Wednesday, April 27, 2016

1984 सिक्ख कत्लेआम के लिए प्रत्येक कांग्रेसी नेता जिम्मेवार-CM बादल

Wed, Apr 27, 2016 at 7:17 PM
पानी की रक्षा के लिए बड़ी कुर्बानियों के लिए तैयार रहने का आहवान
कांग्रेस की तरह आप भी पंजाब विरोधी--मुख्यमंत्री बादल 
पंजाब को मरूथल बनाने को कांग्रेस और आप की साज़िशों की निंदा
*कांग्रेस ने हरियाणा, राजस्थान तथा अन्य राज्यों को गैर कानूनी ढंग से दिया पंजाब का पानी
*केजरीवाल अपने पैतृक राज्य हरियाणा के हितों की कर रहा है पूर्ति
*शहीद भगत देश के सबसे अधिक सम्मानित स्वंतत्रता संग्रामी
*मुख्यमंत्री ने श्री मुक्तसर साहिब के विकास के लिए अस्सी करोड़ से अधिक के प्रोजैक्ट घोषित
श्री मुक्तसर साहिब, 27 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
पंजाब के लोगों को राज्य के पानी की रक्षा के लिए तैयार रहने का आहवान करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों मिलकर राज्य को मारूथल बनाने की साजिश रच रहे हैं।
आज यहां संगत दर्शन कार्यक्रम के दौरान श्री मुक्तसर साहिब शहर के विभिंन वार्डो में लोगों को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दोनों पार्टिया राज्य के विकास और लोगों की खुशहाली की दुश्मन हैं जिस कारण यह लगातार पंजाब से उसका पानी छीनने के लिए योजनाएं बना रही हैं। उन्होने लोगों को सचेत किया कि आने वाली पीढिय़ों के लिए पानी बचाने हेतू सभी को मिलकर संघर्ष करना होगा। ताकि कोई भी हमारे राज्य का पानी हम से छीन ना सके।
कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने विभिंन समय पर पानी के समझौते कर पंजाब से उसका पानी छिनने के मनसूबे बनाये थे। उन्होने कहाकि हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्य जिनका पंजाब के पानी पर कोई भी अधिकार नही हैं को गैर कानूनी ढंग से पंजाब का पानी दिया गया। उन्होने लोगों को याद दिलाया कि राज्य कांग्रेस के मौजूदा प्रधान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने उस समय के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा एसवाईएल नहर का नींव पत्थर रखने के अवसर पर श्रीमती गांधी जोरदार ढंग से स्वागत किया था। उन्होने कहा कि कोई भी सच्चा पंजाबी कांग्रेस को पंजाब से चंडीगढ़, पंजाबी बोलते क्षेत्र, नदी जल और श्री दरबार साहिब पर करवाये गये हमले के लिए कभी माफ नही कर सकता ।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी भी कांगे्रस की तरह पंजाब विरोधी है। उन्होने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा एसवाईएल मुददे पर सुप्रीम कोर्ट में दिया गया नया हल्फनामा महज एक राजनीतिक स्टंट है और केजरीवाल का पंजाब विरोधी नजरिया पहले हल्फनाम में उजागर हो गया था। उन्होने कहा कि इस हल्फनामे में पंजाब द्वारा एसवाईएल मुददे पर लिये गये स्टेैड को गैर संवैधानिक तथा देश विरोधी बताते हुये केजरीवाल सरकार ने कहा था कि पंजाब के इस स्टैड से देश के टुकड़े टुकड़े होने का खतरा हैं। साथ ही उन्होने कहा कि दिल्ली सरकार ने पंजाब को इस स्टैड के परिणाम के तौर पर गंभीर निष्कर्ष भुगतने की धमकी भी दी थी।
