Sunday, October 31, 2010

एक आयोजन और

आयोजक 
महां इवेंट 
बात ऑरकुट की हो या  फेसबुक की. ट्विट्टर की हो या माई स्पेस की बहुत से लोगों ने इसे अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए भी इस्तेमाल किया. इसे साहित्य का एक नया मंच बनाने के जो शुभ प्रयास हो रहे हैं उनकी सार्थिकता का पता अभी तुरंत शायद न चल पाए पर वास्तव में यह भविष्य का एक नया इतिहास रचा जा रहा है जो आने वाले समय में बतायेगा कि जब कुछ लोग अश्लील तस्वीरों और संदेशों की मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो कर पोर्नोग्राफी का झूला झूल रहे थे उस समय कुछ ऐसे लोग भी थे जिन पर इस आंधी का कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने उस वक्त भी चिराग जलाये थे और वोह भी तूफानों के सामने. इन हिम्मतवर लोगों में एक नाम नवीन सी चतुर्वेदी का भी है. आन लाइन मंच की नयी परम्परा को मज़बूत करने में जुटे नवीन सी चतुर्वेदी कई आन लाइन मुशायरों को सफलता से आयोजित कर और करवा चुके हैं. इस नए आंदोलन के संचालिकों में  डाक्टर कविता,  योगराज प्रभाकर, राणा प्रताप सिंह, मधु गजाधर जैसे  बहुत से नामों का उल्लेख भी अवश्यक है लेकिन इनकी चर्चा फिर कभी की जाएगी तां कि इस पोस्ट को विषय पर ही केन्द्रित रखा जा सके.  इसलिए फ़िलहाल हम चर्चा करते है एक और महां इवेंट के आयोजन की जो कल अर्थात प्रथम नवम्बर से शुरू हो रही है. लीजिये आप भी पढ़िए मुंबई से आया नवीन जी का पूरा संदेश और हो जाइये इसमें भाग लेने को तैयार.
कल से शुरू हो रहा है पहला ऑनलाइन महा इवेंट| इस में कोई बाध्यता नहीं है कि सिर्फ़ शायर लोग ही भाग ले सकते हैं, या सिर्फ़ ग़ज़ल ही पोस्ट की जाएगी| आप अपनी पसंद की विधा ग़ज़ल, गीत, मुक्तक, कविता, छंद, लघु कथा, हास्य-व्यंग्य वग़ैरह भी पोस्ट कर सकते हैं| 
साहित्य रसिकों के लिए एक ऐसा मंच है ये ऑनलाइन महा इवेंट जहाँ हम सब एक दूसरे की रचनात्मकता को और नज़दीक से जान सकते हैं, महसूस कर सकते हैं| 
और ज़रूरी नहीं की हम में से सब लेखक हों ही! ऐसे व्यक्ति रचनाधर्मियों का उत्साह वर्धन कर सकते हैं - अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों के साथ|
तो दोस्तो, पधारिएगा अपने मित्र मंडली के साथ आनंद लूटने लुटाने के लिए| 
आइए हम इस बार की दीवाली को एक यादगार दीवाली की तरह मनाते हैं सभी यार दोस्तों के साथ|




आपका यह अनुभव कैसा रहता है इस  बारे में भी हमें अवश्य बताईएगा. आपके विचारों की इंतजार बनी रहेगी. आप अपने सुझाव भी भेज सकते हैं. --रेक्टर कथूरिया 

नोट: इस आयोजन में जो लोग पूरी तरह सक्रिय हैं उनके नाम हैं: 

5 comments:

Hari Joshi said...

सफलता के लिए अग्रिम शुभकामनाएं

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

snehil bhai shri hari joshi ji aapki shubhkamna pa kar main abhibhut hoon. aapki upasthiti ke bager is ayojan men maja na aayega. isliye aapse vinamr nivedan hai ki apni mitr mandali sahit padahr kar ayojan ki shobha badhayen.

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

sabhi mitron se nivedan hai ki is link par ja kar is obo ke maha event ki jankari arjit karen

http://www.facebook.com/event.php?eid=160654497302898

madhu said...

ये आयोजन एक अति सराहनीय प्रयास है और इस की सफलता की मैं मंगल कामना करती हूँ और इस पावन सोच को
क्रिया रूप देने वाले समस्त आयोजक कर्ताओं को बधाई और धन्यवाद देती हूँ |साहित्य के इस महा यग्य में मैं आप के साथ हूँ| ये तो सब स्वीकार करते हैं की नयी टेक्नोलोजी से अनेक अनैतिक्ताएं उत्पन्न हुई हैं लेकिन उस नयी टेक्नोलोजी का सदुपयोग कर नयी साहित्यिक चेतना को जगाने हेतु कुछ करने का भाव नहीं जगा पाए |और आज यदि कुछ महानुभावों ने ये
कदम उठाया है तो उन के कदम से कदम और कंधे से कन्धा मिलाना हमारा कर्तव्य बन गया है | ये मंच उभारेगा उन छिपे हुए कुछ ऐसे अनगढ़ हीरों को जो शायद वक्त की गर्द में अपनी चमक दिखने से पूर्व कही खो गया होते ...ये मंच पहुचायेगा उस आवाज को दूर तक जो एक दिन फैले फैलते हम सब की एन संगठित आवाज बन कर गूंजेगी ...ये मंच लौटा लायगा हमारे उन अपनों को जो हिंदी भाषा को भूल
बैठे हैं ...ये मंच एक बार फिर से भारतीय होने का गर्व जागृत करेगा ...ये मंच विश्व को नए अनूठे साहित्यकार देगा ...ये मंच कलम उठाने के लिए हमारी हौसला अफजाई करगा...मैं इस मंच की , इस मंच से जुड़े समस्त लोगों को और उन की इस नेक भावना को नमन करती हूँ ....

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं कि मधु जी के बारे में जानकारी मुझे मिली भाई गणेश बागी जी से| हिदी के प्रति आप का समर्पण वाकई वंदनीय है| सात समंदर पार जा कर भी आप जो हिन्दी का अलख जगा रही हैं, उस के लिए आप कोटि कोटि साधुवाद की पात्र हैं| हरि भाई, कथूरिया जी और आप का हमारे प्रयासों को सराहना हमें आप के और नज़दीक लाया है| हिन्दी की सेवा में हमारे लायक जो भी काम हो, निस्संकोच एवम् साधिकार कहिएगा|