Saturday, March 21, 2015

कौन कर रहा है पंजाब में फिर से आग भड़काने की कुचेष्टा

बहुत दिनों से है यह मश्ग़ला सियासत का, कि जब जवान हों बच्चे तो क़त्ल हो जायें
आज 21 मार्च है।
अतीत के आईने में जब 21 मार्च के दिन को देखा जाता है तो याद आता है वह समय जब 21 महीने देश  को कारागार में बदलने वाली इमरजेंसी के अंत की घोषणा की गई  थी।  अभिव्यक्ति की छूट मिलते ही फूटा आम जनता का गुस्सा और इंदिरा शासन का एक बार तो अंत हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर के  फैसले से रुष्ट होकर लगाई गई इमरजेंसी के अंतर्गत पूरे देश को जेलखाने में बदल दिया गया था। जय प्रकाश नारायण जैसे वृद्ध नेताओं को भी जेल में धकेल दिया गया और इमरजेंसी के तहत मिले अधिकारों का दुरपयोग खुद आपातकाल का धनद भी न रोक सका। इसका समर्थन करने वाले वाम दलों को भी बाद में अपनी इस गलती को स्वीकार करना पड़ा। अख़बारों पर सेंसरशिप के उस दौर में कुछ कलमें बिक गयी और कुछ डर गई लेकिन सच बोलने वाले उस दौर में भी सच ही बोलते रहे। जनाब दुष्यंत कुमार के शेयर बहुत लोकप्रिय हुआ था--
 सिख संगत डॉट कॉम साभार (बड़ा करने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें)
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो,
ये कमल के फूल मुरझाने लगे हैं।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, 
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, 
मेरा मकसद तो है यह सूरत बदलनी चाहिए। 
दस्तकों का अब किवाड़ों पर असर होगा ज़रूर, 
हर हथेली खून से तर और बेकरार। 
सेंसरशिप की कैंची से बचने के लिए इस तरह की शायरी का सहारा लिया जाता।  एक गंभीर प्रयोग से गुज़र  सभी  परीक्षा भी थी। इसके कुछ फौरी फायदे भी हुए। अजीत अख़बार के संस्थापक सरदार साधू सिंह हमदर्द ने सिलसिलेवॉर सम्पादकीय भी लिखे जिनमें आपातकाल का स्पष्ट समर्थन था। उन्होंने कहा--रो रो कर फिर याद करोगे। चोर बाज़ारी, ज़खीराबाज़ी और ब्लैक जैसी बुराइयों पर आपातकाल में  रातो रात  काबू पा लिया गया। चाय का कप 25 पैसे में पीना मुझे अभी तक याद है। श्रीमति इंदिरागांधी में जो खूबियां थीं वो भी शायद किसी और में नहीं हैं लेकिन उनसे जो गलतियां हुईं वो भी कम गंभीर नहीं थी।
इंदिरा गांधी के लिए भी माननीय थे संत
आपातकाल के उन दिनों में हरिमंदिर साहिब में संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले तो नहीं थे पर दरबार साहिब से इमरजेंसी के खिलाफ एक मोर्चा अवश्य चला था। लगातार 19 महीने तक--इमरजेंसी के अंत तक। सभी विरोधों को कुचल देने वाली इंदिरा सरकार हरिमंदिर से उठी विरोध की आवाज़ को इमरजेंसी के डंडे से भी नहीं दबा पाई। वह बेहद दूरअंदेश थी लेकिन ज़िद और क्रोध बड़े बड़ों की बुद्धि पर पर्दा डाल  देता है। उस समय के लोग कहते हैं कि उस भयानक दौर में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अकालियों को सबक सिखाने की बात मन में ठान ली थी। देश पर हुए तानाशाही के उस वार का सामना करने के लिए श्री हरिमंदिर साहिब से चले मोर्चे के दौरान बहुत से प्रमुख विपक्षी नेता वहां