Thursday, August 30, 2018

थैलेसीमिया का ईलाज: लवली जैन का जनून रंग लाया

अब लुधियाना में भी होगा बकरे के खून से थैलासीमिक बच्चों का ईलाज 
लुधियाना: 29 अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम):: 

पूंजीवाद  के दौर में मुनाफा सबसे पहले आता है। बाप बड़ा न भैया-सबसे बड़ा रूपया। वो रुपया किसी का खूबसूरत चेहरा दिखा कर आए या फिर उसके आंसू दिखा कर--उसे बहुत गर्वपूर्ण कमाई समझा जाता है। शिक्षा, वकालत, गीत-संगीत, अभिनय, लेखन, मीडिया और अन्य क्षेत्रों के साथ साथ मेडिकल क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं बचा। पहले पहल होम्योपैथी और आयुर्वेद को सस्ता इलाज समझा जाता था लेकिन अब बहुत से लोग इन क्षेत्रों में भी कमाई को पहल देने लगे हैं। इसके बावजूद आयुर्वेद में अभी भी आशाएं बाकी हैं।

इसका अहसास हुआ जब करीब तीन वर्ष पूर्ण अहमदाबाद (गुजरात)  के डाक्टर अतुल भवसार से बात करवाई लुधियाना के लवली जैन ने। उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया के बच्चों को बकरे का खून भी चढ़या जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात में सफलता के बाद अब पंजाब में भी इस तजर्बे की तैयारी है। सुन कर यकीन नहीं हुआ। इस योजना का विरोध भी बड़े पैमाने पर हुआ। यह तो लवली जैन की हिम्मत कहो कि यह अभियान जारी रहा।
उन दिनों गुजरात से लुधियाना आए डॉ.अतुल भावसर ने बताया था कि थेलेसीमिया के मरीजों के लिए इंसान की वजाए बकरे का खून ज्यदा फयेदेमंद है। गुजरात के शहर अहमदाबाद स्थित अखंडानंद आयुर्वेद अस्पताल के पंचकर्मा डिपार्टमेंट के हेड डॉ. भावसर ने कहा के थेलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को हर 15-20 दिन बाद ब्लड चढ़ाना पड़ता है क्योंकि इस बीमारी की वजह से ब्लड के आरबीसी (रेड ब्लड सेल) तेजी से टूटते है। जिस कारण मरीज में हिमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। थेलेसीमिया के मरीजों के लिए उन्होंने एक नई खोज की है। जिसके तहत बकरे का खून चढ़ाने पर मरीज को 15 -20 दिन की बजाय दो महीने बाद ही ब्लड चढ़ाने की जरुरत पड़ती है। कई मरीजों को 5 महीने बाद ही खून चढ़ाने की जरुरत पडती है। इसका कारण यह है कि बकरे के खून के आरबीसी जल्दी नहीं टूटते। जिससे मरीज में ज्यादा समय तक हीमोग्लोबिन की मात्रा सही बनी रहती है। डॉ. भावसर ने दावा किया कि इस भयंकर बीमारी से निपटने की कैपेसिटी एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेद में ज्यादा है। थेलेसीमिया में बकरे के खून के इस्तेमाल की पद्धति को गुजरात सरकार ने मान्यता दे दी है। इस पद्धति में मरीज को खून वेन की बजाय एनिमिया के  जरिए बड़ी आंत तक पहुंचाया जाता है।  यह आंत जरुरत के मुताबिक खून को लेने के बाद बाकी बाहर निकाल देती है।  सोसायटी के प्रधान लवली जैन  जुटे रहे। थैलेसीमिया के लिए काम करने वाले उनके बहुत से मित्र भी उन्हें छोड़ गए लेकिन लवली जैन का मनोबल नहीं टूटा।
कभी किसी वीआईपी से--कभी किसी मंत्री से--कभी किसी मीडिया से--जब भी मिलते बस यही गुहार लगाते-इन बच्चों का कुछ करो। गौरतलब है कि लवली जैन खुद शरीरक तौर पर बहुत मुश्किल से उठ बैठ सकते हैं। इस अक्षमता के बावजूद वह हर पल डटे रहे। हर वक यही सोचते-इन बच्चों को बचाना है। सबके पास अंग्रेजी इलाज पर खर्चा आनेवाला पैसा नहीं है। इसलिए इन पर डाक्टर भवसार का सफल प्रयोग लागू करना होगा। जो फायदा गुजरात के लोगों  को मिला वही फायदा पंजाब-हरियाणा-हिमाचल-जम्मू कश्मीर और आसपास के लोगों को भी मिलना चाहिए। 
आखिर लवली जैन का जनून रंग लाया। लुधियाना में थैलसीमिक बच्चों को बकरी या बकरे के खून से ईलाज उपलब्ध करने वाला अस्पताल बन कर तैयार हो चुका है। बहुत ही मेहनती स्टाफ। इन बच्चों के लिए डेडिकेटिड स्टाफ। लगता है है अब उन परिवारों की भी सुनी गयी है जो हर दो सप्ताह बाद खून चढ़ाने का खर्चा वहन नहीं कर सकते। 

