Saturday, June 28, 2025

एक अधूरी आवाज़, एक ठहरी हुई चुप्पी

From Human Emotional State On Friday at 11:19 PM, 27th June, 2025, updated on 28th June, 2025 at 08:59 PM.

‘इंतज़ार में आ की मात्रा’ के आसपास की दुनिया


चंडीगढ़
: 27 जून, 2025 : (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क):: 

प्रेम को धैर्य की दरकार होती है... !!! काफ़ी देर बाद जब एक सुन्दर किताब पढ़ी जाती है तो, .... तो उस धैर्य में लिपटे प्रेम की बात ही अलग होती है। तो, ऐसा कुछ नहीं है मेरे पास कहने के लिए, लेकिन इस विषय पर संवाद करने की ख़्वाहिश हरदम शिद्दत से कायम रहती है।  

इसी सिलसिले में, लगभग दो महीने पहले एक किताब मिली, और उसी दिन से उसे लेकर लिखने के बारे में सोच रही हूँ। लेकिन आज जा कर लिख पा रही हूँ। कई बार सोचा कि जब पूरी पढ़ लूँगी, तभी कुछ कहूँगी, तभी इसके बारे में लिखूंगी। मात्रा में 

लेकिन कुछ किताबें ऐसी होती हैं जिन्हें चाहकर भी पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सकता। आख़िरी पन्ने तक पहुंचने के बाद भी आप फिर से किसी एक कविता, एक पंक्ति, या एक शब्द के पास वापिस लौट हैं, उसके साथ इस तरह जुड़ जायेंगे, जैसे कि वो आपके लिए ही लिखा गया हो।

किताबों से इतर ये किताब आपके मन से होते हुए, कब आपकी सोच और रूह तक पहुँच जाएगी, इसे वक़्त की भाषा में समझा पाना मुश्किल है। शायद पलक झपकने से भी कम समय में यह आपके दिल पर एक छाप छोड़ जाएगी। 


'इंतज़ार में आ की मात्रा’ — नवीन रांगियाल जी का कविता संग्रह, जिसमें लगभग 170 कविताएँ हैं —
इन्हें पढ़ने के बाद आप वैसे नहीं रहते जैसे पहले थे।
एक नई-सी महसूस करने की ऊर्जा जैसे भीतर बहने लगती है।
बिना किसी हड़बड़ी के। बिना किसी जल्दबाज़ी के।

हर शब्द में एक सहजता है। एक सरलता है।
जैसे-जैसे आप पन्नों पर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे कभी लौट कर पिछले पन्ने भी टटोलने लगते हैं।
क्योंकि वहाँ कुछ छूटा हुआ सा लगता है — और वही “छूटा हुआ” सबसे ज़्यादा अपना लगता है।

कभी लगता था, कि मन भावनाओं का ज़ाल है। जिसके तले सारा ब्रह्माण्ड समा सकता है, और शायद शब्द इस भावनाओं को बताने और जताने के रास्ते कम, पर बोझ ज़्यादा लगते हैं। 
वैसे ही जैसे, जब आपके पास बहुत कुछ होता है कहने के लिए, पर बताना नहीं आता। जाहिर करना नहीं आता। 

पर अगर शब्द इन कविताओं जितने ही सरल और सहज होते हुए, एक असीम और गहरा अर्थ छुपाये हुए हों, तो उन्हें बयां किया जा सकता है। 

खैर, 'इंतज़ार में आ की मात्रा' - कविताओं का ये संग्रह आपको भावनाओं के हर क्षितिज पर लेकर जायेगा। नवीन जी पत्रकार हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया, लोकमत, वेबदुनिया जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ जुड़ चुके हैं।
इन प्रोफ़ेशनल परिचयों से इतर — वे कमाल के कवि और लेखक हैं।

