From Human Emotional State On Friday at 11:19 PM, 27th June, 2025, updated on 28th June, 2025 at 08:59 PM.
‘इंतज़ार में आ की मात्रा’ के आसपास की दुनिया
चंडीगढ़ : 27 जून, 2025 : (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन डेस्क)::
प्रेम को धैर्य की दरकार होती है... !!! काफ़ी देर बाद जब एक सुन्दर किताब पढ़ी जाती है तो, .... तो उस धैर्य में लिपटे प्रेम की बात ही अलग होती है। तो, ऐसा कुछ नहीं है मेरे पास कहने के लिए, लेकिन इस विषय पर संवाद करने की ख़्वाहिश हरदम शिद्दत से कायम रहती है।
इसी सिलसिले में, लगभग दो महीने पहले एक किताब मिली, और उसी दिन से उसे लेकर लिखने के बारे में सोच रही हूँ। लेकिन आज जा कर लिख पा रही हूँ। कई बार सोचा कि जब पूरी पढ़ लूँगी, तभी कुछ कहूँगी, तभी इसके बारे में लिखूंगी। मात्रा में
लेकिन कुछ किताबें ऐसी होती हैं जिन्हें चाहकर भी पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सकता। आख़िरी पन्ने तक पहुंचने के बाद भी आप फिर से किसी एक कविता, एक पंक्ति, या एक शब्द के पास वापिस लौट हैं, उसके साथ इस तरह जुड़ जायेंगे, जैसे कि वो आपके लिए ही लिखा गया हो।
किताबों से इतर ये किताब आपके मन से होते हुए, कब आपकी सोच और रूह तक पहुँच जाएगी, इसे वक़्त की भाषा में समझा पाना मुश्किल है। शायद पलक झपकने से भी कम समय में यह आपके दिल पर एक छाप छोड़ जाएगी।
पर अगर शब्द इन कविताओं जितने ही सरल और सहज होते हुए, एक असीम और गहरा अर्थ छुपाये हुए हों, तो उन्हें बयां किया जा सकता है।
मुझे नहीं पता कविताओं ने उन्हें ढूँढा या उन्होंने कविताओं को, पर उनके द्वारा लिखी हर कविता, हर प्रोज, हर शब्द आत्मीयता की गंध समाये हुए हैं। जैसे कि वो लिखते हैं —
"ये दुनिया तब तक चलती रहेगी, जब तक हम एक-दूसरे से मिलने जाते रहेंगे।"
और उस कविता में:
दुनिया में सबकुछ सही चल रहा हैजहां कहना था, वहां चुप्पियां रख दी गईंजहां रोकना था, वहां जाने दियाहर जगह सही बात कही और सुनी गईसभी ने अपने लिए सबसे सही को चुनासबकुछ सही तरीके से रखा गयाकहीं भी कोई गलती नहीं की गईनतीजतन, सारे हाथ गलत हाथों में थेसारे पांव गलत दिशाओं में चले गएदुनिया में सारे फैसले सही थे
इसलिए सारे सफ़र ग़लत हो गए।
जिंदगी और नौकरी की दुश्वारियों में -- कला का सृजन बेहद अद्भुत है। इस अनुभूति की अभिव्यक्ति करना ही जैसे नविन का मुख्य पेशा हो। वो दिल के ज़ज़्बातों को इतनी सरलता से आपके सामने रख देते हैं, जैसे कि वो शब्द आपके लिए ही लिखे गए हों। और लगता है, यही नवीन जी का असली पेशा है —
जो तुम्हारे लिए नहीं लिखा गया,उसमें भी उपस्थित होऔर अदृश्य की तरहमौजूद हो तुमहर तरफ़दूरी में बहुत दूर जैसेज़िंदगी में "न" की बिंदीइश्क़ का आधा "श"और इंतज़ार में "आ" की मात्रा की तरह।
प्रेम और संवेदनाओं से आगे बढ़कर, वे आज के हालात के बारे में भी बखूबी लिखते हैं।
सबसे पहने जबान काटी जाती हैसबसे पहले रीढ़ तोड़ी जाती हैफिर चाहे वो किसी आदमी की हो
या हाथरस की किसी लड़की की हो
No comments:
Post a Comment