मुख्यमंत्री ने ओर कहा कि श्री अरविंद केजरीवाल क्योकि स्वयं हरियाणा से संबंध रखते है इस लिए उनका अपने पैतृक राज्य के प्रति मोह है और उनसे पंजाब के हितों की रक्षा कोई उम्मीद नही जा सकती। उन्होने कहा कि केजरीवाल को पंजाब या इसके लोगो से कोई लगाव नही है और उनकी एक ही मंशा राज्य की सत्ता हासिल करनी है। उन्होने कहा कि असल में एसवाईएल के मुददे पर केजरीवाल अपने पैतृक राज्य के हितों की पूर्ति कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समय के साथ साथ आप और कांग्रेस दोनों का पंजाब विरोधी स्टैड साफ हो गया है और राज्य के लोगों को यह बात भली भांति समझ जानी चाहिए कि केवल शिअद ही पंजाब के लोगों की हमदर्द जमात है। उन्होने कहा कि यह दोनों पार्टिया राज्य को लूटना चाहती है पंरतु राज्य के असली पेहरेदार होने के नाते अकाली दल ऐसा कभी भी नही होने देगा।
इस पश्चात अकाली नेता मेहरबान सिंह के गृह में पत्रकारो से बातचीत करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि 1984 के सिक्ख कत्लेआम से संबधित सभी जांच आयोगों , गवाहों तथा मीडिया रिपोर्टो ने इस कत्लेआम को कांग्रेस पार्टी की एक सोची समझी साजि़श बताया था। उन्होंने कहा कि कोई भी कांग्रेसी नेता इस घिनौने हत्याकांड से अपनी और अपनी पार्टी की नैतिक जिम्मेवारी से भाग नहीं सकता है।
कुछ किताबों में शहीद ए आज़म स.भगत सिंह केे बारे में गलत तथ्य छापे जाने को दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय बताते  मुख्यमंत्री ने कहा कि शहीद ए आजम स. भगत सिंह पूरे देश के सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्होंने छोटी सी आयु में देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की जिसकी मिसाल समकालीन विश्व इतिहाहस में बहुत कम मिलती है।
एक अन्य प्रश्र के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं की खरीद सही ढंग से चल रही है और राज्य सरकार द्वारा इस संबंधी योग निर्देश दिए जा चुके हैं और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिएि गए हैं कि किसानों को अदायगी साथ-साथ की जाए। स.बादल ने कहा अकाली भाजपा गठजोड़ किसानों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है और उनके हितों को हर हाल में सुरक्षित रखा जाएगा।
इस अवसर पर श्री मुक्तसर साहिब विधान सभा क्षेत्र के विकास को एक बड़ा प्रोत्साहन देते मुख्यमंत्री ने बिजली  वितरण के बुनियादी ढांचे को मज़बूत और नवीनीकरण के लिए 25 करोड़ रूपए, जल सप्लाई के लिए 38.42करोड़ रूपए तथा शहर के सीवरेज के लिए 10.46करोड़रूपए सहित 80 करोड़ से अधिक के विकास प्रोजेक्ट मंजूर किए।
इस अवसर पर अन्य के अतिरिक्त यूथ अकाली दल के मालवा जोन  के प्रधान स.कंवरजीत सिंह रोज़ी बरकंदी, पंजाब एग्रो के चेयरमैन जत्थेदार दयाल सिंह कोलियां वाली, लोग सभा सदस्य स.शेर सिंह घुबाया, सीनियर अकाली लीडर स.मित्त सिंह बराड़ औरे स. मनजीत सिंह बरकंदी, मार्किट कमेटी बरीवाला के चेयरमैन स.मनजिंदर सिंह बिट्टू, नगर कौंसल के प्रधान श्री हरपाल सिंह बेदी, भाजपा  के जिला प्रधान श्री राजेश पठेला, मुख्य मंत्री के विशेष प्रमुख सचिव स.के जे एस चीमा, मुख्यमंत्री के संयुक्त विशेष प्रमुख सचिव श्री कुमार अमित, उपायुक्त्त श्री सुमित जारंगल,एस एस पी गुरप्रीत सिंह गिल, स.संतोख सिंह भंडारी, श्री सतपाल पठेला, रौबिन बराड़,जसबीर सिंह जम्मूआणा, जगतार सिंह पप्पी, काकू श़ीरवाली, लाली कालेवाला, पम्मा बराड़ संगराणा, सुभाष भठेजा, संदीप गिरधर, बिंदर गौणेआणा, मनप्रीत सिंह, अमनदीप सिंह महासा, शमिंदर सिंह टिल्लू, हरजिंदर सिंह आदि भी उपस्थित थे।
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Monday, April 25, 2016

