Saturday, July 17, 2010

ब्लॉग जगत की आवाज़

लीजिए अब प्रिंटर मानव अंगो का भी निर्माण करेगा।" रक्त कोशिकाओं के मदद से ऊतको का निर्माण जिनका उपयोग अंगो के निर्माण में होता है " मुझे इसकी जानकारी मिली जानीमानी शायरा और ब्लोगर रंजना भाटिया के बज़ से जब मैं जीमेल से अपनी मेल चैक कर रहा था. लिंक पर पहुंच कर देखा तो पूरी रचना ही बहुत ख़ास है.इसका प्रकाशन बहुत ही सुरूचिपूर्ण ढंग से किया है 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' ने.लीजिये पढ़िए इस पूरी स्टोरी को और कर लीजिये अपने ज्ञान में बढ़ोतरी.
ममें से कितनों ने स्पेन को वर्ल्ड कप 2010 का विश्व चैंपियन सोचा था? बहुत कम। यह जानते हुए भी कि वो यूरोपियन चैंपियन है, इसके चाहने वालों की संख्या दुनिया में सीमित थी। और अपने पहले ग्रुप मैच में स्विट्जरलैंड से हार जाने के बाद तो इसकी संभावना और क्षीण हो गयी थी। ठीक इसी तरह नीदरलैंड एक सामान्य टीम के रूप में मानी जाती थी और किसी ने भी उसके उपविजेता होने का नहीं सोचा था। और भी कई कारण बने जो इस साल का फुटबाल वर्ल्ड कप भारी उलट-फेर का इतिहास बनकर रह गया। पूरी स्टोरी पढ़िए हिंदी कुञ्ज पर जिसने इसे बहुत ही आकर्षक अंदाज़ में प्रकाशित किया है. 




भारत में बौद्धिक जनतंत्र की स्थापना की दिशा में कदम रखने से पूर्व हम अपने बौद्धिक साथियों को शासन और व्यवस्था के शब्द जाल से परिचित करना चाहेंगे. बहुधा शासन-व्यवस्था शब्द-समूह का उपयोग सहज भाव से कर लिया जाता है किन्तु इस शब्द समूह में एक छल समाहित है. वस्तुतः शासन और व्यवस्था दो प्रथक विषय हैं और दोनों का कोई परस्पर सम्बन्ध नहीं है. शासन शोषण का पर्याय है जहां समाज को शासक और शासित वर्गों में विभाजित रखा जाता है. यह मानवता को सामंती युग की देन है और भारत में अभी-भी प्रचलित है. इस में अल्पसंख्यक शासक वर्ग अपने छल-बल से बहुसंख्यक शासित वर्ग का निरंतर शोषण करता रहता है ताकि शोषित वर्ग कदापि शोषण का विरोध करने में समर्थ ही न हो सके.इस सम्वेदनशील मुद्दे की चर्चा की है जनोक्ति ने लीजिये आप भी पढ़िए और अपने विचारों से अवगत करवायीए.
भारतीय मुद्रा रुपये को नयी और मौलिक पहचान मिलने पर हर वर्ग में खुशी की लहर है इसकी चर्चा गूगल के बज़ में भी हुई. आप इस चर्चा को भी पढ़िए और अगर कुछ कहना चाहते हैं तो आप भी ज़रूर कहिये.
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने की चेतावनी सिगरेट पर तो होती है पर बीड़ी के बंडल पर नहीं. आखिर क्यूं...? क्या गरीब आदमी इस दुनिया में केवल मरने के लिए ही पैदा होता है....? इस मुद्दे को उठाकर इस सिस्टम की असलीअत, नीतियों और इरादों पर उंगली उठाई है प्रदीप मिश्रा ने अपने ब्लॉग के ज़रिये. इस ब्लॉग पर चक्कर अवश्य लगाएं.
मोसे खाने का एक अलग ही मज़ा है.थोड़ी सी भूख लगी हो, आफिस से छुट्टी कर ली हो और सफ़र की बस तैयार खड़ी ही..ऐसे में मिल जाएँ गर्म गर्म समोसे...इस सारे आनंद को बहुत ही खूबसूरती से ब्यान किया गया है मीडिया युग में नया दिन नयी कहानी के ज़रिये.इसे पढने के लिए यहां क्लिक करें और बताएं की आपको यह ब्लॉग कैसा लगा.
मर्द को  भी दर्द होता है...पर मर्द बेचारा जाए तो कहां जाए.इस मुद्दे को उठाया गया है बहुत ही खूबसूरत और संवेदनशील अंदाज़ में झक झक टाइम्स में. इस को पूरा पढ़िए और विचार करने के बाद बताईये की क्या ख्याल है आपका? 
शोर प्रदूषण एक शाप बन चुका है.इसके बावजूद इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठ रहा. इस बार फिर दिल्ली में पटाखों के लिए लाइसेंस जारी करने की प्रकिरिया शुरू हो चुकी है. आपको वक्त पर आगाह किया है किरण अरोड़ा ने अपने ब्लॉग कुछ जग की कुछ मन की में.



सपने जिनकी नींव हैं और लेखनी जिनकी ताक़त .....जो सपनों की दुनिया में कोमलता ढूँढती हैं और हकीक़त कविता के रूप में सामने आ जाती है .... इनका मानना है कि सपनों की दुनिया मन की कोमलता को बरकरार रखती है...हर सुबह चिड़ियों का मधुर कलरव - नई शुरूआत की ताकत के संग इनके मन-आँगन में उतरा....



इन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ कवियित्री का अलंकरण देते   हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है.



रश्मि प्रभा की इस पूरी काव्य कथा को बहुत ही काव्यपूर्ण अंदाज़ में साहित्य जगत के सामने रखा है परिकल्पना ने. आप भी पढ़िए इस पूरी खुश खबरी को केवल यहां क्लिक करके.कहिये आप भी कुछ कहिये.आपके विचारों से हिंदी ब्लॉग सेवा और अधिक संगठित और मज़बूत होगी.---रेक्टर कथूरिया








No comments: