Friday, August 27, 2010
हिन्दू समाज आतंकवादी हो ही नहीं सकता....मास्टर मोहन लाल
"भगवा आतंकवाद" के मुद्दे पर माहौल एक बार फिर गर्मा गया है. भारतीय जनता पार्टी ने भोपाल में इसी मुद्दे पर चर्चा करते हुए इन शब्दों पर कड़ा एतराज़ जताया. भाजपा ने इन शब्दों के खिलाफ जहां अपने तेवर और तीखे कर लिए हैं वहीँ चेतावनी भी दी है कि अगर इन शब्दों का प्रयोग नहीं रुका तो देश भर में इसके खिलाफ सखत प्रतिक्रिया होगी. गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मन्त्री पी चिदंबरम ने हाल ही में कहा था कि भगवा आतंकवाद खतरनाक है और इससे सावधान रहने की आवश्यकता है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने इन शब्दों पर सख्त एतराज़ करते हुए देशव्यापी प्रतिक्रिया की चेतावनी दी. वहीँ भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी इस मुद्दे पर पार्टी की तरफ से रोष व्यक्त किया है. उन्होंने याद दिलाया कि राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए कांग्रेस की कमेटी ने जिस झंडे की अनुशंसा की थी वह भगवा ही था. अभी भी भगवा रंग राष्ट्रीय ध्वज में सब से ऊपर है. इससे पूर्व शिवसेना सदस्यों ने भी लोक सभा में इस मुद्दे पर अपना रोष व्यक्त करने के लिए सदन से वाकआयूट किया इस खबर को ख़ास खबर सहित मीडिया ने काफी प्रमुखता से स्थान दिया है.
गौरतलब है कि इन शब्दों के प्रयोग पर पहले भी सख्त रोष व्यक्त किया जा चुका है. नागपुर में भी इस मुद्दे काफी चर्चा हुई. आर एस एस के विचारक एम जी वैद्य उर्फ़ बाबू राम वैद्य ने तो इसे एक तोहमत बताते हुए यहां तक कहा कि इसे जल्द से जल्द हटाया जाना चाहीए. उन्होंने यह भी कहा कि जब 1984 में तीन हजार सिखों कि हत्याएं हुईं थीं तो क्या इसे कांग्रेस का आतंकवाद कहा जाना चाहिए....? उन्होंने कहा कि इस साज़िश के अंतर्गत जहां हिन्दू समाज को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है वहीँ मुस्लिम समाज को लुभाने के प्रयास भी हो रहे है. इसी बीच पंजाब के कैबनेट मन्त्री मास्टर मोहन लाल ने तो बहुत ही भावुक होते हुए यह सवाल भी किया कि क्या इन पांच सात लोगों का नाम आने से पूरा हिन्दू समाज ही आतंकवादी हो गया....???? उन्होंने अपने चिर परिचित अंदाज़ में स्पष्ट किया कि हिन्दू समाज आतंकवादी हो ही नहीं सकता...!अब देखना यह होगा कि आरोप की तरह लगते इन शब्दों के प्रयोग का सिलसिला राजनीती की जंग में कब तक जारी रहता है. यदि आपको इस मुद्दे पर कुछ कहना है तो हमें तुरंत अपने विचार भेजिए. हम भी इंतज़ार में हैं और पंजाब स्क्रीन के पाठक भी. --रेक्टर कथूरिया
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