Sat, Mar 21, 2015 at 5:29 PM |
लुधियाना: 21 मार्च 2015:(रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
कभी वक़्त था जब पत्रकारों का दबदबा हुआ करता था। उस समय पत्रकारों की संख्या बहुत ही काम थी लेकिन उनका प्रभाव बहुत दूर तक असर करता था और उसके परिणाम भी दूरगामी हुआ करते थे। अब जबकि पत्रकारों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है और उनकी शक्ति और प्रभाव भी उसी हिसाब से बढ़ना चाहिए था लेकिन काम उल्टा होता चला गया। लालच, स्वार्थ, अहंकार और टांग खींचने की कुप्रथाओं ने जोर पकड़ा तो साज़िशों भरी चालें सामने आने लगीं। एक दुसरे को नीचे दिखाने के निंदनीय प्रयासों ने फुट पैदा की और फुट का फायदा उन्हें ही पहुंचा जो कभी नहीं चाहेंगे की पत्रकार एकजुट हों। इस निराशाजनक हालात में भी नई उम्र के कुछ पत्रकार पुराने मीडिया कर्मियों से सलाह करके कुछ न कुछ कोशिशें कर रहे हैं। हम इनका स्वागत करते हैं इस आशा के साथ कि यह कोशिश मीडिया की भलाई पर केंद्रित रहते हुए गुटबन्दियों से ऊपर उठने के काम को पहल देगी। हमें आज ही एक तस्वीर ईमेल से प्राप्त हुई है जिसे यहाँ शुभकामनायों के साथ प्रकाशित किया जा रहा है।
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