Friday, August 24, 2018

जालंधर के गांवों में डेंगू बचाव जागरूकता अभियान

गांव रंधावा मसंदा और गुदाईपुर पहुंची में पहुंची वैन 
जालंधर: 24 अगस्त 2018: (राजपाल कौर//पंजाब स्क्रीन)::
पंजाब सरकार द्वारा डेंगू के प्रति आम नागरिक को जागरूक करने के लिए चलाई जा रही जागरूकता वैन एस.एम.ओ करतारपुर के निर्देशानुसार आज गांव रंधावा मसंदा और गुदाईपुर पहुंची । वैन की अगुवाई पी.एच.सी रंधावा मसंदा के एम.ओ डॉ.परमजीत कौर और ए.एम.ओ डॉ.हेमंत मल्होत्रा ने की । उनके द्वारा लोगो और विद्यार्थियों को डेंगू के कारण, लक्षण और उससे बचाव के बारे में जागरूक किया गया । वैन में एल.ई.डी पर डेंगू जागरूकता संदेश चलाए गए । इस मौके सरपंच मोहिंदर लाल, एस.आई केवल भंगू, इंदरजीत कुमार, रघुवीर कौर, उर्मिल गिल, ज्योति, नीतू, रमनदीप, राज रानी, सुनीता, वंदना, अश्विनी कुमार, राजिंदर आदि हाजिर थे।

Thursday, August 16, 2018

लोकप्रिय भाजपा नेता अटलबिहारी वाजपेयी नहीं रहे

जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित-पीएम मोदी 
नयी दिल्ली: 16 अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
जिसे अफवाह बताया जा रहा था पांच बजे के बाद वो सच निकली। लोकप्रिय भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी नहीं रहे। औपचारिक घोषणा के मुताबिक पांच बज कर पांच मिंट पर आखिरी सांस लिया। हालांकि सोशल मीडिया पर बाद दोपहर दो बजे से ही श्रधांजलिओं का सिलसिला शुरू हो गया था। उनके घर में शोक मालाओं का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बावजूद मीडिया यही कहता रहा कि अभी हालत नाज़ुक है। यह भी कि थोड़ी देर में ही एम्स अस्पताल से बुलेटिन आयेगा। 
इन ख़बरों में बार बार यही बताया जाता रहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत आज लगातार दूसरे दिन भी बेहद नाजुक बनी हुई है और देशभर से तमाम नेता उनका कुशलक्षेम जानने के लिए एम्स पहुंच रहे हैं।
देहांत की खबर आने के बाद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने गहरी सम्वेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा,“मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।
लेकिन वो हमें कहकर गए हैं- “मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”

अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !
इस सारे समय के दौरान वाजपेयी को फिलहाल जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया। यह जीवन रक्षक सिस्टम भी उन्हें बचाया न जा सका। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मंत्रियों सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह के एम्स पहुंचने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के 93 वर्षीय नेता के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं। इस तरह अन्य नेता भी पहुँचते रहे। स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर बीजेपी कार्यालय की सजावट के लिए लगाया गया सामान भी दोपहर को उतार लिया गया। मौत की औपचारिक घिश्ना से पहले ही राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों की सरकारों ने अपने कार्यक्रम रद्द कर दिये थे।
आज सुबह एम्स की ओर से आज जारी स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार कि पूर्व प्रधानमंत्री की हालत वैसी ही बनी हुई है। उनकी हालत नाजुक है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं।अस्पताल ने कल रात भी एक बयान में कहा था कि दुर्भाग्यवश, उनकी हालत बिगड़ गई है। उनकी हालत गंभीर है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। यही सिस्टम आज शाम तक भी बताया जाता रहा। कुछ सूत्रों ने कहा था कि निमोनिया के कारण उनके दोनों फेफड़े सही से काम नहीं कर रहे हैं और दोनों किडनी भी कमजोर हो गयी हैं। उनकी हालत नाजुक है। यह नाज़ुक हालत काफी देर तक बनी रही। भारतीय जनता पार्टी के 93 वर्षीय दिग्गज नेता को गुर्दे में संक्रमण, मूत्र नली में संक्रमण, पेशाब की मात्रा कम होने और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (एम्स) में भर्ती कराया गया था। उसके बाद उनकी रिकवरी नहीं हो पाई। आज एम्स पहुंचने वालों में केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान, राधा मोहन सिंह और जगत प्रकाश नड्डा भी शामिल हैं। इनके अलावा नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी एम्स पहुंचे। उल्लेखनीय है कि 1990 के दशक में वाजपेयी सरकार के दौरान उनका बखूबी साथ देने वाले साथ लाल कृष्ण आडवाणी भी अस्पताल पहुंचे।
अब्दुल्ला ने कहा कि हम सभी को उनके स्वस्थ होने की दुआ करनी चाहिए। उनका हालत नाजुक है... हमें नहीं भूलना चाहिए कि यह वही नेता है, जो देश को मजबूत बनाना चाहते थे। वह ना सिर्फ हमारे देश में बल्कि पूरी दुनिया में शांति चाहते थे।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अन्य मुख्यमंत्रियों के भी दिल्ली पहुंचने की संभावना है।
आजीवन अविवाहित रहे वाजपेयी के कुछ रिश्तेदार भी ग्वालियर से दिल्ली पहुंच चुके थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल शाम वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए एम्स गये थे। मोदी करीब सवा सात बजे अस्पताल पहुंचे थे और वह करीब 50 मिनट तक वहां रूके। वाजपेयी के स्वास्थ्य के बारे में ताजी जानकारी प्राप्त करने के लिए अस्पताल के बाहर भारी संख्या में मीडियाकर्मी और अन्य लोग मौजूद हैं जिसके कारण सड़क पर यातायात प्रभावित हो रही है।
अस्पताल के बाहर भीड़ और यातायात प्रबंधन के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
मधुमेह से ग्रस्त वाजपेयी की एक ही किडनी काम करती है। वर्ष 2009 में उन्हें आघात आया था, जिसके बाद उन्हें लोगों को पहचानने की दिक्कत होने लगी थी। बाद में उन्हें डिमेंशिया हो गया।

Azadi song....Kanhaiya Kumar - Azadi - Lal Salaam Song @ JNU Campus S...