मुझे नहीं पता कविताओं ने उन्हें ढूँढा या उन्होंने कविताओं को, पर उनके द्वारा लिखी हर कविता, हर प्रोज, हर शब्द आत्मीयता की गंध समाये हुए हैं। जैसे कि वो लिखते हैं —

"ये दुनिया तब तक चलती रहेगी, जब तक हम एक-दूसरे से मिलने जाते रहेंगे।"

और उस कविता में:

दुनिया में सबकुछ सही चल रहा है
जहां कहना था, वहां चुप्पियां रख दी गईं
जहां रोकना था, वहां जाने दिया
हर जगह सही बात कही और सुनी गई
सभी ने अपने लिए सबसे सही को चुना
सबकुछ सही तरीके से रखा गया
कहीं भी कोई गलती नहीं की गई
नतीजतन, सारे हाथ गलत हाथों में थे
सारे पांव गलत दिशाओं में चले गए
दुनिया में सारे फैसले सही थे 
इसलिए सारे सफ़र ग़लत हो गए।

जिंदगी और नौकरी की दुश्वारियों में -- कला का सृजन बेहद अद्भुत है। इस अनुभूति की अभिव्यक्ति करना ही जैसे नविन का मुख्य पेशा हो। वो दिल के ज़ज़्बातों को इतनी सरलता से आपके सामने रख देते हैं, जैसे कि वो शब्द आपके लिए ही लिखे गए हों। और लगता है, यही नवीन जी का असली पेशा है —

जो तुम्हारे लिए नहीं लिखा गया,
उसमें भी उपस्थित हो
और अदृश्य की तरह
मौजूद हो तुम
हर तरफ़
दूरी में बहुत दूर जैसे
ज़िंदगी में "न" की बिंदी
इश्क़ का आधा "श"
और इंतज़ार में "आ" की मात्रा की तरह। 

प्रेम और संवेदनाओं से आगे बढ़कर, वे आज के हालात के बारे में भी बखूबी लिखते हैं। 

सबसे पहने जबान काटी जाती है 
सबसे पहले रीढ़ तोड़ी जाती है 
फिर चाहे वो किसी आदमी की हो 
या हाथरस की किसी लड़की की हो 

और जब वह लिखते हैं —
"एक पंक्ति की प्रतीक्षा के लिए लंबे समय तक जिया जा सकता है,
एक पूरी रात काटी जा सकती है।
दो वाक्यों के बीच के कुछ भी न होकर एक आसान ज़िंदगी चुनी जा सकती है।"
तो दो अक्षरों और दो वाक्यों के बीच में रहना,
मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। वे दो वाक्यों के बीच की 'ख़ामोशी' को भी कविता बना देते हैं।
उस खालीपन को जी लेना — शायद वही सबसे बड़ी कविता है।

आप इस किताब को Amazon, गूगल बुक्स या सेतु प्रकाशन के वेबपोर्टल से ऑनलाइन आर्डर कर सकते हैं। 
अगर आप साहित्य, शब्दों और ख़ास तौर पर कविताओं से प्रेम करते हैं तो इसे पढ़िए ज़रूर। 
उनकी दूसरी किताब भी जल्द ही आ रही है। 
आशा है, कि पत्रकार होते हुए, कवितायेँ ऐसे ही उनकी ज़िन्दगी में ख़बरों को ओवरटेक करती रहें।

क्यूं बेख़ौफ़ हैं सड़कों पर हत्याएं करने वाले हत्यारे?

