कोई ज़माना था जब गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली से नए समाज का नव निर्माण करने वाले नौनिहालों को बहुत ही लगन और मेहनत से तैयार किया जाता था. धीरे धीरे यह परम्परा छूटती गयी और नए सिस्टम ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया. अब उस गुरुकुल सिस्टम को फिर से लाने के मकसद से स्वामी आत्मयोगी के संचालन में चल रहे संगठनों ने अयोध्या क्षेत्र में 4 रामराज्य गुरूकुलम खोलने की योजना बनाई है|इनमें से पहला होगा भरतकुंड में.
भरतकुंड: अयोध्या से 14 किमी दूर वह स्थान है जहाँ भरत ने राम पादुका रखकर श्री राम की 14 वर्ष तक प्रतीक्षा की थी. दूसरा स्थान है मखोड़ा में. यह दशरथ द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ का स्थल है| इसी यज्ञ के उपरांत राजा दशरथ के राम, लक्ष्मण, भरत व् शत्रुघ्न 4 पुत्र उत्पन्न हुए | यह स्थल अयोध्या से 16 किमी दूर है. तीसरा स्थल है विल्वहरी घाट जो कि राजा दशरथ का समाधि स्थल - जहाँ राजा दशरथ ने शिकार के समय भूल से श्रवण कुमार को मार दिया था तथा उन्हें श्रवण कुमार के माता-पिता ने पुत्र वियोग में विकल होकर मरने का श्राप दिया था और राजा दशरथ के श्री राम के वियोग में मरण के उपरांत उनकी अंतिम क्रिया की गयी थी | यह स्थल अयोध्या से 13 किमी दूर है | इसी तरह चौथा स्थान है तमसा तट क्षेत्र में.तमसा तट राम वन गमन मार्ग पर श्री राम का पहला पड़ाव स्थल है और अयोध्या से 15 किमी दूर है| आपको यह परियोजना और यह घोषणा कैसी लगी अवश्य बताएं. --रेक्टर कथूरिया
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