Wednesday, August 15, 2018

नशा:सरकारों से उम्मीद छोड़ कर हमें खुद ही कुछ करना होगा

FIB के आयोजन में छलका बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा का दर्द 
लुधियाना: 15  अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अनगिनत आयोजन हुए।  इन्हीं में से एक यादगारी आयोजन था जो FIB अर्थात फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो और अन्य सहयोगी संगठनों ने न्यू कुंदन पूरी में कराया। इसका आयोजन तिरंगे के जानेमाने प्रेमी डाक्टर भारत हर वर्ष करते हैं। इस बार उनके साथ बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा,  पंचमुखी हनुमान मंदिर के संजय गुप्ता, पत्रकार प्रेम ग्रोवर, समाज सेवी बलविंदर कुमार वर्मा, ब्लॉग मीडिया की तरफ से रेक्टर कथूरिया और प्रदीप शर्मा, आर टी आई एक्टिविस्ट श्रीपाल शर्मा सहित कई लोग सक्रिय रूप में शामिल हुए। 
तिरंगे को सलामी देने के बाद जहाँ इन लोगों ने स्वतंत्रता दिवस की बधाईयां दे वहीँ यह भी याद दिलाया कि  हिन्दोस्तान और पाकिस्तान दोनों तरफ के पंजाब ने बंटवारे के इस दुखद मौके पर अपनों की हत्याएं देखी हैं, घरों के उजाड़े देखे हैं, बहु बेटियों की इज़त लुटती देखी है--इस लिए उनके आंसुओं और उनकी दुखद यादों को याद रखना भी आवश्यक है। हम नहीं भूल सकते कि किस तरह बहुत से लोग आबादियों के तबादले में शव बना दिए गए। उनके शवों को अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो सका। खून से लिथड़े हुए उन दिनों और रातों को भी याद रखना होगा तांकि विभाजन करने की साज़िशों का दोहराव दोबारा होने से रोका जा सके। गौरतलब है कि अब फिर से इसी तरह के साज़िशी तत्व सिर उठा रहे हैं। उनको नाकाम करना ही तिरंगे को सच्ची सलामी होगी। 
बेलन ब्रिगेड की प्रमुख और  FIB की उपाध्यक्ष अनीता शर्मा ने नशे का मुद्दा भी उठाया और इस पर दुःख ज़ाहिर किया कि कोई भी सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस रणनीति बनाने को तैयार नज़र नहीं आती। तरह तरह की चालाकी भरी बातों और बहानों से ही असली मुद्दे को इधर से उधर सरका कर गुम कर दिया जाता है। इसलिए हमें खुद ही उठना होगा। सरकारों से कोई भी उम्मीद छोड़ कर खुद ही आगे आना होगा। नशे को अपनी व्यक्तिगत पारिवारिक समस्या समझना होगा। तभी इसे दूर करने की संभावना बन सकती है। 
इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए समाज सेवी बलविंदर कुमार वर्मा ने कहा कि कोई भी सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी क्यूंकि सरकार को शराब से आमदनी होती है। इसके साथ ही उन्होंने सलाह दी कि अफीम-भुक्की इत्यादि खोल दी जानी चाहिए तांकि "चिट्टे" जैसे हत्यारे नशे को रोका जा सके। उन्होंने अफीम से होने वाले औषधीय फायदे भी गिनवाए। 
FIB प्रमुख डाक्टर भारत ने नशे के नेटवर्क और चक्रव्यूह की जानकारी बहुत ही सादगी भरे शब्दों में दी और बताया कि समस्या अंतर्राष्ट्रीय है। नशा और नशे का व्यापार वास्तव में देशी-विदेशी आतंकी संगठनों का  मुख्य हथियार भी है और उनकी आर्थिकता की रीढ़ की हडडी भी। इसलिए इसे समाप्त करना किसी एक सरकार के बस में ही नहीं।   विश्व को इसके खिलाफ एकजुट होना ही होगा। डाक्टर भारत ने कहा कि FIB संगठन इस मकसद के लिए अब पहले से ज़्यादा सक्रिय है और बहुत कुछ कर भी रहा है लेकिन हम इसका खुलासा यहाँ सब के सामने नहीं कर सकते क्यूंकि यह देश और समाज की सुरक्षा से जुड़े मामले हैं। 
पत्रकार और ट्रॉफ़ीमेकर प्रेम ग्रोवर ने सभी को स्वतंत्रता दिवस के प्रतीक चिन्ह और मालाएं भी  भेंट की। उन्होंने कहा कि समाज को नशा मुक्त और अपराध मुक्त करने के लिए जो प्रयास डाक्टर भारत कर रहे हैं हम सभी इस काम में अब उनके साथ हैं।  कोई उनको अकेला न समझे। 
आनेवाले दिनों में FIB का एक नया रंगरूप सभी के सामने आएगा जिस पर संगठनात्मक कार्य ज़ोरशोर से जारी है। अब कोई भी अपराधी FIB की बाज़ निगाहों से बच नहीं पायेगा। हम इस तरह के तत्वों की गुप्त जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को देकर राष्ट्र और समाज को सावधान करते रहेंगे। आवश्यक होने पर इसकी संक्षिप्त सूचना मीडिया के ज़रिये भी दी जाएगी। 
इस आयोजन में देश भक्ति के रस में डूबे गीतों ने आसपास के सारे माहौल को गहरी संवेदना से भर दिया और उन सभी की यादों में आँखें नम हो गयीं जो देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर तो गए लेकिन लौट के घर न आये। कार्यक्रम में उन शहीदों को याद करते हुए नमन किया गया। 


