बहुत देर पहले एक फिल्म आई थी राजा और रंक. इसमें एक गीत था:
मेरा नाम है चमेली, मैं हूं मालन अलबेली, चली आई हूं अकेली बीकानेर से. आनंद बक्शी जी के लिखे इस गीत को अपनी सुरीली आवाज़ दी थी लता मंगेशकर जी ने और संगीत से सजाया था लक्ष्मी कान्त प्यारे लाल जी ने.जब भी मुझे यह गीत सुनाई दे तो मुझे चमेली के फूल याद आते हैं, उनकी महक याद आती है और जब भी मुझे चमेली के फूल दिखाई दें तो मुझे इस गीत की याद आती है. अंग्रेजी में हम जिसे Jasmine कहते हैं हिंदी में उसे कहा जाता है चमेली जो कि फ़ारसी शब्द यासमीन से बना है. इसका अर्थ होता है प्रभु की कृपा या भगवान की सौगात. आम तौर पर इसका रंग सफेद होता है लेकिन कहीं कहीं पीले रंग की चमेली भी होती है. तेल इतर और परफ्यूम इत्यादि के उत्पादन में इसके फूल प्रयोग होते हैं. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में इसका उत्पादन विशेष तौर पर किया जाता है. अलग अलग भाषायों में इसके अलग अलग नाम हैं.लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. लेकिन चमेली की बात मैं फिर भी कर रहा हूं. वजह है एक नयी जानकारी जो शायद आपके लिए खुशखबरी भी हो सकती है. स्कून भरी नींद के लिए जो लोग नींद की गोलियां खा कर थक गए हों, योग साधना जो नियमत कर न पाते हों उनके लिए चमेली एक वरदान है.जर्मन वैज्ञानिकों ने अपनी नयी खोज के बाद दावा किया है कि बस सांस भर कर चमेली के फूल की सुगंध लीजिये और आपको मिलेगी स्कून की नींद. अगर हर सुबह तरोताज़ा हो कर उठना हो तो ऐसी नींद ज़रूरी है जो आपको मिलेगी चमेली के फूलों से. पूरा विवरण पढने के लिए यहां चटखा लगाईये. --रेक्टर कथूरिया
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