Tuesday 5th November 2024 at 14:49 WhatsApp Dr Archita Mahajan//Updated:06th November 2024 at 20:07
नेस्ले फूल बना रहा है फूड नहीं:डॉ अर्चिता महाजन
स्वास्थ्य की दुनिया: 5 नवंबर 2024: (डा. अर्चिता महाजन//पंजाब स्क्रीन फीचर डेस्क)::
अब पंजाब से ही उठी है एक और बुलंद आवाज़ और वह आवाज़ है डाक्टर अर्चिता महाजन की। इस बुलंद आवाज़ में संकल्प भी है और लंबे संघर्ष की ज़ोरदार तैयारी भी। विदेशी लुटेरों के साथ दो दो हाथ करने को अब पूरी तरह से तैयार है यह आवाज़ और इस आवाज़ के साथ चलने वाला काफिला भी। निशाना है वही विदेशी लुटेरे जो केवल और केवल अपने मुनाफे के लिए आम जनता का धन भी लूटते हैं और, स्वास्थ्य ज़िंदगियां भी।
अब डाक्टर अर्चिता महाजन ने आह्वान किया है कि आओ नेस्ले फूड का बायकाट करके भारत को डायबिटीज मुक्त करें!
इसके साथ ही उन्होंने तथ्य देते हुए बताया है कि कंपनी ने खुद माना है कि शुगर कंटेंट ज्यादा है हम इसे कम करेंगे।
अब करेंगे का क्या मतलब हुआ? आखिर इतने सालों का हिसाब कौन देगा?
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन, डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर हैं। उन्हें पद्मा भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए भी नॉमिनेट किया गया है। पंजाब सरकार द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया है।
अपने इसी मिशन और अभियान के अंतर्गत उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया है कि क्या कारण है कि भारत की 60 से 70% आबादी शुगर और ब्लड प्रेशर के प्रभाव में आ गई है। जबकि मेरे पिताजी तो कहते हैं कि जब हम छोटे थे भूख लगने पर रसोई में जाकर दो मुट्ठी चीनी खा लेते थे पर आज के हालात देखकर चाय में चीनी डालने से भी डर लगता है। चीनी खाने की बात आप सभी ने भी अपने जीवन में देखी होगी।
डाक्टर अर्चिता महाजन अब एक स्टडी के अध्यन के बाद बता रही रही हैं जिसमें कहा गया है कि यदि हम बच्चों के पहले हजार दिन तक उसे लो शुगर फूड खिलाएंगे तो उनका बीपी और शुगर नॉर्मल रहता है। इसके साथ ही वह बताती हैं कि अब फैशन बन चुके फ़ूड के मामले में होता क्या है।
मैं विदेशी कंपनी नेस्ले की बात करना चाहूंगी और जैसा कि मैंने हेडिंग में भी लिखा है कि नेस्ले फूल है फूड नहीं। ऐसा मैं क्यों कह रही हूं क्योंकि नेस्ले कंपनी अपने पैरेंट कंट्री में बेबी फूड की प्रोडक्शन में बहुत ही कम शुगर डालती है जबकि भारत और अन्य विकासशील देशों में इसका सूगर कंटेंट बहुत ज्यादा है और हमारे देश की मॉडर्न माताएं बच्चों को तीसरी महीने से ही सेरेलक वगैरा देना शुरू कर देते हैं।
नेस्ले के शिशु भोजन उत्पादों में चीनी की मात्रा को लेकर विवाद हुआ है। यह विवाद इसलिए भी गंभीर है क्योंकि शिशु भोजन में चीनी की अधिक मात्रा से बच्चों में मोटापा, मधुमेह और दांतों की समस्याएं हो सकती हैं। दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के ताडेजा ग्रेसनर के नेतृत्व में और पिछले हफ्ते साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि जो बच्चे जन्म के बाद पहले 1,000 दिनों में चीनी प्रतिबंध के अधीन थे, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम 35 प्रतिशत तक कम था। और वयस्कों के रूप में उच्च रक्तचाप का जोखिम लगभग 20 प्रतिशत कम हो गया था।
प्रथम 1000 दिन आपके बच्चे के भविष्य के सफल निर्माण के लिए एक अनूठा अवसर है क्योंकि यह वह अवधि है जिसमे तीव्र गति से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इस मार्गदर्शिका की सहायता से हरेक माता-पिता अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए प्रथम 1000 दिनों में सर्वोत्तम वातावरण की नींव रख सकते हैं।
इस दौरान, बच्चे के मस्तिष्क की क्षमता और संरचना तेजी से विकसित होती है; मस्तिष्क का 80% हिस्सा पहले 1000 दिनों के भीतर विकसित होता है। इस अवधि के दौरान, बच्चे की श्रवण और दृश्य संवेदी प्रणाली, सीखने की क्षमता, स्मृति कार्य और सूचना प्रसंस्करण प्रणाली का निर्माण होता है।
यह पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं। आप इस सबंध में कुछ कहना चाहते हैं तो डाक्टर अर्चिता महाजन के काफिले में शामिल हो जाइए। देश और देश की जनता के खिलाफ रची जा रही इस तरह की साज़िशों के खिलाफ खुल कर निकलिए और इनका मुँह तोड़ जवाब भी दीजिए।