Monday, August 13, 2018

संसद भवन के पास छात्र नेता उम्र खालिद पर हमला-सकुशल बचे

प्रगतिशील क्षेत्रों में गम और रोष की लहर 
नयी दिल्ली: 13 अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
जानेमाने लोकप्रिय छात्र नेता उम्र खालिद पर गोली चलने की खबर से सभी प्रगतिशील क्षेत्रों में गम और गुस्से की लहर है। गौरतलब है कि कुछ अज्ञात लोगों ने आज यहां संसद भवन के पास स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब के ठीक बाहर जेएयनू के छात्र नेता उमर खालिद पर हमला किया और गोलियां चलायी लेकिन वह सकुशल बच गए। उनके सकुशल बचने की खबर से संतोष भी पाया जा रहा है लेकिन इससे इस हमले से पैदा हुई चिंता कम नहीं हो रही। यह सब तब हुआ जब स्वतन्त्रता दिवस को केवल एक दिन बाकी है। आज कई जगहों पर स्वतन्त्रता दिवस के आयोजनों की रिहर्सल भी हो चुकी होगी। लेकिन यह गोलियां चलाने वाले इस राष्ट्रीय त्यौहार से एक-दो दिन पूर्व छात्र नेता पर गोलियां चला कर क्या संदेश देना चाहते हैं? 
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जब खालिद क्लब के गेट पर थे तब दो गोलियां चलायी गयीं। निश्चय ही दिन दिहाड़े इस तरह संसद भवन के पास गोलियां चलाने वाले आम मुजरिम न रहे होंगें। शायद उनके पीछे कोई बड़ा हाथ हो। उल्लेखनीय है कि खालिद ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ संगठन के ‘खौफ से आजादी’ नामक एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने यहाँ पहुंचे थे।
खालिद के साथ कांस्टीट्यूशन क्लब गए एक व्यक्ति  खालिद सैफी ने कहा कि जब हम चाय पीने गए थे जब तीन लोग हमारी तरफ आए। उनमें से एक ने खालिद को जकड़ लिया जिसका विरोध करते हुए खालिद ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की और इसमें सफल भी रहे।  
खालिद सैफी ने कहा कि गोली चलने की आवाज आने से सैर माहौल में अफरातफरी मच गयी। 
समझा जाता है कि इसी हडबडाहट में शायद हमलावर अपना निशाना चूक गए। उन के इस सुनियोजित हमले के बावजूद खालिद अपनी सतर्कता के चलते घायल नहीं हुए। इस पर बोखलाए हुए आरोपियों ने भागते समय एक और गोली चलायी। इससे आसपास के माहौल में एक सनसनी सी फ़ैल गयी।  
इस घटना के कुछ देर बाद उम्र खालिद ने इसका गंभीर नोटिस लिया। इस घटनाक्रम पर खालिद ने कहा कि देश में खौफ का माहौल है और सरकार के खिलाफ बोलने वाले हर व्यक्ति को डराया-धमकाया जा रहा है। आज की घटना इस हकीकत की एक ताज़ा मूंह बोलती तस्वीर भी है। 
इसी बीच इस सरे मामले की जांच का काम जारी है। पुलिस घटनास्थल पर है और मामले की जांच कर रही है। उसने वह हथियार भी जब्त कर लिया है जो आरोपियों के भागते समय उनके हाथों से गिर गया था। अब देखना है पुलिस कितनी देर में हमलावरों की पहचान करके उन्हें पकड़ पाती है। 

