विश्व मंदी निवारण
सदियों पहले भारत की स्त्रियों ने ,
घर घर में महालक्ष्मी को जगाकर,
भारत को सोने की चिड़िया बनाया था.
इसीलिए उनको,
गृहलक्ष्मी कहा जाने लगा था .
उस समय के विद्वान सैनिको को,
यह नहीं समझा सके,
कि उन्हें देश की रक्षा के लिए.
लक्ष्मी नहीं दुर्गा को जगाना है,
इस छोटी सी भूल ने देश को,
गुलाम बना दिया.
तब विद्वानों ने कहा,
हमारे पास धन तो बहुत है,
हमें शक्ति चाहिए
देश को विदेशियों के,
चंगुल से छुड़ाने के लिए,
घर घर में दुर्गा को जाग्रत कर,
देश को विदेशी शक्तियों से मुक्त कराया.
आज देश स्वतंत्र है,
पर देश के युवक युवतियां,
भिखारी कि तरह विदेशों से,
धन कमाकर देश को,
आक्सिजेन प्रदान कर रहे हैं .
आज देश के घर घर में,
लक्ष्मी की जगह,
दुर्गा पूजा हो रही है.
घर घर युद्ध स्थली बन गया है.
स्त्रियाँ अपने लक्ष्मी को जगाकर,
घर को धनी बनाने के,
गृहलक्ष्मी के दायित्व को भूलकर,
गृह्दुर्गा की तरह,
अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है.
आज का भारत विश्व में फैल गया है
और गृह लक्ष्मी को फिर से,
विश्व मंदी को दूर करने के लिए,
घर घर महालक्ष्मी को जगाकर,
विश्व में धन का प्रवाह बढ़ाना है
और इस तरह,
भारत की गृह लक्ष्मी को,
विश्व में प्रतिष्ठा दिलाना है
घर घर में महालक्ष्मी को जगाकर,
भारत को सोने की चिड़िया बनाया था.
इसीलिए उनको,
गृहलक्ष्मी कहा जाने लगा था .
उस समय के विद्वान सैनिको को,
यह नहीं समझा सके,
कि उन्हें देश की रक्षा के लिए.
लक्ष्मी नहीं दुर्गा को जगाना है,
इस छोटी सी भूल ने देश को,
गुलाम बना दिया.
तब विद्वानों ने कहा,
हमारे पास धन तो बहुत है,
हमें शक्ति चाहिए
देश को विदेशियों के,
चंगुल से छुड़ाने के लिए,
घर घर में दुर्गा को जाग्रत कर,
देश को विदेशी शक्तियों से मुक्त कराया.
आज देश स्वतंत्र है,
पर देश के युवक युवतियां,
भिखारी कि तरह विदेशों से,
धन कमाकर देश को,
आक्सिजेन प्रदान कर रहे हैं .
आज देश के घर घर में,
लक्ष्मी की जगह,
दुर्गा पूजा हो रही है.
घर घर युद्ध स्थली बन गया है.
स्त्रियाँ अपने लक्ष्मी को जगाकर,
घर को धनी बनाने के,
गृहलक्ष्मी के दायित्व को भूलकर,
गृह्दुर्गा की तरह,
अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है.
आज का भारत विश्व में फैल गया है
और गृह लक्ष्मी को फिर से,
विश्व मंदी को दूर करने के लिए,
घर घर महालक्ष्मी को जगाकर,
विश्व में धन का प्रवाह बढ़ाना है
और इस तरह,
भारत की गृह लक्ष्मी को,
विश्व में प्रतिष्ठा दिलाना है
(Tuesday, November 24, 2009 at 3:22pm)
कन्या का जन्म,
लक्ष्मी का आना माना जाता है,
घर घर में स्त्रियाँ,
गृह लक्ष्मी कहलाती हैं ,
फिर क्यों पग पग पर
घर घर में,
धन का अभाव हो जाता है .
सदियों से भारत में ,
स्त्रियों को शील-क्षमा-दयारूपा,
माना जाता है.
क्योंकि यह लक्ष्मी के गुण हैं ,
अतः भारतीय स्त्रियों को,
गृहलक्ष्मी होने के कारण,
लक्ष्मी के समान,
गुण संपन्न माना जाता है ,
सदियों से भारत में,
पति देवता कहलाता है .
एक देवता के होते,
अन्य देवताओं का आवाहन,
निंदनीय है,
अशोभनीय हो जाता है .
सदियों से भारत में,
पत्नी गृहलक्ष्मी कहलाती है .
अतः घर में,
लक्ष्मी के अतिरिक्त,
किसी अन्य देवी का आवाहन,
निंदनीय है,
अशोभनीय हो जाता है .
सदियों से भारत में,
लक्ष्मी को सतोगुणी,
व रजोगुणी स्वभाव के कारण,
धन वा सुख दोनों,
देने वाली माना जाता है.
फिर केवल धन की आशा से,
तमोगुणी स्वभावका वरण,
निंदनीय है ,
अशोभनीय हो जाता है
(Tuesday, November 24, 2009 at 7:42pm)
आपको आत्म योगी स्वामी जी की यह रचनायें कैसी लगीं अवश्य लिखिए. आपके वचारों की इंतजार तो रहेगी ही.--रैक्टर कथूरिया
2 comments:
बहुत बढ़िया लगा पढ़्ना आत्मयोगी जी को.
ब्लाग पर आना सार्थक हुआ
काबिलेतारीफ़ प्रस्तुति
आपको बधाई
सृजन चलता रहे
साधुवाद...पुनः साधुवाद
satguru-satykikhoj.blogspot.com
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