Tuesday, November 05, 2024

80 वाले दशक के बाद भारत में क्यूं बढ़े शुगर-BP के मरीज़?

 Tuesday 5th November 2024 at 14:49 WhatsApp Dr Archita Mahajan//Updated:06th November 2024 at 20:07

नेस्ले फूल बना रहा है फूड नहीं:डॉ अर्चिता महाजन 

स्वास्थ्य की दुनिया: 5 नवंबर 2024: (डा. अर्चिता महाजन//पंजाब स्क्रीन फीचर डेस्क)::


कुछ दशक पूर्व "स्वदेश जागरण मंच" और कुछ अन्य संगठनों ने जब स्वदेश वस्तुओं के समर्थन में आंदोलन चलाया तो बहुत से सनसनीखेज़ खुलासे भी हुए। जनता के एक बड़े हिस्से ने इस अभियान का समर्थन भी किया। लेकिन वक्त की धुल के साथ साथ सब कुछ धूमिल होता चला गया। लेकिन उस आवाज़ में एक आह भी थी और पुकार भी। सब कुछ बेनकाब होने के बावजूद विदेशी कंपनियों का प्लेटफार्म बना व्यापारी वर्ग इस दर्द को  नहीं समझा। इसके बाद डाक्टर वंदना शिवा ने भी इसी से सबंधित बहुत सी बातें  अपनी आवाज़ में उठाई। मीडिया ने इसे सच्चे मन से लोगों तक पहुंचाया भी। लेकिन फिर सब कुछ धूमिल होता चला गया क्यूंकि व्यापारी वर्ग इस बार भी नहीं माना। सत्ता ने क्यों सख्ती नहीं की यह सवाल भी अनुत्तरित ही रहा।  राजनीतिक दल भी नहीं बोले।  

अब पंजाब से ही उठी है एक और बुलंद आवाज़ और वह आवाज़ है डाक्टर अर्चिता महाजन की। इस बुलंद आवाज़ में संकल्प भी है और लंबे संघर्ष की ज़ोरदार तैयारी भी।  विदेशी लुटेरों के साथ दो दो हाथ करने को अब पूरी तरह से तैयार है यह आवाज़ और इस आवाज़ के साथ चलने वाला काफिला भी। निशाना है वही विदेशी  लुटेरे जो केवल और केवल अपने मुनाफे के लिए आम जनता का धन भी लूटते हैं और, स्वास्थ्य  ज़िंदगियां भी। 

अब डाक्टर अर्चिता महाजन ने आह्वान किया है कि आओ नेस्ले फूड का बायकाट करके भारत को डायबिटीज मुक्त करें! 

इसके साथ ही उन्होंने तथ्य देते हुए बताया है कि कंपनी ने खुद माना है कि शुगर कंटेंट ज्यादा है हम इसे कम करेंगे। 

अब करेंगे का क्या मतलब हुआ? आखिर इतने सालों का हिसाब कौन देगा? 

डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन, डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर हैं। उन्हें पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भी नॉमिनेट किया गया है। पंजाब सरकार द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया  है। 

अपने इसी मिशन और अभियान  के अंतर्गत उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है कि क्या कारण है कि भारत की 60 से 70% आबादी शुगर और ब्लड प्रेशर के प्रभाव में आ गई है। जबकि मेरे पिताजी तो कहते हैं कि जब हम छोटे थे भूख लगने पर रसोई में जाकर दो मुट्ठी चीनी खा लेते थे पर आज के हालात देखकर चाय में चीनी डालने से भी डर लगता है। चीनी खाने की बात आप सभी ने भी अपने जीवन में देखी होगी। 

डाक्टर अर्चिता महाजन अब एक स्टडी के  अध्यन के बाद बता रही रही हैं जिसमें कहा गया है कि यदि हम बच्चों के पहले हजार दिन तक उसे लो शुगर फूड खिलाएंगे तो उनका बीपी और शुगर नॉर्मल रहता है। इसके साथ ही वह बताती हैं कि अब फैशन बन चुके फ़ूड के मामले में होता क्या है। 

मैं विदेशी कंपनी नेस्ले की बात करना चाहूंगी और जैसा कि मैंने हेडिंग में भी लिखा है कि नेस्ले फूल है फूड नहीं। ऐसा मैं क्यों कह रही हूं क्योंकि नेस्ले कंपनी अपने पैरेंट कंट्री में बेबी फूड की प्रोडक्शन में बहुत ही कम शुगर डालती है जबकि भारत और अन्य विकासशील देशों में इसका सूगर कंटेंट बहुत ज्यादा है और हमारे देश की मॉडर्न माताएं बच्चों को तीसरी महीने से ही सेरेलक वगैरा देना शुरू कर देते हैं।