छुप कर शरण भी लेते रहे और आंदोलन का मार्गदर्शन भी करते रहे। इमरजेंसी हटते  ही ठीक एक वर्ष बाद 1978 की वैशाखी के पर्व पर जब निरंकारी संप्रदाय अमृतसर में अपना सम्मेलन करता है तो फायरिंग की घटना के बाद उभर कर आती है संत जरनैल सिंह भिंडरावाले की शख्सियत। संत भिंडरांवालों का विरोध करने वालों का कहना है कि संत भिंडरांवाले को कांग्रेस ने ही उभारा तांकि अकाली दल के कद को बौना किया जा सके और पंजाब में हमेशां के लिए कांग्रेस का वर्चस्व स्थापित सके। इसके बाद शुरू होता है खूनखराबे का भयानक दौर जिसने पंजाब के शांत माहौल में आग दी। सत्ता लोलुपता के कुचक्र ने एक ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें पंजाब के सभी वर्ग फंस गए। इस चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए कोई अभिमन्यु  देश के पास नहीं था। पंजाब के बहुत से भीष्म पितामह, बहुत से अर्जुन, बहुत से युधिष्टर, बहुत से भीम शकुनियों की चालों  का शिकार हो गए। यह दास्तान  बहुत लम्बी है। पंजाबी के जानेमाने लेखक कुलवंत गरेवाल ने कभी लिखा था--
पंजाब न सीमा न असीम  है  
पंजाब-तकसीम दर तकसीम दर तकसीम
किसी ने पंजाब के दुखद समय घटनक्रम की निष्पक्ष जाँच की मांग गंभीरता से नहीं की। किसी ने पंजाब के ज़ख्मों पर मरहम की  बात ईमानदारी से नहीं की। कुछ लोगों ने तमाशा बना दिया, कुछ ने आग लगा दी और कुछ  सियासी रोटियां सेंकते रहे। सुना है अब हाल ही में शिव सेना नेता राजीव टंडन ने कहा है--देश की शांति के लिये आंतकवादियो के हाथो शहीद होने वाली भारत की पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमति इंदिरा गांधी के देश हित में किये गए कार्यो को ले शिव सेना प्रचार सामग्री जारी करेगी। शिव सेना पंजाब के चेयरमैन राजीव टंडन व युथ प्रधान अमित अरोड़ा ने शिव सेना पंजाब के युथ विंग की मीटिंग में SGPC को भी अपना निशाना बनाते हुए कहा कि एस जी पी सी इंदिरा गांधी के हत्यारों को सम्मानित कर देश द्रोह का काम कर रही है। उन्होंने कहा की देश की पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने देश की शांति के किये अनेक काम किये जिसमे पंजाब से "आतंकवादी भिंडरावाला" के आतंक का खात्मा करना विशेष रूप से शामिल था पंजाब में जहां तकवादियो ने अपना डर कायम कर रखा था वही हिन्दू समाज के लोगो को घरो से बसो से निकाल कर चुन चुन कर मारा जाता था जब हिन्दू समाज के लोग अपनी जान वचाने के लिए अपना घर बार छोड़ दिल्ली करनाल की तरफ कुच कर रहे थे तब इंदिरा गांधी जी की दलेरी ही थी उन्होंने पंजाब को आंतकवाद से मुक्त करवाने के लिए भारतीय फौज को इसका जिम्मा सौंपा और पंजाब के हिन्दू समाज को एक नया जीवन दिया।  इसलिए माननीय इंदिरा गांधी व सरदार बेअंत सिंह का नाम आदर से लिया जाता है देश के नौजवानो को माननीय इंदिरा गांधी के इतिहास की जानकारी देने के लिए उनकी प्रचार सामग्री जारी करेगी इस मोके पर शिव सेना पंजाब के सिटी प्रधान अश्वनी चोपड़ा युथ प्रधान भानु प्रताप सिंह सनी मेहता नीरज चोपड़ा विशेष रूप से उपस्थित थे।

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