोने का बड़ा उपयोग किया और आम आदमी को सोना पहनने की मनाही कर दी गई था। कि कोई आदमी सोना नहीं पहन सकता है। इस सम्बन्ध में और पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं और पहुंच सकते हैं ज्ञान की मंज़िल पर जहां आपको मिलेंगे सोने के साथ साथ बहुत सी और चीज़ों के राज़...वो भी बिलकुल सीधी-साधी भाषा में.ओशो सत्संग पर इस तरह की ख़ास ख़ास बातें पोस्ट करने वाले आनंद प्रसाद कहते हैं," ओशो की किरण जीवन में जिस दिन से प्रवेश किया, वहीं से जीवन का शुक्ल पक्ष शुरू हुआ, कितना धन्य भागी हूं ओशो को पा कर उस के लिए शब्द नहीं है मेरे पास.....अभी जीवन में पूर्णिमा का उदय तो नहीं हुआ है। परन्तु क्या दुज का चाँद कम सुदंर होता है। देखे कोई मेरे जीवन में झांक कर। आस्तित्व में सीधा कुछ भी नहीं है...सब वर्तुलाकार है , फिर जीवन उससे भिन्न कैसे हो सकता है।
स्वामी आनंद प्रसाद |
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