सड़क हादसे ने ले ली धर्मवती मिश्रा की भी जान

राजनैतिक और समाजिक वर्गों में उदासी की लहर 
लुधियाना: 25 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 

सड़क हादसों ने एक और जान ले ली। हर पल आम जनता के लिए तैयार रहने वाली सक्रिय समाजिक कार्यकर्ता धर्मावती मिश्र अब नहीं रहीं। दोपहर को यह खबर आते ही हर तरफ उदासी छा गयी। 

सड़क हादसे इसे पूर्व भी बहुत सी अनमोल जानें ले चुके हैं। इस बार लुधियाना के फोकल प्वाइंट इलाके में सोमवार सुबह तेज रफ्तार ट्रक ने जिला भाजपा महिला विंग की सचिव धर्मावती मिश्रा को कुचल दिया। इस महिला नेता की मौके पर ही मौत हो गई। धर्मावती अपनी एक्टिवा पर किसी सामाजिक औपचारिकता को पूरा करने के लिए जा रही थीं। घटना के तुरंत बाद आरोपी ड्राइवर ट्रक छोड़कर फरार हो गया। पुलिस उसे जल्द पकड़ लेगी पर धर्मावती अब कभी नहीं लौटेगी। 
हादसे में धर्मावती की मौत की खबर सुनते ही भाजपा के कई नेता और थाना फोकल प्वाइंट की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने जांच के बाद अज्ञात ट्रक ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आरोपी ड्राइवर की तलाश कर रही है जो हादसे के तुरंत बाद फरार हो गया था। 
जांच अधिकारी राजिंदर सिंह ने कहा कि धर्मावती मिश्रा मूल रुप से बिहार के जिला बेतिया की रहने वाली थीं। पिछले कई साल से वह राम नगर इलाके में रह रही थीं। इस समय वह भारतीय जनता पार्टी महिला विंग के सचिव पद पर तैनात थीं। धर्मावती अपने इलाके में काम करने वाली नेता के नाम से पहचानी जाती थीं। उनके पति नंद किशोर मिश्रा एक निजी फैक्टरी में कार्यरत है। अन्याय का शिकार लोगों को न्याय दिलवाना और ज़रूरतमंद लोगों की सहायता वह पहल के आधार पर करतीं थीं। 
किसी ने नहीं सोचा था वह इतनी जल्दी चली जाएंगी। उनकी मौत के बाद भी अगर हादसों की रोकथाम के लिए कुछ ठोस कदम उठए जा सकें तो शायद उनकी आत्मा को अधिक शांति मिलेगी। 