जत्थेदार तलवंडी के पूर्व पीए की हत्या ने उठाये कई सवाल 

दुगरी रोड लुधियाना: 28 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंदर//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

सरेआम सड़कों पर हत्याएं बढ़ रही हैं और कातिल टोले लगातार बेख़ौफ़ हैं। खून खराबा एक आम बात हो गई है। मारकाट और हत्या को अपना लाइफस्टाईल बनाने वालों को शायद लगता है कि उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। उन्हें कोई रोकने वाला भी नहीं।  जग्गू भगवानपुरिया की मां को कत्ल करने का मामला अभी ताज़ा ही था कि लुधियाना में भी बीच सड़क पर पूर्व सांसद और वरिष्ठ अकाली नेता जगदेव सिंह तलवंडी के PA को तलवारों से काट डाला गया। वहां भी राह जाते लोग तो थे लेकिन डर के मारे कोई बचाने नहीं आया लोग हां कुछ लोग वीडियो बनाते रहे। हत्यारों ने जी भर कर अपनी रंजिश और गुस्सा निकाला। 

लुधियाना में शिअद नेता जत्थेदार झगड़े सिंह तलवंडी कभी अकालीदल के प्रधान थे। उन्हें लोहपुरुष कहा ही नहीं बल्कि समझा भी जाता था। उन्हीं के पूर्व PA कुलदीप सिंह मुंडियां की सरेआम तलवारों से हत्या कर दी गई। बर्बरता से की गई इस हत्या ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। जब बाहुबली ही बाहुबलियों की इस तरह सरेआम हत्याएं करने लगे हों तो अनुमान लगाइए आम इंसानों का डर के मारे क्या हाल हो रहा होगा।  अकाली नेता के पी इ रह चुके क्लुलदीप सिंह पर कार सवारों ने घेरकर हमला किया और सड़क पर ही मौत तक उन्हें पीटते भी रहे और तलवारों से काटते भी रहे। इस जघन्य घटना का वीडियो भी वायरल हुआ है। कहा जाता है कि इसे किसी राहगीर ने बना लिया था। 

सुरक्षा प्रबंधों में इतनी गिरावट शायद किसी ने नहीं सोची होगी। पंजाब के लुधियाना की सड़कों पर शुक्रवार देर रात दिल दहला देने वाला भयानक दृश्य था। पुलिस थाना भी नज़दीक ही है लेकिन हत्यारों को कोई डर न था। जब शिअद के पूर्व सांसद जगदेव सिंह तलवंडी के पूर्व पीए कुलदीप सिंह मुंडियां की सड़क के बीचोंबीच तलवारों से काटकर बेरहमी से हत्या की जा रही थी उस समय भी सड़क पर आनेजाने वालों की गिनती कम नहीं थी। हिंसक वारदातों में होती जा रही  बढ़ोतरी के चलते लोग भयभीत हैं। वे ऑंखें मूंद कर निकल जाते हैं या फिर वीडियो बनाते रहते हैं। इस घटना के समय भी आसपास मौजूद लोग मदद करने की बजाय वीडियो बनाने में लगे रहे।  जैसा कि अक्सर होता है इस वारदात के बाद भी आरोपी अपने शिकार की जान लेने के बाद बड़ी सफलता से फरार हो गए। घटना के बाद इस बार भी इलाके में दहशत का माहौल बन गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और इस घटना की सूचना कुलदीप के परिजनों को दे दी गई। जल्द ही आरोपी पकड़े भी जाएंगे लेकिन क्या बनेगा उस बेखौफी का जिसके चलते  ऐसी वारदातें कहीं न कहीं होती ही रहती हैं। 

यह पूरी वारदात भी कुछ ही मिनटों में हो गई लेकिन किसी ने उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिससे पुलिस को आरोपियों की पहचान में मदद मिल रही है।लेकिन  हत्या वाले यह कुछ मिंट इलाके के लोगों के दिल दिमाग में एक ऐसा डर छोड़ गए हैं जो जल्द नहीं निकलेगा। 

थाना सदर की एसएचओ अवनीत कौर ने बताया कि फिलहाल हत्या के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है, लेकिन पहली नज़र से देखें तो ज़मीनी विवाद की आशंका भी जताई जा रही है।

उन्होंने कैसे अपनी संपत्ति बनाई इसके विवरण भी समय समय पर सामने आते रहेंगे। काफी समय से कनाडा में है मृतक कुलदीप सिंह का पूरा परिवार। यहाँ पंजाब में वह अकेले रहते थे। कैनेडा में उनके परिजनों को इस घटना की खबर दे दी गई है। 