नेस्ले के शिशु भोजन उत्पादों में चीनी की मात्रा को लेकर विवाद हुआ है। यह विवाद इसलिए भी गंभीर है क्योंकि शिशु भोजन में चीनी की अधिक मात्रा से बच्चों में मोटापा, मधुमेह और दांतों की समस्याएं हो सकती हैं। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के ताडेजा ग्रेसनर के नेतृत्व में और पिछले हफ्ते साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जो बच्चे जन्म के बाद पहले 1,000 दिनों में चीनी प्रतिबंध के अधीन थे, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम 35 प्रतिशत तक कम था। और वयस्कों के रूप में उच्च रक्तचाप का जोखिम लगभग 20 प्रतिशत कम हो गया था। 

प्रथम 1000 दिन आपके बच्चे के भविष्य के सफल निर्माण के लिए एक अनूठा अवसर है क्योंकि यह वह अवधि है जिसमे तीव्र गति से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इस मार्गदर्शिका की सहायता से हरेक माता-पिता अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए प्रथम 1000 दिनों में सर्वोत्तम वातावरण की नींव रख सकते हैं। 

इस दौरान, बच्चे के मस्तिष्क की क्षमता और संरचना तेजी से विकसित होती है; मस्तिष्क का 80% हिस्सा पहले 1000 दिनों के भीतर विकसित होता है। इस अवधि के दौरान, बच्चे की श्रवण और दृश्य संवेदी प्रणाली, सीखने की क्षमता, स्मृति कार्य और सूचना प्रसंस्करण प्रणाली का निर्माण होता है।

यह पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं। आप इस सबंध में कुछ कहना चाहते हैं तो डाक्टर अर्चिता महाजन के काफिले में शामिल हो जाइए। देश और देश की जनता के खिलाफ रची जा रही इस तरह की साज़िशों के खिलाफ खुल कर निकलिए और इनका मुँह तोड़ जवाब भी दीजिए। 

Friday, October 18, 2024

सरस मेले की पहली रात पहुंचे जानेमाने गायक रंजीत बावा

ज़िला जनसंपर्क अधिकारी, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर>//Friday 18th October 2024 at 9:26 PM//DPRO Mohali//सरस मेला 

राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां मुख्य अतिथि रहे  
साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर: 18 अक्टूबर, 2024: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::
सरस मेले की पहली संगीतमय रात्रि  को ही रंजीत बावा इस मेले का मुख्य आकर्षण रहे। बहुत से गीतों और बहुत सी फिल्मों के ज़रिए लोगों के दिलों पर छाने वाले जानेमाने गायक रंजीत बावा ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। यह वही रणजीत बावा हैं जिन्होंने जानेमाने मिलिटेंट जुगराज सिंह तूफान की स्मृति  में बनी फिल्म तूफ़ान सिंह में की तूफ़ान सिंह की ही भूमिका निभाई थी। इसी सरस मेले पर मंत्री हरदीप सिंह  मुंडियां ने कहा कि भगवंत मान सरकार पंजाब को हमेशा खुशहाल बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। 

आज शाम मोहाली में शुरू हुए आजीविका सरस मेले में पहली संगीत संध्या के दौरान रंजीत बावा ने अपने लोकप्रिय गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया। दर्शकों की उत्साह भरी भीड़ से प्रभावित होकर गायक रंजीत बावा ने खुले दिल से गाया और लोगों के आग्रह को स्वीकार करते हुए शानदार प्रस्तुति दी। 

स्टार नाइट में पंजाब के राजस्व एवं पुनर्वास मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि भगवंत मान की सरकार पंजाब को हमेशा खुशहाल बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने जिला प्रशासन की पहल की सराहना की और सरस मेले को देश की विरासत कला और सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक कदम बताया। 

इस मौके पर एडीसी (जनरल) विराज एस.तिड़के, एडीसी (विकास) और नोडल अधिकारी सरस मेला सोनम चौधरी, नगर निगम के संयुक्त आयुक्त दीपांकर गर्ग, एसडीएम खरड़ गुरमिंदर सिंह और डी.डीपीओ बलजिंदर सिंह ग्रेवाल मौजूद थे। 