Wednesday, August 08, 2018

PMC: चुनावी प्रक्रिया में बदलाव की मांग तेज़

PMC की चुनावी प्रक्रिया बदलना समय की मांग 
लुधियाना: 8 अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
मामला डाक्टरी सेवा का है। डाक्टर--एक ऐसा महान इन्सान-जिसे कभी भगवान माना जाता था लेकिन अब लोग उसे उस भावना से नहीं देखते। हालांकि अब बह मानवीय संवेदना से ipoorन लोग खुद अपनी जेब से वित्तीय तैर पर कमज़ोर लोगों का इलाज करवाते हैं लेकिन व्यापक तौर पर पूंजीवादी सिस्टम ने इसे केवल मुनाफे का धंधा बना दिया है। बीमार होने पर लोग बिना दवाई के मरना पसंद करते हैं या फिर सेल्फ मेडिकेशन के खतरनाक प्रयोगों से खुद का नुकसान करवा बैठते हैं लेकिन डाक्टरके पास नहीं जाना चाहते। ऐसा नहीं है कि अच्छे लोग नहीं बचे। अब भी बहुत से डाक्टर भगवान की तरह अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं लेकिन ज़्यादातर मामला गडबडा चुका है। किसी भी अस्पताल में जाते ही लम्बे चौड़े टेस्ट लिख कर पर्ची मरीज़ के परिवार को  थमा दी  जाती है। उनका खर्चा इतना ज्यादा बैठता है कि या तो व्यक्ति इलाज ही नहीं करवाता और या फिर खतरा उठा कर फंस जाता है मजबूरी के जाल में। और यह सब गली मौहल्लों के झोलाछाप डाक्टर नहीं करते बल्कि बड़े बड़े अस्पताल और बड़े बड़े क्लिनिक करते हैं। आमिर खान ने अपने लोकप्रिय सीरियल सत्यमेव जयते में इस मुद्दे को उठा कर बहुत कुछ बेनकाब किया था। इस आयोजन में अच्छे डाक्टरों की भी चर्चा हुई थी और पैसा बनाने वालों की भी। इसके बावजूद वह सुधर नहीं आ पाया जो अपेक्षित था। 
सवाल उठता है जो लोग भगवान समझे जाते थे वे शैतान क्यूँ बन रहे हैं। आखिर उनपर निगरानी करने वाले क्यूँ कुछ ठोस नहीं करते जिससे यह सब रुक सके? क्या यह ख़ामोशी एक मुजरिमाना भूमिका नहीं इंसानियत के लिए? अब पंजाब मेडिकल काउन्सिल के चुनावों के मौके पर इस सब की चर्चा भी ज़ोरों पर है। कुछ लोग चाहते हैं नए लोग आयें तांकि निगरानी रखने वाला तंत्र अधिक प्रभावशाली हो सके। मीडिया में यह सब चर्चा का विषय बना हुआ है। 
पंजाब मेडिकल कौंसिल (पीएमसी) के इलेक्शन में ऑनलाइन वोटिंग की मांग के बाद अब सीनियर मेडिकल अफसर (बूथगढ़) और चीफ एडवाइजर पीसीएमएस एसो. पंजाब डॉ. दलेर सिंह मुल्तानी ने रिटर्निंग अफसर डाॅ. गुरदीप कल्याण को लेटर भेज कर चुनाव कैंसिल करने की मांग की है। वहीं बठिंडा से डॉ. वितुल गुप्ता ने सीएम व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लेटर भेज इलेक्शन में वोट इकट्‌ठी करने को तुरंत रोकने के लिए कहा है। इसी तरह हेल्थ एंड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट बठिंडा के डॉ. वितुल गुप्ता ने कहा, एथिकल कमेटी मैंबर बनने के लिए अन एथिकल तरीके से वोट लेकर क्या न्याय कर पाएंगे। कोई बैलेट पाने के लिए पोस्टमैन का पीछा कर रहा है। मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे स्टूडेंट से उनके डॉक्टर्स माता पिता का बैलेट मंगवाने का काम चल रहा है। 
डॉ. दलेर सिंह और डॉ. वितुल गुप्ता भी खुल कर सामने आये हैं।  डाक्टर बलबीर सिंह शाह ने  तो इस मुड़े पर बहुत कुछ कहा है। 
डाक्टर दलेर सिंह कहते हैं कि बैलेट में चार बड़ी खामियां हैं। उन्होंने कहा कि बैलेट पेपर में 23 प्रत्याशियों के नाम हैं। जिसे वोट देना है, उसके आगे क्राॅस लगाना है। एक डॉक्टर को 10 को वोट देना होता है। अगर वह सिर्फ 2 को वोट देता है तो ऐसे में कोई भी बैलेट पेपर से छेड़छाड़ कर अपने प्रत्याशी को वोट दे सकता है। एतराज़ जायज़ है।  पहले भी इसी तरह मुद्दे उठते रहे हैं लेकिन सुधर नहीं हो सका। अगर वोटर का क्रॉस चिन्ह कॉलम से इधर उधर हुआ तो वोट इनवैलिड होगी। यह गलत है क्योंकि सिर्फ प्रत्याशी के कॉलम के सामने क्राॅस का चिन्ह लगाना है, तो बाकी प्रत्याशियों के सामने क्या लिखना है। यह स्पष्ट नहीं है। 
सेल्फ डिक्लेरेशन में आधार कॉर्ड और पीएमसी रजिस्ट्रेशन की कॉपी मांगी गई है। क्योंकि यह इलेक्शन सिक्रेट नहीं है, ऐसे में वोटर की पहचान हो जाएगी। आगे चलकर उसकी सामाजिक या प्रोफेशनल स्तर पर विरोधता हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो वोटिंग सिस्टम के लिए इसे सुरक्षित नहीं माना जा सकता। 