Friday, April 22, 2016

जनाब कैफी आज़मी साहिब की एक दुर्लभ रचना-लेनिन-

एक पत्थर से तराशी थी जो तुमने दीवार,
इक खतरनाक शिगाफ़ उसमें नज़र आता है। 
यह वह दर्द है जिसे जनाब कैफी आज़मी साहिब ने बहुत पहले ही महसूस कर लिया था। इस दर्द के कारण ही उनके दिल से निकला--
हादसा कितना कड़ा है कि सर-ए-मंज़िल-ए शौक,
काफिला चाँद गिरोहों में बंटा जाता है। 
अधिकतर कम्युनिस्ट कहनी और करनी के एक रहे। मैंने बहुत से जानेमाने कम्युनिस्ट नेतायों को नज़दीक से देखा। जिनकी चर्चा किसी अलग पोस्ट में जल्द की जाएगी। वे चाहते तो अपनी सात पुश्तों के लिए अपार धन जमा कर सकते थे लेकिन उन्होंने खुद भी सादगी से जीवन व्यतीत किया और उनके परिवारों ने भी। हमेशां मेहनत पर यकीन रखा और जन संघर्षों के लिए हर पल तैयार रहे। इसके बावजूद लाल झंडे की कई पार्टियां बन गईं।  ऐसी हालत में कैफी साहिब के लेनिन को सम्बोधित शब्द बहुत अधिक महत्वपूर्ण बन जाते हैं--
देखते हो तो कोई सुलह की तदबीर करो,
हो सके ज़ख्म रफू जिससे वो तकरीर करो। 
बहुत अच्छा होगा अगर औपचारिक नारेबाजी ुार जन्मदिन मुबारक की जगह लेनिन के जन्म दिन पर सभी वे लोग एकजुट होकर लाल झंडे की लहर को मज़बूत करने का संकल्प करें जिनको किसी भी तरह इस झंडे और इसके मकसद से ज़रा सा भी लगाव है। -- रेक्टर कथूरिया  
आसमां और भी ऊपर को उठा जाता है 
तुमने सौ साल में इंसां  को किया कितना बुलंद। 
*पुश्त पर बाँध दिया था जिन्हें जल्लादों ने, 
फेंकते हैं वही हाथ आज सितारों पे कमन्द। 
                                  देखते हो कि नहीं !
Courtesy Photo 
जगमगा उठी है मेहनत के पसीने से *जबीं,
अब कोई खत, खत-ए -तक़दीर नहीं हो सकता। 
तुमको हर मुल्क की सरहद पे खड़े देखा है,
अब कोई मुल्क हो तसखीर नहीं हो सकता। 
Punjab Screen
खैर हो बाज़ू-ए-कातिल की मगर खैर नहीं!
आज *मकतल में बहुत भीड़ नज़र आती है। 
कर दिया था कभी हल्का सा इशारा जिस *सम्त,
सारी दुनिया उसी *जानिब को मुड़ी जाती है। 
Punjab Screen
हादसा कितना कड़ा है कि सर-ए-मंज़िल-ए शौक,
काफिला चाँद गिरोहों में बंटा जाता है।  
एक पत्थर से तराशी थी जो तुमने दीवार,
इक खतरनाक *शिगाफ़ उसमें नज़र आता है। 
Punjab Screen
देखते हो तो कोई सुलह की तदबीर करो,
हो सके ज़ख्म रफू जिससे वो तकरीर करो। 
*एहद-ए-पे पेचीदा *मसाईल हैं सवा पेचीदा,
उनको सुलझाओ, सहीफा कोई तहरीर करो। 
Punjab Screen
रूहें आवारा हैं दे दो इन्हें *पैकर अपना,
भर दो हर पारा-ए-फौलाद में जौहर अपना। 
रहनुमा फिरते हैं या फिरती हैं बेसर लाशें?
रख दो हर अकड़ी हुई लाश पे तुम सर अपना। 
Punjab Screen
*पुश्त-पीठ, *जबीं-माथा, *मकतल-कत्लगाह, *सम्त-दिशा, *जानिब-तरफ, *एहद-ए-पे पेचीदा-उलझा हुआ समय, *मसाईल-समस्याएं, *शिगाफ़-सेंध/दरार,  *पैकर-जिस्म 

जनाब कैफी आज़मी साहिब की एक दुर्लभ रचना-लेनिन-

Sunday, April 17, 2016

माता चंद कौर के हत्यारों को भैणी साहिब के अंदर से किसने दी मदद?

हत्या की साजिश को लेकर उठाये जालंधर की संगत ने कई सवाल 
जालंधर: 17 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
माता चंद कौर की श्री भैणी साहिब के अंदर हत्या का मामला लगातार गहराता जा रहा है।  इतने दिनों बाद भी पुलिस किसी हत्यारे को पकड़ नहीं पाई इस लिए संगत निराश भी है। एक तरफ लुधियाना में ठाकुर उदय सिंह के समर्थकों ने रोष प्रदर्शन किया वहीँ दूसरी तरफ ठाकुर दलीप सिंह से सबंधित समर्थकों ने इस मामले को लेकर कुछ सवाल उठाये हैं। हर पल नाम जपने वाली वृद्ध माता की इस जघन्य हत्या की इस सनसनीखेज वारदात में पंथ हितैषी नामधारी संगत ने मांग की है कि पुलिस को इस घटनाक्रम में जमीनी स्तर से जांच करनी चाहिए। कई ऐसे तथ्य  हैं, जो संगत के मन में कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं, इसलिए इन सवालों के जवाब जनता के बीच लाने चाहिए ताकि इस सनसनीखेज हत्याकांड का सच सामने आ सके। 