स्टार नाइट के दौरान गायक रंजीत बावा ने चिट्ठीये, वग्गदी रावी, तेरे दिल ते आलना पाऊना, तारिफा, मिट्टी दा बावा, यारी चंडीगढ़ वाल्ये और हैवी वेट भांगड़ा जैसे लोकप्रिय गानों पर दो घंटे तक शानदार प्रस्तुति दी। सरस मेले की पहली रात लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया और विभिन्न राज्यों से आए कारीगरों द्वारा बनाए गए सामान खरीदे। सरस मेले की संगीत संध्याओं के दौरान 19 अक्टूबर को शिवजोत, 20 अक्टूबर को फैशन शो के अलावा पंजाबी गायिका परी पंढेर, बसंत कुर, सविताज बराड़, 21 अक्टूबर को जसप्रीत सिंह और आशीष सोलंकी की कॉमेडी नाइट, 22 अक्टूबर को लखविंदर वडाली, भांगड़ा 23 अक्टूबर को ते गिधा (यूनिवर्सिटी टीमों द्वारा), 24 को पंजाबी गायक जोबन संधू, 25 अक्टूबर को विभिन्न कलाकार, 26 अक्टूबर को कुलविंदर बिल्ला और 27 अक्टूबर को मेले की आखिरी रात गिप्पी ग्रेवाल अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।

Tuesday, October 15, 2024

.........अब दुबई के शेखों ने भी किया ज़हीर टेलर से संपर्क

 शुक्रवार 4 अक्टूबर 2024, 4:26 अपराह्न ईमेल के माध्यम से हरदीप कौर//मोहाली//चंडीगढ़ जहीर टेलर स्टोरी//हिंदी

कपिल शर्मा के शो में कई कलाकारों ने पहने थे ज़हीर खान से सिलवाए कपड़े

पंजाब के इस दर्जी के अब अरब देशों के शेख भी मुरीद हैं 


मोहाली
: 15 अक्टूबर 2024: (हरदीप कौर//पंजाब स्क्रीन)::

मोहाली एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार यहां के मशहूर दर्जी जहीर खान की वजह से मोहाली दुबई जा रही हैं। जहीर खान को सिलाई में विशेष महारत हासिल है। जब जहीर सीटी बजाते हैं तो ग्राहकों का व्यक्तित्व निखर जाता है मानो किसी ने उन पर जादू कर दिया हो। एक अनौपचारिक मुलाकात में जहीर ने कहा कि आजकल रेडीमेड आइटम का जमाना है. लेकिन इस काल के रेडीमेड वस्तुओं के शौकीन लोग उनसे प्राप्त कपड़े स्वयं पहनना भी पसंद करते हैं।

कुर्ता पायजामा और पैंट कोट के साथ-साथ अन्य आधुनिक परिधानों में अपनी पहचान बनाने वाले जहीर टेलर से अब दुबई के दो शेखों ने संपर्क किया है। जहीर टेलर ने पंजाबी शादी में शामिल होने के लिए जिनान के लिए एक विशेष पंजाबी पोशाक तैयार करने की पेशकश की है। जिसके बाद जहीर टेलर ब्रांड के मालिक जहीर खान ने अपने कर्मचारियों से इन दोनों ड्रेस को उच्च गुणवत्ता और अच्छे डिजाइन के साथ तैयार करने के लिए कहा है।

इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए जहीर खान ने कहा कि हर फैशन एक दशक के बाद वापस आता है और एक देश के लोगों की पोशाक दूसरे देश के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। वहीं पंजाबी ड्रेसेज को पूरे देश में पसंद किया जाता है। जिसके चलते उन्हें इस संबंध में दुबई से दो फोन कॉल भी आए हैं.

उन्होंने कहा कि वह इन दोनों आउटफिट्स को तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. बता दें कि जहीर टेलर द्वारा डिजाइन किए गए कपड़ों की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। यहीं नहीं जहीर टेलर के डिजाइन किए हुए कपड़े अली ब्रदर्स और दूसरे कलाकार कॉमेडियन कपिल शर्मा के मंच पर भी पहन चुके हैं.

जहां मशहूर हस्तियां अपने विभिन्न शो के लिए अपने कपड़े जहीर टेलर से बनवाती हैं, वहीं कई राजनीतिक नेता भी जहीर टेलर के कुर्ता पजामा के प्रशंसक हैं। हाल ही में जहीर टेलर को पंजाब के पूर्व राज्यपाल श्री बनवारी लाल पुरोहित द्वारा दिशा इंडियन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

हमारी कामना है कि दुनिया भर के मजदूरों का कारोबार बढ़ता रहे और उनकी कला दुनिया भर में फैलती रहे।' साथ ही विश्व का आर्थिक संतुलन भी बढ़ेगा। सुख भी बढ़ेगा और शांति भी। 