इस चुनाव के संबंध में बहुत कुछ कहा सुना जा रहा है लेकिन लगता है हर बार बात चर्चा तक ही रह जाती है। 
गौरतलब है कि नोटिफिकेशन में कहीं नहीं लिखा कि जिनकी रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं हुई है, उन्हें बैलेट पेपर नहीं भेजे जाएंगे। जबकि सूचना है कि रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं करवाने वाले डॉक्टर्स को बैलेट पेपर नहीं भेजे जा रहे हैं। 
डाक्टर अरुण मित्र ने भी कहा कि सरकार को भेजा था प्रोसेस बदलने का प्रस्ताव लेकिन परिणाम कुछ नहीं। उन्होंने कहा था-
वोटिंग का मतलब होता है कि जाकर वोट डालना लेकिन पीएमसी इलेक्शन में तो घपला हो रहा है। इसलिए वोटिंग ऑनलाइन होनी चाहिए। डाक्टर अरुण मित्र कहते हैं कि जिस समय मैं पीएमसी की एथिकल कमेटी में था, उस समय यह इश्यू उठा था। सभी की एक राय बन गई थी कि ऑनलाइन वोटिंग हो। सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद कुछ नहीं हुआ। संवैधानिक तरीके से इलेक्शन करवाने हैं, तो वोटिंग ऑनलाइन करनी होगी। उल्लेखनीय है कि डॉ. अरूण मित्रा, पीएमसी की एथिकल कमेटी के चेयरमैन भी रह चुके हैं। 
दूसरी तरफ रिटर्निंग अधिकारी खुद को बेबस जैसा दिखाते हैं। अब वास्तव में ऐसा है या यहाँ भी कोई बहाना है यह तो भगवान् ही जाने। उनका कहना है कि प्रोसेस बदलना मेरे बस में नहीं। सवाल है की आखिर किसके बस में है वास्तविक बदलाव?
रिटर्निंग अफसर डॉ. गुरदीप कल्याण का कहना है-मेरे पास शिकायत आई है, लेकिन मेरा काम कानून के दायरे में रहकर चुनाव करवाना है। जैसा वोटिंग का सिस्टम है, वैसे चुनाव हो रहे हैं। बैलेट पेपर को एकत्र किया जा रहा है। कुछ और प्रोसेस जो प्रत्याशी कर रहे हैं उन पर कार्रवाई मेरे दायरे में नहीं है। 
इसी बीच खुल कर सामने आए हैं डाक्टर बलबीर सिंह शाह। डॉ. शाह के अनुसार पीएमसी का गठन 1916 में हुआ था। उस समय सिर्फ 435 मेंबर्स थे। लेकिन इसका दायरा पेशावर से लेकर दिल्ली तक था। तब हालात भी और थे माहौल भी और था लेकिन अब तो इसके सदस्यों की संख्या भी बढ़ चुकी है। भूगौलिक दायरा बेशक कम हुआ हो लेकिन तकनीक विकास ने बहुत सी नयी संभावनाएं दिखाई हैं। 
डाक्टर शाह ने विस्तार से बताया कि पीएमसी का गठन 1916 में हुआ था। उस समय सिर्फ 435 मेंबर्स थे। लेकिन इसका दायरा पेशावर से लेकर दिल्ली तक था। इतने बड़ा दायरा होने से वोटिंग को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजा जाता था। उसके बाद तकनीकी विकास ने संचार सुविधायों में बहुत से चमत्कार दिखाए हैं। अब इमेल का जमाना है।  अब ऑनलाइन का ज़माना है। मौजूदा सिस्टम में इसे अपनाया जाना चाहिए। डाक्टर शाह याद दिलाते हैं कि देश के विभाजन के बाद इस सन्गठन के सदस्यों का यह दायरा सीमित हो गया। लुधियाना के दंडी स्वामी चौक पर इसका पहला दफ्तर बना, यहां पर डॉक्टर हंसराज इसके रजिस्ट्रार बने थे। लेकिन सीमित दायरे के बावजूद सदस्यों की संख्या बढ़ गयी। अब पंजाब में पीएमसी के 50 हजार मेंबर्स हैं। हर बार इलेक्शन में जालंधर या फिर लुधियाना के डॉक्टर मेंबर्स सेलेक्ट होकर जाते हैं। इसके अलावा अन्य सिटी से महज कोई जीत कर पीएमसी मेंबर्स बनता है। ऐसे में सवाल है कि जालंधर या फिर लुधियाना से जीतने वाले मेंबर्स को बठिंडा, मानसा या फिर संगरूर में बैठे डॉक्टर्स के दर्द के बारे में क्या पता चलेगा। इसलिए हर जिले से एक डॉक्टर को चुना जाना चाहिए। सिविल सर्जन दफ्तर में उसका दफ्तर भी होना चाहिए। ताकि किसी भी शिकायत पर वह आसानी से काम कर सकें। मेरी तरफ से हेल्थ मिनिस्टर को यह सलाह भेज दी गई है, अब देखते हैं कि वह इसे मानते हैं या नहीं। अगर कोई डाक्टर किसी जिले में कुछ गलत करता है तो इसकी जितनी जानकारी उसी जिले के पीएमसी मेम्बर को होगी उतनी उस जिले से दो-चार सो किलोमीटर दूर बैठे मीम्सी मेम्बर को कैसे हो सकती है? डाक्टर शाह साफ़ कहते है अगर हर जिले में अनएथिकल प्रेक्टिस रोकनी है तो हर जिले में पीएमसी का मेम्बर होना चाहिए। 