विश्व नौजवान नामधारी विद्ययक जत्था के प्रधान पलविंदर सिंह, जत्थेदार अमरीक सिंह, सलाहकार  गुरमीत सिंह, प्रिंसिपल राजपाल कौर-जालंधर स्कूल ने मीडिआ से बातचीत करते हुए कहा कि  माता चंद कौर जी का कत्ल दिल दहला देने वाली घटना है, जिससे पर्दा उठाना काफी जरूरी है। संगत के मन में उठ रहे इन सवालों का जवाब तत्काल जांच टीम को सामने लाना चाहिए। पहला सवाल तो यह है कि हाई सिक्योरिटी एरिया जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता वहां पर दो बाईकसवार युवक पिस्तौल लेकर अंदर कैसे पहुँच गए? क्या इनके साथ डेरे की कोई ताकत तो नहीं मिली हुई? अंदर आ कर क़त्ल कर कहाँ गायब हो गए? क्या उनको आसमान निगल गया या जमीन खा गई? डेरे के अंदर वह क्या उड़ कर आ गए और उड़ कर चले गए?
डेरे के अंदर व बाहर सीसी टीवी कैमरों की तीखी नजर है, फिर ये हत्यारे कैसे कैमरों से बचकर माता चंद कौर जी तक जा पहुंचे। क्या इनको अंदर से किसी ने पूरी मदद की थी ? जिसने माता चंद कौर जी के कार्यक्रम का पूरा ब्योरा तक बता दिया था? साथ ही समय व स्थान तक बता दिया था? दोनों हत्यारों को अंदर का ब्योरा आखिर किस ने दिया? यह जांच का विषय है।

हत्या वाले दिन माता चंद कौर जी के साथ सिक्योरिटी नहीं थी। यह बात हत्यारों तक कैसे पहुंची कि आज माता जी बिना सिक्योरिटी के ही कार्यक्रम में जा रहे हैं।पंथ हितैषी नामधारी संगत इन सवालों को लेकर दिन रात बेचैन है और इस हत्याकांड की सच्चाई तभी सामने आ सकती है अगर इन सवालों के उत्तर तलाशे जाएं। उन्होने मांग की कि पंजाब में बनाई गई एस आई टी अगर इन सवालों के उत्तर खोजने के लिए निकलती है तो हत्याकांड की सच्चाई बहुत जल्द सामने आ जाएगी।