Wednesday, October 09, 2024

कासो फॉर सेफ नेबरहुड' से सुरक्षा सुनिश्चित करने की कवायद

Wednesday 9th October 2024 at 7:12 PM//DPRO//Mohali//Police News

 28 पुलिस ज़िलों में एक साथ एक्शन  


चंडीगढ़
//एस ए एस नगर: 9 अक्तूबर 2024: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, पंजाब ने इस बार जन सुरक्षा को लेकर बढ़ी पुलिस की भूमिका के संबंध में एक अच्छी खबर दी है। पुलिस ने गली मोहल्लों में होते जुर्मों को एक बार फिर बहुत ही गंभीरता से लिया है। इस तरह के जुर्मों को नकेल डालने के लिए विशेष अभियान भी शुरू किया है जो एक अच्छे ऑपरेशन जैसा ही है। इसका नाम है 'कासो फॉर सेफ नेबरहुड'। 

गली-मोहल्लों में होते अपराधों पर नकेल डालने के लिए पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने 'कासो फॉर सेफ नेबरहुड' ऑपरेशन का स्वंय नेतृत्व किया। लगता है इसके परिणाम भी अच्छे निकलेंगे। 

डीजीपी पंजाब ने डीआइजी रोपड़ रेंज और एसएसपी एसएएस नगर के साथ बलौंगी इलाके में स्थानीय निवासियों और दुकानदारों से बातचीत की।  

डीजीपी पंजाब ने कहा कि इस नए अभियान का उद्देश्य अराजक तत्वों में पुलिस का डर पैदा करना, आम लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करना है।  कासो फॉर सेफ नेबरहुड' के ज़रिए सुरक्षा सुनिश्चित करने की कवायद 

स्पैशल डीजीपी अर्पित शुक्ला ने बताया कि 'कासो फॉर सेफ नेबरहुड' पहल के तहत, विभिन्न स्तरों पर क्राइम डेटा का अध्ययन किया जाता है ताकि क्राइम पैटर्न, हॉटस्पॉट और अपराधी की पहचान की विस्तार से जांच की जा सके 1500 से अधिक पुलिस टीमों ने प्रदेश के चिन्हित क्राइम हॉटस्पॉट पर कार्रवाई की, 140 एफआईआर दर्ज की गईं। 

नशे से निपटने और कानून व्यवस्था में सुधार के लिए, डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) पंजाब गौरव यादव ने बुधवार को एक सुरक्षित समाज के लिए पंजाब पुलिस द्वारा चलाए गए बड़े पैमाने पर घेराबंदी और तलाशी अभियान (कासो फॉर सेफ नेबरहुड) का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया। इसका उद्देश्य सड़कों पर बढ़ते स्नैचिंग, छेड़छाड़, चोरी आदि जैसे अपराधों पर अंकुश लगाना है। 

डीजीपी गौरव यादव, डीआइजी रोपड़ रेंज नीलांबरी जगदले और एस.एस.पी एसएएस बलौंगी में बारीकी से चैकिंग के दौरान नगर दीपक पारीक के साथ क्षेत्र के निवासियों और दुकानदारों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई का उद्देश्य असामाजिक तत्वों में भय पैदा करना और आम लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करना है। बता दें कि यह ऑपरेशन राज्य के सभी 28 पुलिस जिलों में सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक एक साथ चलाया गया और पंजाब पुलिस हैडक्वाटर के विशेष डीजीपी/एडीजीपी/आईजीपी/डीआईजी रैंक के अधिकारियों को प्रत्येक जिले में निगरानी हेतु तैनात किया गया था। 

सीपी/एसएसपी को इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए अधिक से अधिक बल जुटाने का निर्देश दिए गए। डीजीपी ने कहा कि 'कासो फॉर सेफ नेबरहुड' पहल में एक बहु-आयामी पहुंच शामिल है जिसके तहत क्राइम पैटर्न, हॉटस्पॉट और ठीक-ठाक आपराधिक प्रोफाइल की पहचान करने के लिए विभिन्न स्तरों पर क्राइम डेटा का विश्लेषण किया जाता है, जो अपराधिक प्रोफाईल बारीकी से समझने के लिए अपराधिक डेटा का अलग-अलग स्तर पर विशलेषण किया जाता है। जो असामाजिक घटनाओं को रोकने में मदद करेगा। 

सीनियर पुलिस अधिकारियों को फीडबैक और समस्याएं एकत्र करने के लिए विलेज डिफैंस रक्षा समितियों, निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए), शैक्षणिक संस्थानों और मार्किट एसोसिएशन के साथ संपर्क करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि अपराध पर अंकुश लगाने के लिए चिन्हित हॉटस्पॉटों पर नाकाबंदी, पैदल गश्त और पीसीआर वाहन गश्त के माध्यम से पुलिस की उपस्थिति बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा, स्थानीय सरकार विभाग और आरडब्ल्यूए, मार्किट एसोसिएसन, संगठनों और मकान मालिकों सहित स्थानीय भागीदारों के सहयोग से सीसीटीवी निगरानी भी बढ़ाई जा रही है। 

डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि पंजाब पुलिस शैक्षणिक संस्थानों के पास नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने, संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने और निगरानी करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रौद्योगिकी और कम्युनिटी आउटरीच का लाभ उठाकर, यह पहल सड़क अपराध पर अंकुश लगाने और जनता के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास करता है। 

बलौंगी दौरे के बाद, डीजीपी ने आर.डब्ल्यू.ए. का दौरा किया। प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी की गई ताकि उन तरीकों का पता लगाया जा सके जिनसे पुलिस, उनके समर्थन से, सड़कों को ऐसे विविध अपराधों से छुटकारा दिला सके। इस ऑपरेशन के बारे में विवरण सांझा करते हुए, विशेष डीजीपी कानून और व्यवस्था अर्पित शुक्ला ने कहा कि 11000 से अधिक पुलिस कर्मियों सहित 1500 से अधिक पुलिस टीमों ने राज्य भर में आपराधिक हॉटस्पॉट पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। 

उन्होंने कहा कि सभी अपराध स्थलों और उनके आसपास 236 मजबूत नाके भी लगाए गए। स्पैशल डीजीपी ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान पुलिस टीमों ने 140 एफआईआर दर्ज की. पुलिस टीमों ने संदिग्धों से भी पूछताछ की और उनके विवरण की पुष्टी की। यह ध्यान देने योग्य है कि यह सक्रिय और सक्रिय पुलिस रणनीति पंजाब पुलिस की सामुदायिक भागीदारी और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पुलिस का लक्ष्य इलाका निवासियों और भाईवालों के साथ मिलकर काम करते लोगों में विश्वास पैदा करना और सभी में सुरक्षित वातावरण पैदा करना है।

अब देखना है कि बदमाशी, गुंडागर्दी और फुकरागिरि दिखने वालों के दिल और दिमाग में पुलिस का खौफ कब बैठता है। आधी आधी रात को घरों से निकलने और आने वाले रात के समय ही क्यूं सक्रिय होते हैं इसका पता लगाना भी बहुत ज़रूरी है। 

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Tuesday, October 01, 2024

लुधियाना:काले पानी के खिलाफ लोगों का गुस्सा उबलने लगा

 मंगलवार 1 अक्टूबर 2024 14:50 बजे व्हाट्सएप

सरकार बंद करे तो ठीक वरना हम बंद कर देंगें काले पानी का स्रोत 


लुधियाना: 1 अक्टूबर 2024: (मीडिया लिंक//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

बहुत शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा काले पानी का मोर्चा अब पूरे रोष और क्रोध में नजर आ रहा है। साहिब श्री गुरु नानक देव जी के चरण स्पर्श वाली  ऐतिहासिक इस ऐतिहासिक पुरानी नदी बुड्ढे दरिया के साथ किया गया सलूक बेहद निंदनीय  दुर्भाग्यपूर्ण है। समाज और उद्योगपतियों के साथ-साथ राजनेताओं द्वारा अपनाए गए षडयंत्रकारी व्यवहार के चलते लोगों में गुस्सा है। 

इस खतरनाक काले जहरीले पानी को बंद करने की मांग उठाने के लिए पढ़े-लिखे सभ्य लोगों को कभी चंडीगढ़ पुलिस की हिरासत में रहना पड़ता है, कभी धरना देना पड़ता है, कभी विरोध मार्च निकालना पड़ता है और कभी पुलिस की नजरों से छुपकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ती है। दोष सिर्फ इतना है कि इन लोगों ने कैंसर जैसी बीमारी फैलाने वाले काले पानी का जहर फैलाना बंद करने की मांग उठाई है।  इसी उद्देश्य से काला पानी का ऐतिहासिक मोर्चा लगातार जारी है। आख़िर सरकार इनकी मांगें क्यों नहीं मानती? क्या है इन सभी का कसूर? क्या प्रदूषण के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना कोई है?

कई बार सनसनीखेज खुलासे कर चुके इस मोर्चे के नेताओं ने सीधे तौर पर मांग की है कि तीनों डिएंग सीईटीपी से रोजाना दस करोड़ लीटर से ज्यादा के अवैध जहरीले काले पानी को जमीनी स्तर पर रोका जाए। लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे इस ज़हर को लेकर सरकारें और समाज असमंजस में क्यों हैं?

