जंग हिंद पंजाब दा होण लगा ,
दोवें पातशाही फौजां भारीयाँ ने ,
अज होवे सरकार ता मुळ पावे ,
जेहडिआं खालसे तेगां मारियाँ ने !
पर इसी पंजाब को पंजाब ke ही एक और शायर प्रोफ़ेसर मोहन सिंह ने लिखा है :
भारत है वांग मुंदरी! विच नग् पंजाब दा ..................
इन दो महान शायरों का ये ख्याल किस हालात में कविता बन कर निकला होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता है..........!
Wednesday, October 01, 2008
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4 comments:
achaa likha hai...likhte rahen..
Aap jaise achhe logon ke margdarshan se hi kuchh seekha ja sakta hai.........waqt nikalte rahein please
सही कहा आपने, पंजाब दा जवाब नहीं।
एक अनुरोध, कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे सुविधा होगी।
जाकिर जी की अनुशंसा करती हूँ ..पंजाब अब कहाँ पंजाब रहा नदियाँ तो बाँट गई विभाजन मे ..खैर यह दर्द जिसने झेला वो ही बता सकता है ..
बाहरहाल उत्साहवर्धन का धन्यवाद.स्नेह बनाये रखें.
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