Sunday, September 07, 2008

अधूरे पंजाब के नाम.....


मेरे एक मित्र कंवर सुखदेव ने कई दशक पहले लिखा था :
 

एह मेरे नेत्रां दे दोआबे ; 

मैथों रो रो पंजाब मंगदे ने !
 

ओह जेहड़े आप ने सिफर वर्गे ; 

मैथों सो सो हिसाब मंगदे ने !

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