आज लुधियाना में काले पानी के इस मोर्चा द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में सरकार ने पंजाब प्रदूषण निवारण बोर्ड के माध्यम से रंगाई उद्योग के तीन अवैध आम अपशिष्टों को लंबे समय से बंद करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) को बंद करने का आदेश दिया गया है. इन संयंत्रों को संचालित करने वाले तीन विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) कानून का घोर उल्लंघन करते हुए और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जल संसाधन मंत्रालय से प्राप्त 2013 की शर्तों का उल्लंघन करते हुए सरकार की नाक के नीचे काम कर रहे हैं अवैध रूप से नदी में पानी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह जहरीला पानी प्रतिदिन डेढ़ करोड़ लीटर है, जो सतलुज के जरिए पंजाब और राजस्थान के लोगों को पीने के लिए सप्लाई किया जा रहा है.

काला पानी मोर्चा के वरिष्ठ नेता जसकीरत सिंह ने कहा कि मोर्चा ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि एक अक्टूबर से फिरोजपुर रोड पर धरना दिया जाएगा, जिसके बाद पंजाब के लोग काला पानी गिरने के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। सतलुज और बुड्ढे नदियों को बांध कर मार दिया जाएगा। इस घोषणा के दो दिन बाद पंजाब सरकार ने डाइंग के तीन प्रमुख सीईटीपी को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इस बदले हुए हालात में काले पानी दा मोर्चा की ओर से अगला कार्यक्रम आज दिया जा रहा है, जिसमें 1 अक्टूबर को फिरोजपुर रोड पर धरना सिर्फ संकेत के तौर पर दिया जा रहा है और 3 दिसंबर को बड़े कार्यक्रम की घोषणा प्रेसवार्ता कर की गई है उसी स्थान पर सम्मेलन चल रहा है

मोर्चा की ओर से अमितोज मान ने कहा कि हमारा काला पानी बांध कार्यक्रम हमेशा उन जहरीले आउटलेटों को बंद करने के लिए था जो औद्योगिक और अन्य जहरीले पानी को बुड्ढा नदी में डाल रहे हैं। इसलिए लुधियाना के कुछ लोग जो पिछले दिनों बुड्ढा नदी बंद होने से चिंतित थे, उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है. हम उन्हें इस डर से मुक्त होने और जहरीले काले पानी के केवल अवैध आउटलेट को बंद करने के कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।

लक्खा सिधाना ने कहा कि आने वाले दिनों में पंजाब में पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है और उसके बाद धान की कटाई का समय है, पंजाब के सभी लोगों से आह्वान है कि वे लुधियाना के जमालपुर में लुधियाना सेंट्रल जेल के सामने इन दो अवैध बड़े पाइपों को बंद करें प्रतिदिन 9 करोड़ लीटर का सबसे बड़ा स्रोत बंद करो।

डॉ. अमनदीप सिंह बैंस ने कहा कि ये डाइंग सीईटीपी ताजपुर रोड और सीईटीपी फोकल प्वाइंट के अवैध आउटलेट हैं और इन्हें पहचानने और ब्लॉक करने के लिए एक सफल रिहर्सल की गई है। उनकी जीपीएस लोकेशन 30.919924, 75.913612 है जिसके जरिए सरकार और पंजाब के लोग उन तक आसानी से पहुंच सकते हैं। काला पानी बांधने के लिए सबसे पहले इन दोनों को बंद करना जरूरी है और अगर सरकार अपना काम नहीं करती है तो जनता को ही यह काम पूरा करना होगा, जिसे वे 3 दिसंबर को फिर पूरे जोश के साथ पूरा करेंगे.

पीपीसीबी अधिकारियों द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनजीटी और यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी से पैदा हुई इस गंभीर स्थिति में कुलदीप सिंह खैरा और कपिल अरोड़ा ने पंजाब के डीजीपी से मांग की है कि वे इस शिकायत पर कार्रवाई करें पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और रंगाई उद्योग के बड़े कारोबारियों की मिलीभगत पर फ्रंट ने कानून का राज बहाल करने के लिए पुलिस कमिश्नर लुधियाना को ज्ञापन दिया ताकि लोगों में कानून के प्रति विश्वास कायम हो सके।

अब देखना यह है कि लोगों को कैंसर का मरीज बनाने वाले इस जहरीले पानी को रोकने के लिए सरकार, समाज और खुद उद्योगपति कब और क्या कदम उठाते हैं? 3 दिसंबर का आह्वान दिवस आने से पहले यदि संबंधित पक्ष इस जहरीले पानी को रोकने के लिए स्वयं आगे आएं तो बहुत अच्छा होगा। यह पंजाब के हितों के प्रति निष्ठा होगी।

Friday, September 13, 2024

जब जेब खाली होती है तो कैसे हो बीमारी में इलाज?