पुलिस के अनुसार, कुलदीप कुछ समय कनाडा में रहकर लौटे थे और लुधियाना में अकेले रहते थे। धांधरा रोड पर उनका फार्महाउस था। इसके साथ ही वह प्रॉपर्टी का कारोबार भी करते थे। हो सकता है कि किसी डील को लेकर उनकी किसी से रंजिश रही हो। परिवार के लौटने के बाद ही हत्या की असली वजह का पता चल सकेगा। फिलहाल इस हत्या ने जहां उनके परिवार और जान पहचान वालों को उदास कर दिया है वहीं इलाके के लोगों के मानों में सनसनी और दहशत भी छोड़ दिया है। लोगों के मन में से डर निकालना भी पुलिस के लिए एक चुनौती बनी रहेगी। 

Thursday, June 05, 2025

विश्व पर्यावरण दिवस पर लुधियाना ने एकजुटता दिखाई

From N K Mahendru on Thursday 5th June 2025 at 5:47 PM Ploggers Drive 2025 Ludhiana

#BeatThePlastic के लिए चलाई प्लाग्रास ड्राइव-2025 


लुधियाना: 5 जून 2025: (मीडिया लिंक रविंद्र//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

लुधियाना में फिलैंथ्रोपी क्लब द्वारा एक प्रेरणादायक और सहयोगात्मक प्रयास के तहत जिला प्रशासन, नगर निगम लुधियाना और सिटीनीड्स के सहयोग से विश्व पर्यावरण दिवस पर प्लाग्रास ड्राइव - 2025 का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में 800 से अधिक नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिन्होने सुबह 5:30 बजे शहर भर के 15 अलग-अलग मार्गों से शुरू हुआ और जॉगिंग करते हुए प्लास्टिक कचरा एकत्र किया। इस दौरान एकत्र किए गए कचरे को सुबह 7:00 बजे तक सेंट्रल कन्वर्जेंस पॉइंट - रोज़ गार्डन - पर नगर निगम के पास जिम्मेदारी से जमा किया गया।

इस श्रृंखला के तहत, सराभा नगर, मल्हार रोड, मॉडल टाउन, प्रीत पैलेस, रेलवे स्टेशन, दुगरी, वेव्स मॉल, मॉल रोड, भारत नगर चौक के अलावा शहर भर में 6 अन्य स्थानों पर फ्लैग ऑफ पॉइंट बनाए गए, जिससे कुल 15 रणनीतिक मार्ग रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन ने मुख्य अतिथि के रूप में किया। उन्होंने नागरिकों की भारी भागीदारी की सराहना की और पर्यावरण स्थिरता के लिए सामुदायिक जिम्मेदारी के महत्व पर जोर दिया।

इस दौरान जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों में मार्शल एड द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने वाला एक नुक्कड़ नाटक, बिंदिया सूद द्वारा एक जीवंत नृत्य प्रदर्शन, संजय त्यागी द्वारा एक शांत योग सत्र, फिटनेस और माइंडफुलनेस को बढ़ावा देना शामिल था। सक्रिय भागीदारी को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए, अधिकतम मात्रा में कचरा इकट्ठा करने के लिए पुरस्कार दिए गए।

इस दौरान, मार्शल एड, रनर्स ब्रू क्रू, लोधी क्लब, डू गुड फाउंडेशन सहित विभिन्न अधिकतम कचरा संग्रह प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित किया गया।

इन समूहों ने असाधारण भावना, टीमवर्क और पर्यावरण प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया।

