Saturday, December 04, 2010

एक पत्र मारिशियस से


 कभी कभी कुछ अजीब बातें होती हैं. दरवाज़ों पर दीवारें बन जाती हैं और दीवारों पर दरवाज़े. कुछ ऐसा ही हुआ मारिशियस में रह रही जानीमानी कलमकारा  मधु गुजधर के मामले में. उन्होंने पंजाब स्क्रीन में एक पोस्ट पढ़ी जो जानीमानी लेखिका सरोजिनी साहू के नावल पक्षी वास पर थी. वास्तव में यह एक समीक्षा थी जिसे चण्डीगढ़ में रह रही अलका सैनी ने लिखा था. इस ऊड़िया उपन्यास का हिन्दी अनुवाद किया है राजस्थान के दिनेश कुमार माली ने. जार इत्तिफाक देखिए कि ओडीसापंजाबराजस्थान और मारिशियस के कलमकार तो इस रचना पर दूर दूर से एक हो गए पर जब इस पर कुछ विचार भेजने की बात आई तो कोई  तकनीकी उल्झन आड़े आने लगी. मधु जी ने पूरा दिन प्रयास किया पर बात नहीं बन पाई. आखिर उन्होंने यह कोमेंट सीधा मुझे पोस्ट कर दिया. मैने इसे अपने ईमेल में देखा तो मुझे लगा कि इसका स्थान केवल कोमेंट बाकस में नहीं है. उसे ज्यों का त्यूँ उसी तरह यहाँ दिया जा रहा है. लीजिये आप भी पढ़िए मधु जी का पत्र. --रेक्टर कथूरिया 
Posted on  Sat, Dec 4, 2010 at 9:54 AM
आदरणीय कथूरिया जी,  

पंजाब स्क्रीन के इस मंच से आप ने सरोजिनी साहू जी के एक उपन्यास 'पक्षी -वास 'पर प्रकाश डालते हुए अपने लेख को शीर्षक दिया है "बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है 'पक्षी-वास' | मैं यहाँ कहना चाहूंगी की ये इतना उचित शीर्षक दिया है आप ने सरोजिनी साहू जी के इस उपन्यास के बारे में और सच तो ये है की न सिर्फ "पक्षी-वास" वरन सरोजिनी जी की कलम से उभरी हर रचना "बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है"| मैंने उन्हें पढ़ा है...बहुत बार पढ़ा है और हर बार उन की रचनाओं से एक नयी अनुभूति प्राप्त की है | उन की हर रचना इतनी हिर्दय्ग्राही होती है की उन रचनाओं के चरित्र फिर कभी भुलाए नहीं भूलते| दूसरी बात जो मुझे सरोजिनी जी बहुत पसंद है और जिस के लिए मैं उन का मान भी करती हूँ वो ये की उन्होंने सामाजिक, पारिवारिक और नैतिक मूल्यों को सदा अपने लेखन में साथ रखा|उन की रचनाओं का सौन्दर्य का एक पक्ष ये भी है की उन के सब चरित्र बहुत अपने से लगते हैं | लगता है की आप उन से मिल चुके हैं ,कुछ समय उन के साथ जी चुके हैं |यधपि महिला कथाकारों को पढना सदा से मेरे लिए एक आत्म तृप्ति का अनुभव रहा तथापि सरोजिनी साहू जी को पढना एक अद्भुत अनुभूति रही है | यहाँ मारीशस के "महात्मा गाँधी संस्थान" के विशाल पुस्तकालय में तथा "इंदिरा गाँधी संस्कृत केंद्र "के पुस्तकालय में उन की कुछ पुस्तकें भी प्राप्त हैं |
दुर्भाग्यवश अभी तक मुझे 'पक्षी-वास' को पढने का सुअवसर प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन इस बार अपनी भारत यात्रा के दौरान में इस उपन्यास को अवश्य खरीद कर लाऊंगी| मैं बहुत आभारी हूँ आदरणीय 'दिनेश कुमार माली जी "की जिन्होंने हिंदी ट्रांसलेशन कर के सरोजिनी जी की रचनाओं को हिंदी भाषी लोगों तक पहुचाया | ये उन्होंने इतनी महानत से एक ऐसा पवित्र कार्य किया है जिस के लिए मैं उन का नमन करती हूँ| जो लोग दिनेश जी की लगन के परिणाम स्वरुप नेट पर सरोजिनी साहू जी की रचनाओं का आनंद लेना चाहें उन के लिए ये लिंक प्रस्तुत कर रही हूँ.  मैं यहाँ आप को भी विशेष रूप से धन्यवाद देती हूँ की आप इतने अच्छे लोगों को , विषयों को ,कार्यशालाओं को पंजाब स्क्रीन के मंच पर लाकर हमें उन से अवगत करवाते हैं | वर्ना तो हम 'कूप -मंडूक' ही बने रहते| साहित्य सेवा में सलंग्न सभी साहित्य प्रेमियों को मेरा नमन ........मधु गजाधर