Monday, August 06, 2018

नामधारी सिक्खों द्धारा पुलिस कर्मचारियों की सेवा का सिलसिला जारी

Aug 5, 2018, 4:06 PM
जो हर मौसम में रहते हैं जनता की सेवा को तैयार-सतगुरु दलीप सिंह जी
जालंधर: 5 अगस्त 2018:(राजपाल कौर//पंजाब स्क्रीन)::
सतगुरु दलीप सिंह जी की प्रेरणा से नामधारी सिक्खों ने समाज सुधार के अनेक कार्यो में पुलिस सेवा को भी प्रमुख स्थान दिया है। गत दिवस जालंधर के कई चौराहों पर यह दृश्य देखने को मिला जहाँ इतनी गर्मी तथा घुटन के वातावरण में तैनात पुलिस कर्मचारियों की नामधारी संगत ने ठंडा-मीठा जल छकाकर उन्हें राहत दिलाई।

उल्लेखनीय है कि यह सेवा लगभग पिछले 3-4 सालों से महानगर दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर-प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल-प्रदेश आदि से लेकर पंजाब के कई स्थानों में भी शुरू की गई है। कुछ समय से जालंधर में भी यह सेवा शुरू की गई है। गत दिवस भी विश्व नौजवान नामधारी विद्द्यक जत्थे के प्रधान पलविंदर सिंह नामधारी तथा अन्य प्रमुख सदस्यों के साथ पी.ए.पी.,रामा मंडी चौक से लेकर, बी.एस.एफ.,मक़सूदा आदि भिन्न-भिन्न चोंको में गर्मी तथा धूप में ट्रैफिक-सुरक्षा में तैनात पुलिस-कर्मियों को ठंडा-मीठा जल छकाकर राहत पहुंचाई। पलविंदर सिंह, गुरदेव सिंह जी तथा उनकी टीम ने बताया की इस शुभ काम को  करने की प्रेरणा हमें सतगुरु दलीप सिंह जी से मिली है, जिन्होंने हमे बताया है कि पुलिस वाले बहुत कठिन  कार्य करते हैं, जो कड़ाके की ठण्ड और भीषण गर्मी में भी खड़े होकर जनता की सेवा में हमेशा तैयार रहते हैं। अतः वे भी नेक पुरुष होते हैं इसलिए बिना कारण पुलिस कर्मियों की निंदा करना छोड़, इनकी सेवा तथा आदर-सत्कार करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही इस बात की ओर हमारा ध्यान दिलवाया है कि यदि पुलिस वाले न हों तो समाज का प्रबंध कितना बिगड़ जायेगा। सतगुरु जी के अनुसार हमें दूसरों की बुराई नहीं, अपितु अपनी बुराई को देखकर उसे दूर करना चाहिए। पुलिस मुलाजिमों ने भी अपने भाव व्यक्त किये तथा बताया कि हमें तो सभी लोग गलत समझते हैं तथा कभी किसी ने हमारे बारे में ऐसा नहीं सोचा, पर आज आप के इस व्यवहार को देखकर हमें बहुत अच्छा लगा तथा उन्होंने नामधारी संगत का धन्यवाद भी किया। इस अवसर पर गुरदेव सिंह माहल, हरदेव सिंह , जवाहर सिंह और राजपाल कौर भी शामिल हुए। 

जालंधर में माइग्रेटरी पोलियो मुहिम की शुरूआत

हाई रिस्क इलाकों को दी गयी पहल
जालंधर: 5 अगस्त 2018: (राजपाल कौर//पंजाब स्क्रीन)::  
बदलते मौसम में अलग तरह की कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। इनका मुकाबिला करने के साथ जागरूक समाजसेवी और स्वास्थ्य अधिकारी अन्य प्रोजेक्टों को लेकर भी सतर्क और सरगर्म रहते हैं। जालंधर में माइग्रेटरी पोलियो मुहिम इसी तरह की शानदार मिसाल है। 
आज एस.एम.ओ करतारपुर डॉ.हरदेव सिंह के निर्देशानुसार ए.एम.ओ डॉ.हेमंत मल्होत्रा की अगुवाई में पी.एच.सी रंधावा मसंदा के अधीन क्षेत्र में माइग्रेटरी पोलियो मुहिम की शुरूआत समाज सेवक परविंदर सिंह, मैडम राजपाल कौर और जरनैल सिंह रंधावा द्वारा की गई। डॉ.हेमंत मल्होत्रा ने बताया कि 5 से 8 अगस्त तक चलने वाली इस मुहिम में उनकी टीमो द्वारा जालंधर के हाई रिस्क एरिया गुदाईपुर, राजा गार्डन, उद्योग नगर, स्वर्ण पार्क और रंधावा मसंदा के साथ लगते गांवो में 0 से 5 साल तक के लगभग 2500 बच्चों को दो बूंद पोलियो दवा की पिलाई जाएगी। इस मौके एस.आई इंदरजीत सिंह, एल.एच.वी उर्मिल गिल, ज्योति सुमन, नीतू, रमनदीप, सरबजीत, गुरबख्श, राज रानी, मंजीत, रीना, सुनीता, पूनम आदि हाजिर थे ।