इस आंदोलन के केंद्र में फिलैंथ्रोपी क्लब था, जिसके अथक समर्पण और नागरिक संगठनों और स्वयंसेवकों के साथ सहज समन्वय ने इस विशाल पहल को संभव बनाया। मार्ग नियोजन और नागरिकों को संगठित करने से लेकर जागरूकता सत्र और सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित करने तक, क्लब ने सुनिश्चित किया कि "मेरा लुधियाना, मेरी जिम्मेदारी" का संदेश जोर से और स्पष्ट रूप से गूंजे।

लुधियाना ने मिलकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि एक संयुक्त सामुदायिक अभियान कैसा होता है, जिसका नारा था - एक स्वच्छ, हरा-भरा और अधिक जागरूक कल।

Wednesday, May 28, 2025

GCG की ज़मीन पर अतिक्रमण रोकने के लिए विरोध तेज़

From Brij Bhushan Goyal on Wednesday 28th May 2025 at 6:26 PM Regarding encroachment of GCG College

SCD गवर्नमेंट कॉलेज के पूर्व छात्र भी GCG के समर्थन में आए 


लुधियाना
: 28 मई 2025: (*ब्रिज भूषण गोयल//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स लुधियाना के खेल के मैदान पर एक धार्मिक स्थल द्वारा अतिक्रमण कर स्थायी रूप से पार्किंग स्थल बनाने की मीडिया रिपोर्टों से स्पष्ट रूप से आहतएससीडी गवर्नमेंट कॉलेज लुधियाना के पूर्व छात्रों ने कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों का समर्थन किया है। पूर्व छात्र इसे शिक्षा के मंदिरों पर अपराध मानते हैं। वे इस बात से दुखी हैं कि उनकी बेटियों को धार्मिक और राजनीतिक नेताओं की विचारहीनता के कारण भीषण गर्मी में विरोध करने के लिए मजबूर किया गया हैजबकि जिला प्रशासन इस मुद्दे पर मौन है।

पूर्व छात्र संघ के संगठन सचिव बृज भूषण गोयल ने कहा कि लड़कों के कॉलेज के पूर्व छात्र राजनीतिक-धार्मिक गठबंधन द्वारा इस मुद्दे पर गवर्नमेंट कॉलेज गर्ल्स प्रिंसिपल को प्रताड़ित करने की निंदा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गर्ल्स कॉलेज ने कमला चौधरी जैसी छात्राओं को तैयार कियाजो 1960 के दशक की शुरुआत में संयुक्त पंजाब से पहली महिला पीसीएस अधिकारी थीं।

कॉलेज ने राज्य के कई कॉलेजों और स्कूलों को कई अच्छे शिक्षक भी दिए हैं।

प्रतियोगिता की तैयारी और खेल सुविधाओं के लिए कोई संस्थान स्थापित करने के बजायसरकार अतिक्रमण की मूक गवाह बनी हुई है, "गोयल ने कहा। इस मुद्दे पर एक दृश्य चर्चा में अन्य लोगों ने कहा

इसी तरह विरोध के स्वर तीखे होते जा रहे हैं। बहुत से लोग मुखर हो कर विरोध कर रहे हैं पूर्व छात्र प्रो पीके शर्मा ने कहा: हमें गर्ल्स कॉलेज और छात्रों का समर्थन करना चाहिए I वे कॉलेज की भूमि पर अतिक्रमण को रोकने के लिए और गलत काम करने वालों के मिलीभगत करके सरकार की इस ज्यादती का विरोध करते हैं। गर्ल्स कॉलेज के कॉलेज ग्राउंड को इस तरह से बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए।

प्रशासन को कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए भूमि के कानून का पालन करना चाहिए ताकि कॉलेज के अधिकारी अपने ग्राउंड और परिसर की सुरक्षा कर सकें।

नरिंदर सिंह मैसन ने कहा: कॉलेज के लिए भूमि केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है।

