ज़रा सोचिये कैसा होगा वह दिन जब अखबारों और चैनलों में आतंकवादियों की तरफ से बड़ी बड़ी खबरें छपेंगी कि सबसे अच्छे हैं हम, हमने जहां जहां भी गोलियां चलायी, बम धमाके किये वे बहुत आवश्यक थे, उनमें मासूम लोग नहीं सभी पापी मारे गए, हमने किसी निर्दोष की हत्या नहीं की, हमने तो पापी का वध किया...., भ्रष्ट तत्वों और तस्करों जैसे समाज विरोधी तत्वों की तरफ से कहा जायेगा कि हमने जो रिश्वत ली वह तो बहुत आवश्यक थी, पैसे का संतुलन बनाये रखने के लिए उठाया गया कदम था, उस पैसे के बदले हमने देश के राज़ नहीं बेचे, जो कागज़ बरामद हुए वे तो रद्दी के टुकड़े थे, बदबू मार रहे थे हमने उन्हें हटा कर सफाई कर दी है...फिर उस पैसे से हमने धर्मस्थलों में लंगर भी तो लगवाये हैं...देश के साथ हुए सौदों से जो पैसा खाने का इल्जाम हम पर है वह तो हमारी कमिशन थी...पूरी तरह से कानूनी कमाई.....अगर इस तरह की बहुत सी खबरें छपने लगें तो आप हैरान मत होना कि यह क्या हो रहा है. पेड न्यूज़ के चलते यही सब होने वाला है. पैसे खर्चो, कुछ कालम या फिर पेज खरीदो और उनमें छपवा डालो अपनी मर्जी की बातें. अगर पैसे थोड़े ज्यादा खर्चे जाएं तो उसके अंत में छोटा सा शब्द विज्ञापन भी नहीं दिखेगा. यही हालत चैनलों में भी आम हो जाएगी. अगर आप के आसपास सारी की सारी स्थिति नर्क जैसी भी हुई तो भी खबर आयेगी स्वर्ग से सुंदर इलाका.
पेड न्यूज़ की चर्चा राज्य सभा में भी हुई थी, संगोष्ठियों में भी यह मुद्दा उठा, इसे मीडिया घरानों की काली कमाई भी कहा गया..ऐसा और भी बहुत कुछ कहा सुना गया. इसी बीच 5 अगस्त गुरूवार की रात को राजनीती खेल सत्ता का के विषय पर बहस शुरू करने से पहले मोर्य टीवी के एंकर ने ख़बरों की खरीदो फरोख्त के खिलाफ बाकायदा घोषणा की कि मोर्य टीवी मोर्य टीवी पेड न्यूज़ नहीं दिखायेगा. अब जागरूक पत्रकारों ने इस विरोध को और भी ज़ोरदार बनाते हुए पेड न्यूज़ के खिलाफ बिगुल बजा दिया है.
फिलहाल जो पत्रकार एंटी पेड न्यूज़ फोरम से जुड़ चुके हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं- अमरनाथ तिवारी (द पॉयनियर), अजय कुमार (बिहार टाइम्स डॉट काम), आनंद एस. टी. दास (एशियन एज), अभय कुमार (डेक्कन हेराल्ड), धर्मवीर सिन्हा (आज तक, झारखंड), गंगा प्रसाद (जनसत्ता), हरिवंश (प्रभात ख़बर), मणिकांत ठाकुर (बीबीसी), मनोज चौरसिया (स्टेट्समैन), मुकेश कुमार (मौर्य टीवी), निवेदिता झा (नई दुनिया), प्रियरंजन भारती (राजस्थान पत्रिका), सौम्यजीत बैनर्जी (द हिंदू), संतोष सिंह (इंडियन एक्सप्रेस), संजय सिंह (द ट्रिब्यून), सुजीत झा (आज तक, बिहार), श्रीकांत प्रत्यूष (ज़ी न्यूज़), सुरूर अहमद (स्वतंत्र पत्रकार), शशिधर खान (स्वतंत्र पत्रकार)।
फोरम बिहार, झारखंड और दूसरे राज्यों के पत्रकारों का सहयोग और समर्थन हासिल करने के लिए सीधे संपर्क कर रहा है। इस ख़बर के माध्यम से भी वह समस्त पत्रकारों, पत्रकार संगठनों और मीडिया संस्थानों से अपील करता है कि वे इस मुहिम को मज़बूती प्रदान करने के लिए 28 अगस्त को पटना में जुटें और सामूहिक तौर पर आवाज़ बुलंद करें। पेड न्यूज़ के ख़िलाफ़ इस मुहिम से जुड़ने के लिए या इस बारे में अपने सुझाव देने के लिए कृपया इस पते पर मेल करें- antipaidnews@gmail.com
गौरतलब है कि वर्ष 2009 के अंत में एडीटरज गिल्ड ने भी इसे ख़बरों का काला धंधा बताते हुए इसे रोकने के लिए पहल की थी. अब देखना यह है कि मीडिया पर जनता का भरोसा कायम रहता है या दूसरे क्षेत्रों कि तरह यहां भी आम आदमी को निराशा ही हाथ लगने वाली है...??? -रेक्टर कथूरिया
1 comment:
hume mil kr awaz buland krni hogi nahi to vo din door nahi ki mediea me jaise aapne kha hai vaise hi hoga or hr trf crime hoga or aam aadmi ka jeena hram ho jayega.kiyoki aaj media me khabr lgane ke liye aapko advt deni hogi advt de kr aap hr galat news lgva skte ho.....jindal
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