Thursday, April 29, 2010

ऐसे लागी लगन

उन दिनों मैं अमृतसर में था. अपनी बुआ के घर में रह रहा था. वहीँ पास ही एक बहुत ही अच्छे परिवार में एक लड़की भी थी जो गाती भी बहुत अच्छा थी और पढाई लिखाई में भी काफी तेज़ थी. उसके चेहरे पर एक दिव्यता सी थी. उस किशोर उम्र में भी वह वह गंभीर बातें करती थी. मैं चूंकि घर परिवार से लगातार दूर था सो कई बार उदास भी हो जाता. वह आती कुछ ऐसी बातें करती कि मेरा उदास मन ठीक हो जाता. एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या राज़ है तुम्हारी इस ताकत का कि तुम कभी किसी परेशानी में भी परेशान नज़र नहीं आती, कभी उदास नहीं होती वह मुस्कराती और बात को टाल जाती. वह किसकी पूजा करती थी मैं नहीं जानता पर उसके चेहरे पर जो बात थी, जो दिव्यता थी वह बताती थी कि वह कुछ ख़ास करती है. एक दिन स्कूल से लौटी तो बहुत खुश थी.पता चला कि उनके स्कूल में सत्य साईं बाबा आने वाले थे. मुझे पहली बार पता चला कि इस धरती पर कोई साईं बाबा भी हैं जिनकी पूजा बहुत बड़े पैमाने पर होती है. उसने मुझे साईं बाबा की कई बातें सुनायीं. कई तस्वीरें दिखायीं.लम्बा सा गेरुया चोला, सिर पर लम्बे और खड़े खड़े से बाल. आंखों में एक आकर्षक चमक. वह तस्वीर मेरे मन में उतर गयी.  
       फिर एक दिन ऐसा भी आया कि मुझे अमृतसर छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा. एक दिन मेरे पिता जी मुंबई से लौटे तो कहने लगे अगली बार तुम भी चलना. बात बात में मैंने पूछा कि साईं बाबा कहाँ होते हैं? उस दिन पिता जी से मुझे पता चला कि वास्तव में तो अधिकतर लोग शिर्डी वाले साईं बाबा के भक्त हैं. फिर एक दिन मैंने कहीं पर शिर्डी वाले साईं बाबा की तस्वीर भी देखी.बड़ी दुविधा सी होने लगी की वास्तव में असली साईं बाबा कौन..? सत्य साईं बाबा या शिर्डी साईं बाबा ? वक्त के साथ बात एक बार फिर आई गयी हो गयी. मैं दिल्ली से पंजाब लौट आया.
     उन्हीं दिनों एक फिल्म आई थी अमर, अकबर और एंथोनी. सन 1977 में आई इस फिल्म के निर्माता निर्देशक थे मनमोहन देसाई. अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बाबी और शबाना आज़मी के साथ साथ प्राण और निरूपा राये भी थे. फिल्म का संगीत तैयार किया था लक्ष्मी कान्त प्यारे लाल ने. उस फिल्म में एक गीत था शिर्डी वाले साईं बाबा आया है तेरे दर पे सवाली. इस कवाली नुमा गीत में सभी कुछ इतना अच्छा था कि यह गीत आज भी यादगारी गीत बना हुआ है. आज भी लोग इसे अपनी रिंग टयून बनाते हैं.
            इस गीत के बाद ही मुझे शिर्डी का कुछ पता चला, साईं बाबा के बारे में कुछ जानकारी मिली पर अभी तक मैं नहीं जा पाया. पर आज एक संदेश मिला जिसने मेरी इन सभी यादों को ताज़ा कर दिया. यह सन्देश था संगीत की दुनिया के साथ बहुत ही गहरायी और दिव्यता से जुड़े हुए नरेश कुमार की ओर से. साईं तुम को नमन  से नयी बुलंदियों को छू रहे नरेश कुमार ने इसी नाम से एक पेज भी बनाया है और एल्बम का नाम भी यही है. इसकी चर्चा मैंने अपनी किसी पिछली पोस्ट में भी की है. अब उनका नया संदेश था नयी एल्बम साईं की नजर-ए-कर्म के संबंध में. इसमें दिल और दिमाग को छू लेने वाले संगीत के साथ साथ साईं बाबा की कुछ दुर्लभ तस्वीरें भी है. देखिये और बताईये कैसी लगी आपको यह नयी एल्बम.--रैक्टर कथूरिया

No comments: