Sunday, August 08, 2010

यह कैसी पसंद...?

फेसबुक पर अपने मित्रों को सूचना देते हुए धर्मक्षेत्र की जानीमानी सरगर्म शख्सियत  Gita Sharma ने आठ अगस्त को कहा, "दोस्तों मेरे चाचा जी 7 अगस्त 2010 को 80 वर्ष की आयू में लम्बी बिमारी के बाद हमे छोड़ कर स्वर्ग सिधार गये हें अतः कुछ समय के लिए मेरा फेसबुक पर आना सम्भव नही हो सकता. इस दुखद सूचना को पढ़ कर जहां कई मित्रों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये, हमदर्दी के दो बोल लिखे, आत्मिक शान्ति के लिए प्रार्थना की और परिवार को यह दुःख सहने के लिए सांत्वना दी वहीँ कुछ लोगों ने झट से पसंद की आप्शन पर चटखा लगा कर इसे पसंद कर लिया. तकरीबन तकरीबन यही हुआ अभी हाल ही में उस वक्त जब पंजाबी के जानेमाने गीतकार Amardeep Gill ਅਮਰਦੀਪ ਗਿੱਲ के माता जी चल बसे. इस दुखद सूचना को पढ़ कर भी बहुत से लोगों ने झट से पसंद कर लिया. इस पर पंजाबी के एक और जानेमाने शायर और जज तरलोक सिंह जज ने गहरा दुःख व्यक्त किया. ज़ाहिर है की नजदीकी रिश्तेदार के देहांत की खबर को झट से पसंद करने वालों ने बात को पूरी तरह देखा ही नहीं. इस से ज़ाहिर होता है की कुछ लोग फेसबुक पर आना एक मजाक समझते हैं. आज के दौर में इंटरनैट की दुनिया मज़ाक नहीं रही. यह एक गंभीर काम है. अगर आपके पास वक्त नहीं है तो मत आईये पर आना है तो सहज और गंभीर  होकर आईये. मौत जैसी खबर पर पसंद का चटखा मत लगाईये.अगर आप किसी का दुःख बाँट नहीं सकते तो उसके जख्मों पर नमक मत छिड़किये. फेसबुक के दोस्त भी हमारे दोस्त हैं जो सभी काम छोड़ कर हमारे लिए वक्त निकालते हैं, हमारा दुखसुख बांटते हैं, ज़रुरत पड़ने पर हमें सांत्वना भी देते हैं और सलाह भी.क्या हम दुःख की इस घड़ी में हमदर्दी के दो बोल भी नहीं लिख सकते.....?????ज़रा सोचिये तो......!!!!   

            --रेक्टर कथूरिया  

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