सरकार कैसे बन सकती है गरीबों के लिए लाईफ लाईन?


चंडीगढ़:13 सितंबर 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

जब जेब खाली होती है और कोई न कोई बिमारी बुरी तरह से घेर लेती है तो उस समय यही सवाल मन में उठता है कि काश कोई डाक्टर या अस्पताल हमारे लिए जीवन रेखा बन कर आ आ जाता। कई बार ऐसा हो भी जाता है लेकिन हर बार हर मामले में हर किसी के साथ कहां होता है एशिया चमत्कार? कोशिश की कि ऐसा सवाल समाज और सरकार के सामने रखा जाए। पंजाब और अन्य भारतीय राज्यों में सिवल अस्पताल और अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थान गरीब और मध्य वर्गीय लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए लाईफ लाईन कैसे बन सकते हैं? जवाब ढूंढ़ने के प्रयासों में कुछ काम की बातें भी सामने आईं। 

एक तथ्य तो यह था कि पंजाब और अन्य भारतीय राज्यों में सरकारी स्वास्थ्य संस्थान, जैसे सिविल अस्पताल, गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसे सफल बनाने के लिए कई सुधार किये जा सकते और  नए कदम उठाए जा सकते हैं। 

इस मकसद के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना सबसे पहले स्थान पर है। सिविल अस्पताल और अन्य सरकारी संस्थान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अधिक संख्या में खोले जाएं ताकि हर व्यक्ति को आसानी से स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। जनसंख्या के मुकाबिले स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या भी कम है डाक्टरों की संख्या भी।  इसके साथ ही बहुत सी आवश्यक दवाएं भी सभी को उपलब्ध नहीं होतीं। उन्हें अस्पताल या डिस्पेंसरी से मिली डाक्टर की लिखी पर्ची लेकर बाज़ार  है।  पर महंगी दवाएं ही मिला करती हैं। 

मरीज़ों तक पहुंच बढ़ाने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन जैसे कदम भी उठाए जाएं ताकि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों तक भी स्वास्थ्य सेवाएं  से पहुंच सकें। दूर दराज के गांवों और कस्बों में इसी तरीके से प्रभावी पहुंच हो सकती है जो ज़्यादा लोगों तक फायदा पहुंचा सकेगी। 

अस्पतालों में बुनियादी ढांचे का सुधार भी अब ज़रूरी बन गया है। आधुनिक युग में सरकारी अस्पतालों  बड़े और महंगे अस्पतालों के  बराबर ले जाना ही होगा। इस मकसद के लिए आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता और चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए निवेश भी किया जाए। इस निवेश के लिए गांवों और शहरों से सामर्थ्यवान प्रायोजक भी ढूंढे  हैं। 

समाज में सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को निजी क्षेत्र के बराबर पहुँचाने के लिए अस्पतालों की साफ-सफाई और व्यवस्था को भी प्राथमिकता दी जाए ताकि संक्रमण और अन्य समस्याएं न हों। इससे इन संस्थानों के प्रति मनोवैज्ञानिक तौर पर भी एक नया विश्वास भी पैदा होगा। अधिक  आकर्षित भी होंगें। 

मुफ्त और किफायती चिकित्सा सेवाएं भी बढ़ाई जा सकें तो बहुत अच्छा होगा। सरकार द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाइयां, जांच और इलाज मुफ्त या किफायती दामों पर उपलब्ध कराए जाएं, खासकर गरीब और मध्यवर्गीय लोगों के लिए। गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से जोड़ा जाए ताकि उन्हें आर्थिक बोझ न उठाना पड़े। इस मकसद के लिए तकनीकी उलझनों और बारीकियों को भी पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता तो कम ज़रूर किया जाए। 

सरकार की देखरेख में चलने वाले इन स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की पर्याप्त संख्या भी अवश्य पूरी होनी चाहिए। सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर्स, नर्सेज़ और अन्य स्टाफ की पर्याप्त संख्या होनी चाहिए। इसके लिए मेडिकल स्टाफ की भर्ती और ट्रेनिंग की प्रक्रिया को भी सुधारना चाहिए।

आधुनिक युग की तकनीकों का फायदा उठाते हुए टेलीमेडिसिन जैसी आधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया जाना चाहिए। इसको इस्तेमाल करके दूर-दराज के इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों से सलाह-मशविरा किया जाना चाहिए तांकि  मरीज़ के लिए बहुत से डॉक्टरों  सम्मिलित राय बनाने में आसानी हो। 

