परिवार पंजाबी लेकिन इलाका पूरी तरह गैर पंजाबी. जी मैं बात कर रहा हूं झारखंड के पलामू जिले में रहने वाले एक पंजाबी परिवार में जन्मी रजनी की.हुआ यह कि इस पंजाबन मुटियार ने हिंदी में भी मुहारत हासिल कर ली. तीन बहनों और एक भाई में सबसे बड़ी रजनी. पहली सन्तान को जो लाड प्यार मिलता है वह उसे सारे का सारे मिला बिना किसी कंजूसी के. उसके ख्यालों में एक उड़ान आ गयी. वह स्कूल की उम्र में ही कविता लिखने लगी. कुछ सहेलियों को वे कवितायें अच्छी लगीं तो उन्होंने कहा कविता लिखने का यह सिलसिला कभी बंद न करना. यह शायद पहला पुरस्कार था जो उसे अपनी कविता की वजह से मिला. वह अपनी क्लास के साथ स्कूल में भी लोकप्रिय हो गयी थी. पर घर के इस लाड प्यार ने उसे मनमानी करने वाली जिद्दी भी बना दिया. जरा सा विरोध या इनकार वह सहन नहीं कर पाति थी. एक तो भावुकता और दूसरा गुस्सा. पर रजनी ने दोनों में सामजंस्य बैठा लिया था. पर ज़िन्दगी कहां है इतनी सीधी और सपाट, कब चलती है यह किसी के भी साथ उसकी मर्जी के मुताबिक.... ? इन्सान कुछ और सोचता है, योजना कुछ और बनाता है लेकिन सामने कुछ और ही आता है. इसे अब भगवान की मर्जी ही कहा जा सकता है कि पढ़ाई लिखाई की उम्र में ही उसकी शादी हो गयी. उस वक्त उसकी उम्र थी केवल 19 वर्ष और उसने इंटर पास की थी. शादी के बाद जिम्मेदारियों की जो आंधियां चलती हैं उनके सामने कविता और पढ़ाई तो दूर की बात है ज़िन्दगी का संतुलन बैठा पाना भी कभी कभी असम्भव सा लगने लगता है लेकिन रजनी ने यह सब भी कर दिखाया. उसने बाकी की पढाई ससुराल में आकर शुरू कर दी. स्नातक इतिहास में वह टोपर रही. बी एड और कम्प्यूटर में बी सी ऐ करने के बाद अब इग्नोयू से स्नातकोतर कर रही है. उसका मानना है कि अगर कोई भी नारी अपनी लगन की शमा को बुझने न दे और साथ ही वक्त की कीमत को भी हमेशां याद रखे तो उसकी मेहनत के सामने पूरी दुनिया झुकेगी, परिवार के साथ पूरा समाज उसका साथ देगा. वह कहती है यदि उड़ने की तमन्ना ज़ोरदार हो तो फिर आकाश खुद बुलाता है. वह याद दिलाती है...मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये....बस हर काम मेहनत के साथ लगन भी मांगता है समय की कीमत भी. अब ज़रा एक रंग उसके काव्य का...:
मंजिलें उनको हैं मिलती,
जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है,
कोशिशें अगर कि दिल से,
अच्छी अंजाम होती है,
थककर वो बैठ जाते है,
जिनकी कोशिशें नाकाम होती हैं|
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चलने की कर तू शुरू ,मंजिल की तलाश में,
राह का क्या है ,वो खुद ही बन जायेगा,
मानती हूँ,ठोकर भी आते हैं राह में,
तू बन जमीं किसी के वास्ते ,
कोई तेरा आसमां बन जायेगा.
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कौन है जो ज़िन्दगी से मजबूर नहीं,
कौन है जो मंजिल से दूर नहीं,
गुनाह तो सभी करते हैं,
मेरी नजर में खुदा भी बेकसूर नहीं|
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बहुत रंग हैं जीवन के,
जिसमे गम का रंग गहरा है,
खुशियों के सांचे पर तो,
ग़मों का ही पहरा है,
भागते हैं हम गम से,
पर गम से ही जीवन रुपहला है,
बहुत रंग हैं जीवन के,
जिसमे गम का रंग गहरा है|
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माँगा तो क्या माँगा जो अपने लिए माँगा,
दूसरे के आंसू से अपना दामन भींगे,
सच्ची दुआ तो इसे ही कहते हैं|
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आप उसके एक ब्लॉग पर यहां क्लिक करके जा सकते हैं, दूसरे पर यहां क्लिक करके, तीसरे पर यहां क्लिक करके और चौथे पर यहां क्लिक करके.आपको यह प्रस्तुति कैसी लगी अवश्य बताएं. --रेक्टर कथूरिया
4 comments:
रजनी जी के बारे मे जानकार अच्छा लगा..शुभकामनाए..!!
रजनी जी के बारे मे जानकार अच्छा लगा..शुभकामनाए..!!
रजनी जी के बारे मे जानकार अच्छा लगा..शुभकामनाए..!!
रजनी जी के बारे मे जानकार अच्छा लगा..शुभकामनाए..!!
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