Tuesday, August 05, 2025

नौवें गुरु जी की 350वीं शहादत जयंती की तैयारियां

From MPSK on Tuesday 5th August 2025 at 17:45 Regarding DGMC   

DGMC वैश्विक स्तर पर मनाने के लिए सभी को एक मंच पर लाए:परमजीत सिंह वीरजी

नई दिल्ली: 5 अगस्त 2025: (मनप्रीत सिंह खालसा//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी प्रबंधन, जो अपने केवल तीन-चार लोगों से घिरा हुआ है, को चाहिए था कि वह पूरे सिख पंथ के धार्मिक, राजनीतिक, निहंग संगठनों, टकसालों और महासंघों को साथ लेकर नौवें गुरु जी की 350वीं शहादत जयंती को वैश्विक स्तर पर मनाने के लिए एक साझा मंच बनाए। 

गुरुबाणी रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख एवं दिल्ली कमेटी के धर्म प्रचार विंग के पूर्व सह-अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह वीरजी ने मीडिया को जारी एक प्रेस नोट में कहा कि यह शताब्दी समारोह केवल दिल्ली कमेटी का नहीं, बल्कि पूरे पंथ का है और इसलिए "गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत" का बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार करने की सख्त ज़रूरत है ताकि दुनिया जान सके कि नौवें पातशाह ने "तिलक और जंझू" की रक्षा के लिए अपना शीश न्योछावर कर दिया और उनके तीन छोटे सिखों ने भी मुगलों के हुक्म को न मानकर शहादत की सज़ा स्वीकार की। लेकिन आज देश में सिखों को बार-बार यह एहसास दिलाया जा रहा है कि वे दोयम दर्जे के नागरिक हैं। कभी पेपर देने वाले बच्चों पर पाबंदियाँ लगाई जाती हैं, कभी हवाई अड्डे पर काम कर रहे सिख युवाओं को परेशान किया जाता है, कभी सिख इतिहास से छेड़छाड़ की जाती है, कभी पगड़ी और गुरु ग्रंथ साहिब जी का अपमान किया जाता है, और राम रहीम व आसाराम जैसे गंभीर अपराधों के दोषियों को बार-बार पैरोल दी जाती है। इन सवालों पर कोई जवाब भी नहीं दिया जाता। 

सिख कैदियों के मुद्दों पर विचार तक नहीं किया जाता। क्या दिल्ली कमेटी के आयोजक शताब्दी समारोह में उपस्थित होने वाले देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष सिखों के गंभीर मुद्दों को उठाएंगे या फिर केवल औपचारिक समारोह आयोजित करके अपना बदला लेंगे? दिल्ली कमेटी को शताब्दी समारोह की तैयारी तीन महीने पहले ही कर लेनी चाहिए थी, लेकिन हर मामले में उनकी अनुभवहीनता देश को शर्मसार ही करती है। गुरुओं की शहादत दिल्ली में हुई थी, इसलिए यह समारोह दिल्ली में बड़े पैमाने पर मनाया जाना चाहिए, लेकिन कमेटी अध्यक्ष द्वारा एसजीपीसी को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर बदला लेना उचित नहीं है। उनका कर्तव्य था कि वे एसजीपीसी अध्यक्ष, तख्त हजूर साहिब कमेटी, तख्त पटना साहिब कमेटी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अनुरोध करते, लेकिन चूंकि वे तीन-चार लोगों से घिरे हुए हैं, इसलिए उनकी सोच भी उन्हीं तक सीमित रह गई है।

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