इस मकसद के लिए समय समय पर चलाए जाते स्वास्थ्य जागरूकता अभियान को भी और तेज़ और व्यापक  चाहिए। लोगों में स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार को नियमित रूप से स्वास्थ्य शिविर भी लगाने चाहिएं और जागरूकता अभियान भी चलाने चाहिए। निवारक स्वास्थ्य सेवाओं, जैसे टीकाकरण और नियमित स्वास्थ्य जांच, पर भी जोर दिया जाए ताकि बीमारियों को रोका जा सके।

इसके साथ ही अस्पतालों का डिजिटलीकरण भी पहल के आधार पर किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराया जाए, जैसे ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुकिंग, मेडिकल रिकॉर्ड्स का रखरखाव, और टेली-कंसल्टेशन की सुविधा भी होनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता आएगी और लोगों को सुचारू रूप से सेवाएं मिलेंगी।

इस दौर में सर्वाधक ज़रूरत है सभी स्वास्थ्य और चिक्तिसा पैथियों का सम्मान और आपसी सहयोग हो। स्थानीय और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवाओं का समावेश अच्छे परिणाम ही लाएगा। आयुर्वेद, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को सरकारी अस्पतालों में शामिल किया जाए, जिससे लोगों को वैकल्पिक उपचार का भी लाभ मिले।

इन सभी सुधारों के साथ-साथ, सरकार को स्वास्थ्य के लिए बजट आवंटन बढ़ाना चाहिए और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को निरंतर मॉनिटर करने की आवश्यकता है। इससे सिविल अस्पताल और अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थान गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक सशक्त जीवन रेखा बन सकते हैं।

Saturday, August 24, 2024

संविधान को खत्म करना चाहती है भाजपा–हरचंद सिंह बरसट

Saturday 24th August 2024 at 1:53 PM    simranjeet simranjeetgcs044@gmail.com

भाजपा की नीतियों का जवाब भारत के लोग भाजपा को जरूर देंगे

*चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में सता रहा है हार का डर 

*इसी डर से यू.पी.एस.सी. लैटरल एंट्री का फैसला वापस लिया गया

*अपने चहेतों को उच्च पदों पर बिठाने की योजना पर काम कर रही है केंद्र सरकार

मोहाली: 24 अगस्त 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

आम आदमी पार्टी, पंजाब के महासचिव एवं पंजाब मंडी बोर्ड के चेयरमैन स. हरचंद सिंह बरसट ने यू.पी.एस.सी. लैटरल एंट्री स्कीम को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि भाजपा देश के संविधान को खत्म करना चाहती है। उनका हर फैसला कहीं न कहीं संविधान के विरुद्ध होता है। भाजपा द्वारा संविधान में दिए आरक्षण के अधिकार को ताक पर रखकर यह भर्ती निकाली गई, ताकि वे अपने चहेतों को सरकार के ऊंचे पदों पर बैठा सकें। उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माता डॉ. भीम राव अम्बेडकर जी ने भारत की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर हर वर्ग का ख्याल रखा है, लेकिन भाजपा सत्ता के नशे में चूर होकर संविधान को भी तुच्छ समझ रही है, जिसका जवाब भारत के लोग भाजपा को ज़रूर देंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही संविधान और आरक्षण को अनदेखी कर लैटरल एंट्री के माध्यम से आईएएस स्तर के 60 से ज्यादा पदों को भर चुकी है और अब 45 ओर पदों पर नियुक्तियां करना चाहती थी, लेकिन देश में विरोध और चार राज्यों में चुनाव के कारण इसे रद्द करना पड़ा। चाहे भाजपा ने चार राज्यों हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में हार के डर से यह फैसला वापस ले लिया है, पर जनता उनके इरादों को अच्छी तरह से समझ चुकी है और चुनाव में लोग भाजपा को इसका करारा जवाब देंगे।

प्रदेश महासचिव ने कहा कि इन उच्च पदों पर यू.पी.एस.सी. सिविल सेवा की तीन स्तरों की परीक्षा के बाद चयनित अधिकारियों को कई वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के पश्चात तैनात किया जाता है, लेकिन लैटरल एंट्री में यू.पी.एस.सी. की तरफ से केवल एक एंट्रव्यू लेकर इन पदों पर नियुक्ति कर दी जाती है, जो गरीबों लोगों के अधिकारों का हनन है। इससे पहले भी केंद्र सरकार आरक्षण के नियमों को अनदेखा कर लैटरल एंट्री के जरिए भर्तियां कर चुकी है, अब फिर से 45 ओर सीटें लैटरल एंट्री के जरिए भरने की कोशिश की गई थी, लेकिन केंद्र सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा। 

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसे काम छोड़कर समाज में सभी की भलाई के लिए काम करना चाहिए।