भविष्य में इसे पार्किंग स्थल या किसी अन्य संगठन को देने की कोई आवश्यकता नहीं है।

यह एक सरकारी कॉलेज के अधिकार में है और किसी भी सरकारी अधिकारी को धर्म या किसी अन्य आवश्यकता के नाम पर इसका दुरुपयोग नहीं करने देना चाहिए I गुरु नानक स्टेडियम की पार्किंग का उपयोग करके विशेष दिनों पर उचित शुल्क और संपत्ति के रखरखाव की जिम्मेदारियों को पूरा करके पूरा किया जा सकता है।

अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए।

कॉलेज की चारदीवारी से फूलवाले और अन्य लोगों द्वारा हटाए जाने चाहिए 

पूर्व छात्र के बी सिंह ने कहा :  “गर्ल्स कॉलेज की कॉलेज संपत्ति शिक्षा के उद्देश्य से है और छात्र समुदाय के कल्याण के लिए इसका कोई भी उपयोग स्वागत योग्य है। किसी अन्य उद्देश्य के लिए कॉलेज के बुनियादी ढांचे का उपयोग अनुचित है। शिक्षा को राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए - यह सभी संबंधित लोगों को स्पष्ट होना चाहिए “।

पूर्व छात्र दलबीर सिंह मौली ने कहा कि हमें कॉलेज के अधिकारियों और छात्रों का मजबूती से समर्थन करना चाहिए। गर्ल्स कॉलेज में अपनी बहनों और बेटियों के लिए खड़े होना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

एससीडी गवर्नमेंट कॉलेजलुधियाना के कई पूर्व छात्र हैं जिनकी बेटियां और बहनें या तो पहले यहां पढ़ चुकी हैं या अभी पढ़ रही हैं।

उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स के खेल मैदान पर अतिक्रमण के खिलाफ आज उठ खड़ी हुई दुर्गा शक्ति की की प्रशंसा की हैजिससे अतिक्रमणकारियों द्वारा किए जा रहे निर्माण को रोका जा सके।

 *बृज भूषण गोयल पूर्व छात्र संघ एससीडी गवर्नमेंट कॉलेज लुधियाना के संगठन सचिव हैं। 

Sunday, May 11, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम सीधा प्रसारण

PMO office On Monday 12th May 2025 at 08:00 PM Updated 12th May 2015 at 08:16 PM
हमने पाकिस्तान में चल रहे आतंकी अड्डों को तबाह किया 
Prime Minister Narendra Modi addresses the Nation
प्रधानमंत्री कार्यालय//Azadi ka Amrit Mahotsav//Posted On: 12 MAY 2025 8:27PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन का मूल पाठ

प्रिय देशवासियों,
नमस्कार!
हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। मैं सबसे पहले भारत की पराक्रमी सेनाओं को, सशस्त्र बलों को, हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को, हर भारतवासी की तरफ से सैल्यूट करता हूं। हमारे वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।

साथियों,
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

साथियों,
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

साथियों, 
भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

साथियों,
भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है। 

पहला-भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा। 

तीसरा-हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

साथियों,
युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

साथियों,
हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

साथियों, 
पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता।

मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।

प्रिय देशवासियों,
आज बुद्ध पूर्णिमा है। भगवान बुद्ध ने हमें शांति का रास्ता दिखाया है। शांति का मार्ग भी शक्ति से होकर जाता है। मानवता, शांति और समृद्धि की तरफ बढ़े, हर भारतीय शांति से जी सके, विकसित भारत के सपने को पूरा कर सके, इसके लिए भारत का शक्तिशाली होना बहुत जरूरी है, और आवश्यकता पड़ने पर इस शक्ति का इस्तेमाल भी जरूरी है। और पिछले कुछ दिनों में, भारत ने यही किया है।

मैं एक बार फिर भारत की सेना और सशस्त्र बलों को सैल्यूट करता हूं। हम भारतवासी के हौसले, हर भारतवासी की एकजुटता का शपथ, संकल्प, मैं उसे नमन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

भारत माता की जय !!!
भारत माता की जय !!!
भारत माता की जय !!!

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