इसी बीच मीडिया में पुलिस के हाथ बंधे होने की बात भी सामने आई है। हत्या के बाद आज तक पुलिस के हाथ कोई ठोस सबूत न लगने की मुख्य वजह जांच में जुटी पुलिस टीमों के हाथ बंधे होना ही है वरना पुलिस इतनी सक्षम है कि इसका सुराग तुरंत लगा ले। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक जितनी भी पुलिस पार्टियां माता जी के हत्यारों का पता लगाने के लिए नियुक्त की गई हैं, उनको ऊपर से सख्त हिदायत है कि किसी भी व्यक्ति को बिना ठोस सबूत न उठाया जाए जिससे बाद में पुलिस की किरकिरी हो और मामला धार्मिक भावनाओं से जुड़ा होने के कारण राज्य के हालात पर कोई असर पड़े। उधर, जांच में जुटे अधिकारियों का मानना है कि पिछले 8-9 दिनों में अलग-अलग टीमों ने जितनी भी जानकारी एकत्र की है उसमें जिन-जिन लोगों पर शक की सूई जाती है, जब तक उन्हें उठाकर सख्ती से पूछताछ नहीं की जाती, तब तक मर्डर ट्रेस होना मुश्किल लगता है। पुलिस के जांच और तरीकों में रुकावट कौन?
यह स्थिति इस लिए भी गम्भीर है कि इस लम्बे वक़्त में जहाँ हत्यारे सबूत मिटने में कामयाब हो सकते हैं वहीँ देश से बाहर फरार होने में भी सफल हो सकते हैं। ऐसा न हो कि कहीं इस मामले की जाँच भी अवतार सिंह तारी के मर्डर मामले की तरह ठंडे बस्ते में चली जाये। दूसरी तरफ नामधारी समुदाय में प्राइवेट विदेशी सुरक्षा लाने की बातें भी सुनी गयी हैं। कुछ लोग अपना नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर यह भी कहते हैं कि सतगुरु जगजीत सिंह का देहांत होने के बाद श्री भैणी साहिब और अन्य नामधारी संस्थानों से जुडी चल अचल सम्पति किस किस ने तेज़ी से  अपने नाम करवाने की कोशिश की है। 
गौरतलब है कि ठाकुर उदय सिंह और ठाकुर दलीप सिंह दोनों भाई हैं। दोनों गुट खुद को वारिस बताते हैं। ठाकुर उदय सिंह ने मत चाँद कौर के भोग और अंतिम अरदास का आयोजन 10 अप्रैल 2016 को श्री भैणी साहिब में किया जबकि ठाकुर द लीप सिंह ने यह आयोजन जीवन नगर (सिरसा) में 9 अप्रैल 2016 को ही कर लिया था। ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों ने जब लुधियाना में 22 दिन लम्बी भूख हड़ताल की थी तो उस समय भी दावा किया था कि 80 प्रतिशत  है फिर भी वह शांत रह कर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने केवल इतना कहा था कि जीवन नगर और भैणी साहिब की संगत प्रेम और सौहार्द के साथ  पर आये जाए। उन्होंने स्प्ष्ट कहा था कि मुझे गद्दी नहीं केवल संगत और अपने लिए दोनों स्थानों के खुले दर्शनों की छूट चाहिए। 
ठाकुर उदय सिंह के समर्थकों ने न केवल उनकी इस मांग को रद्द कर दिया था बल्कि लुधियाना में सिविल अस्पताल के निकट ऐतिहासिक नामधारी स्मारक में बने कुएं से नामधारी संगत को पानी देने से भी मना कर दिया था। धीरे धीरे यह टकराव बढ़ता चला गया और भूख हड़ताल समाप्त होने के बाद भैणी साहिब के निकट ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों पर हमला भी हुआ। नामधारी पलविंदर सिंह और कुछ अन्यों ने भाग कर अपनी जान बचाई। उसके बाद अमृतसर जिले में हुए एक आयोजन में भी ठाकुर दलीप सिंह के समर्थकों पर गोली चली। यह सब कुछ चल रहा था लेकिन वृद्ध मात चाँद कौर पर गोली चलने की बात किसी ने कल्पना में भी नहीं सोची थी। आखिर क्या कहने वाली थी मत चंद कौर जिसे रोकने के लिए उन्हें हमेशां की नींद सुला दिया गया। गौर तलब है कि केवल वही ऐसी शख्सियत थीं जिस का कहा नामधारी संगत बिना किसी भेदभाव के मान सकती थी। क्या उनकी हत्या उनके संभावित बोलों पर स्थायी सेंसरशिप थी? आखिर क्या कहना था उन्होंने दो चार दिनों में? संगत का दबाव बढ़ता देख कर उन्होंने क्या हल निकाला था दोनों गुटों को साथ साथ लाने का? कौन रोकना चाह रहा था वह समझौता फार्मूला? कौन कौन जानता था इस अंदर की बात को? अब कौन आगे आ सकता है माता चंद कौर के साथ अंतिम दिनों में बातों को सबके सामने रखने? क्या झगड़ा केवल गुर गद्दी और सम्पति का था या कुछ सिद्धांत भी आड़े आने लगे थे? ऐसे बहुत से सवाल है जिनकी चर्चा संगत आपस में बातों के दौरान तो करती है लेकिन खुल कर सामने आने की हिम्मत कौन दिखायेगा? 