Thursday, August 02, 2018

कन्हैया-शहेला और गुरमेहर का लुधियाना आना बहुत गहरी बात

वोट हथियाने वालों के मायाजाल को तोड़ने में मिलेगी सहायता 
लुधियाना: 2 अगस्त 2018: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
स्पीकिंग माइंड्स यूथ कॉन्क्लेव के आयोजन में जो हुआ वो होना ही था। आज के दौर की हकीकत बन चुकी है भटकन। वह भटकन इस आयोजन में भी दिखी। इसमें निमंत्रित लोगों की विचारधारा क्या है इससे सभी अवगत हैं। इस बहस के दौरान भी सभी लोग अपने अपने विचार पर अडिग रहे। अपने अपने विचार पर अडिग रहने के इस संकल्प ने इस बहस को काफी इंट्रेस्टिंग भी बनाया। 
गुरु नानक देव भवन में वीरवार को दो दिवसीय स्पीकिंग माइंड्स यूथ कॉन्क्लेव शुरू हुआ। इसमें लुधियाना और राज्य के अन्य शहरों से आए छात्र छात्राओं ने सक्रिय हिस्सा लिया। इसमें पहले दिन ऑनलाइन क्रिएटिव इंडस्ट्री और इसका भविष्य, यूथ लीडरशिप और नेशन बिल्डिंग, राष्ट्रवाद का मतलब और बोलने की आजादी जैसे विषयों पर चर्चा की गई। काफी समय से यह सभी मुद्दे बहुत नाज़ुक बने हुए हैं। राष्ट्रवाद का अर्थ और बोलने की आजादी के विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में यह बहस ज़्यादा गरमाई तो इस पैनल डिस्कशन में भाग लेने वाले अपने अपने स्टैंड पर डटे रहे। इस माहौल मैं ऐसा ज़रूर लगा कि मुद्दे से भटक कर पैनलिस्ट एंटी और प्रो मोदी गवर्नमेंट की चर्चा में पहुंच गया। कन्हैया जहां खुद को जेल भेजे जाने की बात कहते रहे। वहीं, शेहला ने भी यूनिवर्सिटी में आ रही परेशानियां सामने रखीं।  गौरतलब है की जे एन यू राष्ट्रवाद  का प्रतीक बानी रही है। इस डिस्कशन में मुद्दा राष्ट्रवाद का अर्थ और बोलने की आजादी का था। यहां तक की चर्चा के दौरान शेहला राशिद और प्रदीप भंडारी में बहस होने के कारण कौंसलर ममता आशू को मामले को शांत करवाना पड़ा। जिन लोगों को जे एन यू में हुए छात्र आंदोलन याद हैं उनको याद होगा कि राष्ट्रवाद और जेएनयू आपस में कितना गहरा जुड़े हुए हैं। जेएनयू की स्वायत्ता भरी जीवनशैली पर प्रहार उस समय भी राष्ट्र के एकता पर प्रहार गिना गया था। 
गुरुनानक भवन में शेहला ने डिस्कशन के दौरान रोके जाने पर प्रदीप पर मुस्लिम महिला होने के कारण न बोलने देने का आरोप लगाया। ममता आशू ने पैनलिस्ट को अपने मुद्दे पर रहने के लिए कहा। इसके बाद चर्चा को वापस विषय पर लाया जा सका। पहले दिन जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के पूर्व प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार, एक्टिविस्ट गुरमेहर कौर, जन की बात ओपिनियन पोल चलाने वाले प्रदीप भंडारी, बीजेवायएम के स्टेट स्पोक्स पर्सन विक्रम बावा, जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन की पूर्व वाइस प्रेसिडेंट शेहला राशिद, पंजाब कांग्रेस के स्पोक्स पर्सन गौतम सेठ, एक्ट्रेस श्रेया मेहता, जसमीत सिंह भाटिया, शिवांकित परिहार मुख्य पैनलिस्ट रहे। कौंसलर ममता आशू, बलजीत कौर, शोभन सोईं मौजूद रहे। बहुत से न्य लोग भी मौजूद रहे। 
लम्बी इंतज़ार के बाद पहुंचे कन्हैया ने स्टेज पर ही अपने विचार रखे, लेकिन मीडिया से खुद को बचाते हुए वापस निकल गए। कन्हैया सिक्योरिटी की आड़ में कॉन्क्लेव खत्म होते ही तुरंत हॉल से निकल गए। वहीं, स्टेज पर मोदी पर ही प्रहार करते रहे। कन्हैया ने कहा कि देश में राष्ट्रवाद की बहस होनी ही नहीं चाहिए। सरकार अपने गलत कामों को छुपाकर दूसरों के गलत कामों को उजागर कर रही है। देश में माहौल जो बनाया जा रहा है, उस पर सवाल उठाना सही नहीं कहा जा रहा जो बोलने की आजादी पर रोक है। कन्हैया बोले, देश की आलोचना करना देशद्रोही होना नहीं है। इससे पूर्व भी कन्हैया ने मीडिया के कुछ चुंनिंदा लोगों से अनौपचारिक भेंट में कई बातें कहीं जिन्हें अलग से दिया गया है। 
कुल मिला कर स्पीकिंग माईन्डज़ का आयोजन लुधियाना और आसपास के क्षेत्र राजनीतिक और  समाजिक मुद्दों पर बहस छेड़ने में कामयाब रहा। इस बहस से निश्चित ही एक नयी चेतना जन्म लेगी जो आम जनता को वोट हथियाने वाले तत्वों के मायाजाल को देखने की क्षमता भी देगी और इस चक्रव्यूह को तोड़ने की शक्ति भी। 
इससे पूर्व कन्हैया कुमार ने आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के कार्यकर्ताओं की एक विशेष मीटिंग को भी अलग से सम्बोधित किया। यह बैठक एक जानेमाने वाम नेता के घर में रखी गयी थी।