Monday, September 08, 2008

जिम्मेदार कौन ?


कभी एक गीत बहुत ही लोकप्रिय था :
सोहणे देशां विचों देश पंजाब नी सयियो ;
जिवें फुल्लां विचों फुल गुलाब नी सयियो !
पर अब पंजाब की हालत देख कर पूछा जा सकता है उन लोगों से जो रहनुमा होने का दावा करते हैं कि आख़िर हँसता बसता पंजाब टुकड़े टुकड़े और लहू लुहान कैसे हो गया ? सरबत्त का भला मांगने वाली इस धरती पर भाई भाई का दुश्मनी कैसे बन गया ? कहीं शरारत सियासत की तो नहीं ? कहीं ऐसा तो नहीं के मामला यहीं पर ही गड़बड़ हो....!
लगा कर आए हो जब पेड़ तुम बबूलों के ;
तुम्ही बतायो कहाँ से गुलाब निकलेगा ?
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