ਸਖਤ ਸੁਰੱਖਿਆ ਪ੍ਰਬੰਧਾਂ ਹੇਠ ਹੋਇਆ ਮਾਤਾ ਚੰਦ ਕੌਰ ਦਾ ਸੰਸਕਾਰ
ਕੁਝ ਹੋਰ ਸਬੰਧਿਤ ਲਿੰਕ-



ਨਾਮਧਾਰੀ ਵਿਵਾਦ ਹੋਰ ਤਿੱਖਾ:ਏਕਤਾ ਧੜੇ ਵੱਲੋਂ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਮੀਡੀਆ ਮੀਟ


Friday, April 01, 2016

चाचा ज्ञान सिंह-जिन्हें सियासत की बदलती हवा भी नहीं हरा पाती

कामागाटा मारू भी गई प्रो. गुरभजन गिल की टीम 
लुधियाना:: 1 अप्रैल 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
गत दिनों जाने माने शायर प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल कुछ ख़ास साथियों के साथ कोलकाता गए। वहां जाने वाले लोग बहुत कुछ देखते हैं लेकिन बहुत कुछ ऐसा छोड़ भी देते हैं जो सभी को याद रखना चाहिए। जाने अन्जाने होती ऐसी भूलों  प्रोफेसर  गिल, के के  अन्य लोगों की टीम ने। प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल और  अपनी टीम के साथ वहां कामागाटा मारू स्मारक पर भी गए। एक वह स्मारक जिसकी जानकारी हर देश   वासी को होनी चाहिए थी। एक वह स्थान जो देश के स्वतंत्रता संग्राम का एक तीर्थ  है। 
लगातार 10 बार विधायक बन चुके सरदार ज्ञान सिंह मैदान में 
आप हैं सरदार ज्ञान सिंह ' सोहनपाल '.  उम्र : 91 वर्ष.  लगातार 10 बार विधायक हैं.  11वीं बार की तैयारी है.  चौंकिएगा मत,  पंजाब से नहीं बंगाल से.  पश्चिम बंगाल की खड़गपुर सदर सीट से जहां पांच हजार सिक्ख भी नहीं हैं.  पूरा क्षेत्र इनको चाचाजी कहता है.  1969 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं   चाचाजी हर चुनाव जीत जाते हैं.   पिछला चुनाव लगभग 32 हजार वोट से जीतें.  इस बार नहीं लड़ना चाहते थें लेकिन जनता और समर्थकों की जिद के आगे झुक गए.  आप बंगाल विधानसभा के स्पीकर, जेल, परिवहन, संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं.  इतना लंबा राजनीतिक जीवन होने के बावजूद एक रूपये की हेराफेरी का दाग नहीं। 
कहते हैं न असफलता वास्तव में सफलता की सीढ़ी होती है। यह भी कहा जाता है कि मन के हारे हार है--मन  के जीते जीत।  सरदार सोहनपाल की निरंतर जीत   ही शुरू हुआ था। कांग्रेस के विधायक ज्ञान सिंह सोहन पाल पहली बार 1962 में चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन उन्हें पराजय का स्वाद चखना पड़ा था।  यह पराजय ही उनकी जीत का प्रेरणा स्रोत गई। उन्होंने  सीखे, इसे हिम्मत बनाया और फिर  डटे। सन 1969 में उन्होंने पहली बार हासिल की। अब 52 सालों के बाद और दस बार जीत हासिल करने के बाद सोहनपाल अभी भी एक और चुनावी जीत हासिल करने के लिए तैयार खड़े हैं। वो नहीं चाहते थे लेकिन लोगों ने उनकी एक न सुनी और उनको फिर मैदान में उतार दिया। अपने प्रशंसकों के बीच ‘चाचा’ के नाम से जाने जाने वाले 91 वर्षीय पाल इस विधानसभा चुनाव में सबसे बुजुर्ग प्रत्याशी हैं। वह आईआईटी शहर खड़गपुर से चुनावी मैदान में उतरा गया है जहां से उन्होंने लगातार कई बार जीत हासिल की है।  हमारे जानेमाने लेखक प्रोफेसर गुरभजन सिंह गिल उन्हें मिल कर आये। यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। काश हमारे भी यहाँ ऐसे नेता  जिन को खुद के कामों पर वोट मिले और सियासत की हवा उन्हें हरा न सके।